अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर बच्चों व युवाओं के लिए योग
इस बार के स्पाॅट में सद्गुरु चर्चा कर रहें हैं आगामी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के तैयारियों की और बता रहे हैं कि इस बार लक्ष्य होंगे बच्चे। क्यों और कैसे ?
पिछले एक साल में देश और विदेश में ईशा योग की जबरदस्त तरक्की हुई है। मैं लगातार कोशिश कर रहा हूं कि इस सिलसिले में होने वाली अपनी यात्राओं पर ब्रेक लगाऊं और इन पागलपन की हद तक होने वाले दौरों को कम करूं, लेकिन ऐसा लगता है कि गाड़ी के तीनों पेडल रफ्तार को बढ़ा ही रहे हैं। आने वाले हफ्तों में तो जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा व्यस्त होने जा रही है। आमतौर पर मेरी उम्र तक आते-आते लोग रिटायर होने लगते हैं। लेकिन मेरे लिए ऐसा लगता है कि मानो एक नई जिंदगी की शुरुआत हो रही हो। हालाँकि आलसी और उबाउ जिंदगी जीने से बेहतर है काम करते-करते थक कर मरना।
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बड़े पैमाने पर लोगों को यह संभावना मुहैया कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक बेहद सशक्त मंच है। इस साल हम मानवता के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से तक यानी ‘बच्चों’ तक पहुंचना चाहते हैं। मेरी शुरुआती योजना भारत भर के दस हजार स्कूलों तक पहुँचने की थी। औसतन हर स्कूल में 800 से 900 बच्चे होते हैं। इसका मतलब हुआ कि हम अस्सी से नब्बे लाख बच्चों तक पहुँच सकते हैं।
पिछले हफ्ते अड़तालिस घंटों में पांच राज्यों के दौरे और उनके मुख्यमंत्रियों से मुलाकात और उनसे मिली बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखने के बाद लगता है कि हम दस हजार से भी ज्यादा स्कूलों के साथ यह कार्यकम कर पाएंगे। वे सभी इस प्रस्ताव के प्रति काफी उत्सुक दिखे और उन्होंने इसमें हरसंभव तरीके से मदद करने की इच्छा जताई। हम लोग इस प्रोजेक्ट को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के छह जिलों, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और संभवतः महाराष्ट्र और गुजरात में शुरू करने वाले हैं। अगर सतही तौर पर देखा जाए तो दस हजार स्कूलों तक पहुंचना अपने आप में असंभव लगता है, लेकिन हमारे पास इसे कर दिखाने के लिए एक पूरी कार्यप्रणाली है।
ये तमाम बच्चे इतने तनाव में रहते हैं कि उनमें से कुछ बच्चे टूट जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं। हमने इन तमाम केन्द्रों से संपर्क किया और हमारे शिक्षकों ने वहां उप-योग और ईशा योग सिखाना शुरू कर दिया है। इस दिशा में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अगले डेढ़ महीने में ये डेढ़ लाख छात्र योग के सहज और आसान स्वरूप से परिचित हो जाएं।
तो इस साल हमारे योग का असली फोकस बच्चे और युवा हैं। इसके अलावा, हम देश से बाहर भी कई और आयोजन करने जा रहे हैं। हम लोग आने वाले दिनों में अलग-अलग निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों और विदेशों में कार्यरत भारतीय दूतावासों से सपंर्क करने वाले हैं। 21 जून को होने वाले योग दिवस के दिन मैं यूनाइटेड नैशंस में बोलूंगा। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर हम लोग ईशा योग केंद्र में 21 दिनों का हठ योग कार्यक्रम उन लोगों के लिए करने जा रहे हैं जो इस योग को गंभीरतापूर्वक सीखना चाहते हैं। जो लोग 21 दिन नहीं दे सकते, लेकिन फिर भी हठ योग का अनुभव उसके शास्त्रीय स्वरूप में करना चाहते हैं, वे लोग 26 मई से 2 जून तक यहां आ सकते हैं।
जब तक आप अपने शरीर को अच्छी तरह से गूंथ कर तैयार नहीं करेंगे, तब तक ध्यानावस्था के गहन पहलुओं तक पंहुच बनाना, आध्यात्मिक प्रक्रिया के दूसरे पहलुओं की तलाश करना, और आध्यात्मिक संभावनाओं को अपने अनुभव में लाने का सवाल ही नहीं उठता। मैं कहूंगा कि इस दुनिया के लगभग 95 फीसदी लोग जब तक अपने शरीर को हठ योग की मदद से तैयार नहीं कर लेते, तब तक वे लंबे समय तक ध्यानावस्था में बैठ ही नहीं सकते। केवल तीन से पांच प्रतिशत लोग ही अपने कर्माें की वजह से बिना किसी खास तैयारी के ध्यानावस्था में बैठ सकते हैं।
अपने सिस्टम को समझने वाले एक शक्तिशाली विज्ञान के तौर हम हठ योग को उसके शास्त्रीय स्वरूप में सिखाते हैं। इस आठ दिनों के कार्यकम की सबसे बड़ी खूबी यह रहेगी कि मैं व्यक्तिगत तौर पर इस दौरान एक सत्र का संचालन करूंगा और आपके प्रश्नों का उत्त्र दूंगा। इसके अलावा, मैंने एक विशेष साधना तैयार की है, जिसे आप इस प्रतिष्ठित और ऊर्जा से भरे वातावरण में न सिर्फ कर सकते हैं, बल्कि इस स्थान की अनुकंपा भी ग्रहण कर सकते हैं। इंसानी तंत्र को गहराई से समझने के लिए हम एक खास स्तर की सैद्धांतिक जानकारी भी देंगे, जिससे आपको पता चल सके कि आपका यह सिस्टम कैसे काम करता है, और कैसे इसकी क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है। किसी भी इंसान के लिए एक समझदार और संतोषजनक जीवन जीने के लिए यह जानकारी बेहद अहम और सहयोगी होगी।