मंत्र साधना कारगर है, पर बहुत सीमित
साधकों को हमेशा गुरु कोई न कोई मंत्र के उच्चारण की सलाह देते हैं। क्या फर्क है मंत्र साधना और साधना के अलग तरीकों में? क्या मंत्र जाप सबसे शक्तिशाली साधना है? आइए जानते हैं सद्गुरु से
साधकों को हमेशा गुरु कोई न कोई मंत्र के उच्चारण की सलाह देते हैं। क्या फर्क है मंत्र साधना और साधना के अलग तरीकों में? क्या मंत्र जाप सबसे शक्तिशाली साधना है
ईशा योग केंद्र में आमतौर पर मंत्रों का इस्तेमाल लोगों को आपस में बांधे रखने और एक खास तरह का उर्जा क्षेत्र बनाए रखने में किया जाता है। लेकिन यहां किसी तरह की कोई मंत्र साधना नहीं होती। सिर्फ यहां ब्रम्हचारी ही बिल्कुल ही अलग तरह के कारणों के चलते कुछ चीजें करते हैं। पर आध्यात्मिक प्रक्रिया के तौर यहां मंत्रों को प्रयोग नहीं होता। अभी तक ईशा में जो सबसे जटिल चीज हुई है, वह ध्यान लिंग है, यहां तक कि उसकी प्रतिष्ठा के दौरान भी मंत्र कहीं नहीं थे।
फिलहाल वो समय है जब आप ऊर्जा का आनंद लें। आप यहां आराम से बैठकर ऊर्जा के विस्फोट का अनुभव कीजिए। आपको इस ऊर्जा के रसपान के आनंद को सीखना चाहिए। यह समय वो नहीं है कि आप बैठें और मंत्रों का जाप या उच्चार करें। अगर आप में से किसी भी व्यक्ति की पहुंच सही आयामों तक नहीं होती तो एक दिन मंत्रों का ही सहारा लेना होगा। ऐसा नहीं र्है कि मंत्र बुरे या खराब हैं, बात सिर्फ इतनी र्है कि वे एक विकल्प हैं।
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इसमें कोई दो राय नहीं कि मंत्रों की अपनी खूबसूरती है, लेकिन मौन से बड़ा कुछ नहीं है। अपने भीतर मौजूद चेतना की मूलभूत शक्ति से बड़ी ताकत और कुछ नहीं है। जब आपको पता नहीं होता कि यह कैसे किया जाए तब हम सहायक ध्वनियों का इस्तेमाल शुरू करेंगे, जिससे चीजें घटित होंगी, लेकिन इनकी तुलना उससे नहीं हो सकती जो आपकी चेतना कर सकती है। हमारे भीतर सृष्टि का जो मूलभूत स्रोत धड़क रहा है, उसकी तुलना हमारे द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली न तो किसी ध्वनि और ना ही किसी बाहरी तरीके से हो सकती है। अगर आपको पता है कि सृष्टि के उस मूल स्रोत को अपनी अभिव्यक्ति कैसे करने दी जाए तो फिर आप बैठ कर मंत्रों का जाप या उच्चारण क्यों करना चाहेंगे?
अगर हम जो परिस्थितियां बनाना चाहते हैं उनका निर्माण मुश्किल या सख्त है तो हो सकता है कि हम सारे दिन बैठकर मंत्रों का जाप करें, लेकिन इसके बावजूद मंत्र मूलभूत प्रक्रिया नहीं हैं। इनका इस्तेमाल सिर्फ एक सहायक या तैयारी से जुड़ी क्रिया के रूप में होता है। आप में से कुछ लोगों को खुद को तैयार करना होगा ताकि मंत्र कभी भी ईशा योग केंद्र में मुख्य प्रक्रिया न बनने पाएं। यह जिम्मेदारी भावी पीढ़ी की होगी।
आप क्या चाहते हैं- आपकी चेतना मुक्त रूप से उड़ान भरे या दिन भर मंत्र का जाप करें ? मंत्र अपने आप में एक खूबसूरत शुरुआती प्रक्रिया हैं, लेकिन अगर आप इनका इस्तेमाल एक मार्ग की तरह करेंगे तो यह अपने आप में एक बेहद विस्तृत प्रक्रिया बन जाएगी।
मूल रूप से जीवन संवेदना की अपनी क्षमता के चलते घटित होता है। इतना जटिल जीवन, लेकिन अगर वायु की साधारण सी गतिविधि रुक जाए या उसका आवागमन रुक जाए तो यह खत्म हो जाता है। भले ही इसकी संवेदना की यह क्षमता सबसे आसान चीज है, लेकिन यही खूबी उसकी सबसे मूलभूत चीज भी है। यहां सिर्फ सांस लेने की बात नहीं हो रही है, सांस के अलावा भी लाखों तरीके से आप संवेदना जाहिर कर रहे हैं। आपने जिनकी कभी कल्पना भी नहीं की होगी, उससे कहीं ज्यादा तरीकों से आप इस ब्रम्हांड के प्रति अपनी संवेदना दिखा रहे हैं। अगर यह संवेदना रुक जाए तो इस जीवन का अंत हो जाए।
अगर आपके भीतर बेफिक्री का कुछ भाव भर जाए तो फिर आपको कुछ खास करने की जरूरत नहीं रहती। इसके लिए आपको कोई सनकपूर्ण या झक्कभरे काम नहीं करने होंगे, बस सिर्फ आपको यह देखने की जरूरत है कि आपके भीतर कुछ भी ठहरा हुआ या रुका हुआ तो नहीं है। अगर ऐसा नहीं हैं तो फिर चीजें अपने आप सहज रूप से घटित होंगी, क्योंकि इसके लिए सिर्फ एक अनुकूल माहौल की जरूरत होती है। एक अनुकूल माहौल का मतलब कि वह माहौल दबा हुआ या बाधित नहीं है। आप अपने लिए आत्मसुरक्षा और आत्म संरक्षण की जो दीवार बनाते हैं, वो दीवार भी एक तरह से आत्म कारागार या आपके लिए सलाखों का काम करेगी। दुर्भाग्य से लोगों को यह समझने में पूरी जिंदगी लग जाती है।
मेरी कामना है कि उस सार्वभौमिक सत्ता के साथ व्यक्ति के पारस्परिक संबंध की असीम प्रकृति को आप जानें।