तब देवी देवताओं ने मदद की...
इस हफ्ते के सद्गुरु स्पॉट में सद्गुरु उन दो लोगों की कहानियां साझा कर रहे हैं जो दिव्य शक्ति के द्वार बन गए। "हिंदुस्तान में लोग देवी-देवताओं का प्रयोग बेहद शक्तिशाली तरीके से करते हैं। यहां खासी तादाद में देवी के उपासक हैं। ये लोग जब देवी के ...
कभी-कभी ये सुनने को मिलता है, कि जब कुछ देवी भक्तों पर देवी की कृपा होती है, तो देवी आकर उन्हें मदद करतीं हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही दो किस्से - सद्गुरु की दादी और प्रसिद्द गणितज्ञ रामानुजम के जीवन से
आंध्र प्रदेश की देवी साधिका
हिंदुस्तान में लोग देवी-देवताओं का प्रयोग बेहद शक्तिशाली तरीके से करते हैं। यहां खासी तादाद में देवी के उपासक हैं। ये लोग जब देवी के सामने बैठते हैं तो इनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के प्रति जबर्दस्त सूझबूझ और परख दिखाई देती है। लेकिन जैसे ही ये देवी के सामने से हटते हैं, तो ये इतने अनजान हो उठते हैं कि इन्हें पता ही नहीं चलता कि कुछ पल पहले ये क्या कह रहे थे। मुझे याद है कि नौ साल की उम्र में मैं आंध्र प्रदेश के गुंटकल में रहा करता था। वहां दो साल तक मेरी पढ़ाई हुई। वहां सड़क के किनारे बने एक छोटे से मंदिर में एक बूढ़ी महिला रहा करती थी। उसके बालों में जटाएं बन चुकी थीं। उसकी उम्र तकरीबन अस्सी साल से ऊपर की रही होगी।
तो एक दिन मैं और मेरी दादी उस मंदिर गए और वहां जाकर उसके भीतर बैठ गए। वह ईंट और पत्थरों से बना एक छोटा सा मंदिर था। मंदिर की देखभाल करने वाली वह बूढ़ी महिला देवी की प्रतिमा के सामने समाधि जैसी अवस्था में बैठी हुई थी। वह अपने मुहं से 'हाऊ-हाऊ' जैसी अजीब सी आवाजें निकाल रही थी। अचानक वह 'मैसूर अम्मा, मैसूर अम्मा' कहकर पुकारने लगी।
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गणितज्ञ रामानुजम पर नामगिरी देवी की कृपा
रामानुजन तमिलनाडु के एक जबदस्त मेधावी गणितज्ञ थे। उन्होंने बहुत थोड़ी सी औपचारिक शिक्षा पाई थी, उसके बाद उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई लिखाई अपने आप ही की। लेकिन दुनिया के नामी गणितज्ञों के साथ काम करने के लिए वह कैंब्रिज गए। जब मैं गणित कहता हूं तो आपको समझना होगा कि मेरा आशय सिर्फ स्कूल में पढ़ाए जाने वाले एक विषय भर से नहीं है। मेरा आशय उस गणित से है, जिसमें आप पूरी सृष्टि को महज नंबरों या संख्याओं में बदल सकते हैं।
साल 1920 में जिस समय रामानुजन मृत्युशैया पर पड़े हुए थे तो उस दौरान उन्होंने अपने सलाहकार अंग्रेज गणितज्ञ, जीएच हार्डी को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कुछ ऐसी नई गणितीय क्रियाओं का जिक्र किया, जिनके बारे में पहले कहीं नहीं सुना गया था। रामानुजन ने अपने शब्दों में लिखा- ‘जब मैं सो रहा था तो मुझे कुछ अजीब सा अनुभव हुआ। ऐसा लगा कि मेरे सामने बहते हुए रक्त सा एक लाल पर्दा खिंच गया हो। मैं उसे ध्यान से देख रहा था। तभी अचानक एक हाथ सामने आया और उसने उस स्क्रीन पर लिखना शुरू कर दिया। मैं पूरी तरह से सजग होकर उसे देख रहा था। उस हाथ ने इल्पिटिक इंटीग्रल की एक संख्या लिख दी। वे मेरे दिमाग पर अंकित हो गईं। जैसे ही सोकर उठा, मैं उनको लिखने के लिए तत्पर हो उठा।’ पिछले नब्बे सालों में कोई भी उस सिद्धांत को समझ नहीं पाया, लेकिन हर व्यक्ति जानता था कि इसमें जरूर कोई न कोई अद्भुत बात छिपी है। महज 2010 में ही लोगों ने खोज निकाला कि रामानुजन के इस सिद्धांत में ब्लैक होल के तमाम व्यवहारों की व्याख्या की गई है।
इसी तरह से ईशा योग भी अपने आप में एक द्वार है। ईशा योग में आने वाला तकरीबन हर व्यक्ति इसे झटके से खोलता है और ‘वाह’ कह कर इसे फिर से बंद कर देता है। आप खुद सहित अपने आसपास मौजूद हर व्यक्ति के साथ लगातार ऐसा होते देखते हैं। वे इसे खोलते हैं और ‘वाह’ कह कर इसे फिर से बंद कर देते हैं। उन्होंने इसमें भरपूर झांका भी। पर आपको इसे खोलकर हमेशा खुला रखना है। यही महत्वपूर्ण है।