योग दिवस : सरकारी स्कूलों में सिखायेंगे योग
आज के विद्यार्थी जिस तरह से असफलता से टूट जाते हैं, आत्महत्या तक कर लेते हैं, उसके प्रति अपनी चिंता व्यक्त करते हुए सद्गुरु आज के स्पाॅट में इस समस्या की विवेचना कर रहे हैं...
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सद्गुरु : मैं अनगिनत भाव स्पदंन कार्यक्रमों का हिस्सा रहा हूं, लेकिन अभी भी हर बार एक शानदार अनुभव होता है। इस कार्यक्रम के दौरान मानवीय चेहरों पर चिंता और सतर्कता की लकीरों को प्रेम व आनंद की बेफिक्री में बदलते देखना और आंखों से परमानंद के आंसुओं का प्रवाह देखना अपने आप में एक महान अनुभव है। विभिन्न पृष्ठभूमियों और भौगोलिक समुदायों से आए सात सौ से ज्यादा लोग अपने सारे अंतरों को पाट कर मिलने के लिए पिघलते जा रहे हैं। उन सबके मिलन से एका का प्रवाह बन गया है जो उसमें शामिल सभी लोगों के जीवन को रूपांतरित करने वाला है। मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि भाव स्पंदन इस दुनिया से परे की स्थिति है।
भाव स्पंदन आयोजन के बाद देर रात में एक भैरवी यंत्र कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो भोर तक खिंच गया। जो लोग लगातार भैरवी की अनुकंपा में रह रहे हैं, उनके जीवन के कहानियां और किस्सों को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भारत में स्कूल योग अभियान के जरिए बच्चों तक पहुँचने की हमारी कोशिश शुरुआती अपेक्षाओं से भी कहीं आगे जा रही है। इसके तहत हम सात राज्यों के 25,000 स्कूलों तक पहुँच रहे हैं।
यह अपने आप में बेहद अफसोस और निराशा की बात है कि पिछले कुछ सालों में तकरीबन 1700 से बच्चों ने आत्महत्या कर ली। जब 15 साल से कम उम्र के बच्चे अपने को खत्म करते हैं तो इसका मतलब है कि हम लोग बुनियादी रूप से कुछ गलत कर रहे हैं। इस समस्या की अनेदखी अपने ही समाज के ताने-बाने के लिए खतरा बन सकती है। राज्य सरकारों ने योग कार्यक्रम के लिए जबरदस्त उत्साह दिखाया और हमारी इस कोशिश में अपना भरपूर सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।
इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ईशा का फोकस बच्चों की बेहतरी के लिए तकनीक प्रदान करने का है। अपनी इस कोशिश के तहत हम देश भर के लगभग 1.5 करोड़ बच्चों तक पहुंच रहे हैं। भावी पीढ़ी की बेहतरी के लिए किए जाने वाले इस सबसे महत्वपूर्ण प्रयास को पूरा करने और सफल बनाने में सहयोग देने के लिए आप सभी का स्वागत है। आज जो हम हैं? उसकी तुलना में आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर इंसान बनाना एक ऐसी जिम्मेदारी है, जिससे हम मुंह नहीं मोड़ सकते।
इसे साकार करने के लिए अगले दो महीनों में मुझे आपके सहयोग की जरूरत पड़ेगी। इस योजना का सबसे बड़ा फायदा वंचित वर्ग के उन बच्चों को होगा, जो सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। एक हफ्ते की व्यस्तताओं के बाद आज मैं यहां से निकल कर कैलिफोर्निया जा रहा हूं, जहां से मैं भारत आउंगा और सीधे कुंभ में भाग लेने के लिए उज्जैन जाऊंगा। यह अपने आप में एक अलग वक्त की एक अलग दुनिया है। व्यस्तताओं की लंबी सूची, जिसमें अमेरिका के चुनिंदा विश्वविद्यालयों का दौरा भी शामिल है, के बाद कुंभ मेले में बोलना निस्संदेह अपने आप में एक अलग तरीके का अनुभव होगा।