कैलाश यात्रा : सद्गुरु की लाइव डायरी
पढ़ते हैं कुछ लेख जो सद्गुरु ने हमें कैलाश से भेजें हैं। इस साल की कैलाश यात्रा फिलहाल जारी है और सद्गुरु हमसे वहाँ के पहाड़ों और घाटियों के अनुभव साझा कर रहे हैं।
27 जुलाई 2017
सद्गुरु: पहाड़ भूयांत्रिकी (जियोमैकेनिक्स) को सबसे अच्छी तरह अभिव्यक्त करते हैं। इन लाखों-करोड़ों सालों में धरती ने कैसे-कैसे रूप बदले, वह एक तरह से इन पहाड़ों में दर्ज है। तो, पहाड़ काफी हद तक धरती पर हुई सभी चीजों का एक पैमाना है। पहाड़ का अर्थ है, एक रूपांतरित स्थान, भूविज्ञान की दृष्टि से रूपांतरित स्थान। इसलिए यह कोई संयोग नहीं है कि रूपांतरण की खोज में इंसान हमेशा पहाड़ों की तरफ आया। और हम आज यहां पर हैं!
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25 जुलाई 2017
ब्रागा – मनांग घाटी
सद्गुरु : हिमालय के पहाड़ों में मानसून के भारी बादलों को चकमा देते हुए हेलीकाप्टर की उड़ान बहुत रोमांचक थी। हिमालय का नजारा सबसे अद्भुत और खूबसूरत है।
आधुनिक वैमानिकी से लैस बिल्कुल नया बेल 407, जो जेट विमानों से मुकाबला कर सकता है, विमान उड़ाने के मेरे लोभ को और बढ़ा रहा था। नीचे अद्भुत मनांग घाटी संकरी होती जा रही थी, नदी बह रही थी और एक रोमांचकारी सड़क बहुत मोहक तरीके से बल खा रही थी।
कुछ समय से मैंने मोटरसाइकिल चलाने के अपने लोभ को काबू में कर रखा था, वह फिर से मेरे अंदर कुलांचे भरने लगा और मुझे थोड़ा बेचैन करने लगा। कितने साल मैंने दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट की सुदूरवर्ती निर्जन सड़कों पर मोटरसाइकिल चलाई है, वे अंतहीन घुमावदार सड़कें मुझे उन अद्भुत पहाड़ों के बीच ले जाती थीं। मेरा कोई मकसद नहीं था और न ही मैं किसी मंजिल के बारे में सोचता था, बस उस इलाके में खो जाने का शुद्ध आनंद था। वह सब मुझे उकसा रहा था और अब मैं हिमालय के इन दरारों में मोटरसाइकिल चलाने के बारे में सोच रहा हूं। हां, वाकई मैं अगले साल इस पर अमल करने की सोच रहा हूं। अपनी हड्डियों के कमजोर पड़ने से पहले मैं इस तरह की एक रोमांचक यात्रा करना चाहता हूं। मेरे पास इस तरह की रोमांचक यात्रा के लिए काफी मजबूत दिल है, बस मुझे अपने शरीर को तैयार करना है।
यहां बादलों से पूरी तरह ढंके आसमान और भारी बूंदा-बांदी के बीच ब्रागा (11451 फीट) में मुझे आखिरी हेलीकॉप्टर के नीचे उतरने की आवाज सुनाई दे रही है। मैं इन नेपाली पायलटों को सलाम करता हूं क्योंकि इन स्थितियों में अधिकांश पायलट हेलीकॉप्टर उड़ाने को तैयार नहीं होंगे। बारिश की झमाझम के बीच चारों ओर से पहाड़ों से घिरे अपने टेंट में बैठा हूं। सभी लोगों को यह उल्लास जानना चाहिए, सभी को इन भव्य पर्वतों की रूपांतरकारी परतों का अनुभव करना चाहिए। पहाड़ भूयांत्रिकी को अभिव्यक्त करते हैं, धरती के रूपांतरण की कहानी कहते हैं। यह कोई हैरत की बात नहीं है कि रूपांतरण चाहने वाले लोग पहाड़ों की शरण में आते हैं।