चेन्नई बाढ़ : साहस और धैर्य दिखाया है चेन्नई ने
चेन्नई में आई भीषण तबाही के बारे में बात करते हुए आज के स्पॉट में सद्गुरु चेन्नई में बाढ़ से हुई तबाही और ईशा के द्वारा स्थापित 50 स्वास्थ्य केन्द्रों के बारे में बता रहे हैं, वे ईशा के स्वयंसेवकों और आप सभी से एक आह्वाहन भी कर रहे हैं।
ये एक विडंबना है कि जहां एक तरफ पेरिस में पर्यावरण सम्मलेन चल रहा है, और वे देश जिनकी विनाशकारी मौसम परिवर्तन में सबसे बड़ी भूमिका है, इस बात पर बहस कर रहे हैं कि भारत को अपने विकास पर लगाम लगानी चाहिए। जबकि अगर प्रति व्यक्ति औसत कार्बन फुटप्रिंट की बात करें तो भारत लगभग सबसे नीचले पैदान पर होगा। वहीँ दूसरी तरफ चेन्नई मौसम की मार झेल रहा है। अगर भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो चेन्नई बिल्कुल गलत तरीके से बसाया गया शहर है।
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राज्य सरकार के प्रयासों, केंद्र की ओर से मदद, थल और वायु सेना की मदद, और राज्य के बाहर और भीतर के संगठनों की मदद, और सबसे ज्यादा शहर के बाहर के लोगों की मदद से चेन्नई के लोगों को राहत मिली है। चेन्नई के लोगों का साहस और जोश इस अवसर को संभाल पाने में सक्षम है। निरंतर चंलने वाली बारिश की वजह से कई जीवन बह गए हैं, कई खत्म हो गए हैं। दिल तोड़ने वाली ऐसी कई कहानियां हैं जो शहर के निवासियों को एक लम्बे समय तक शोकाकुल करती रहेंगी। घर टूट गए हैं, कारोबार नष्ट हो गए हैं, पर तमिल लोगों का साहस वैसा ही बना हुआ है। साहस और करुणा के अनगिनत किस्से मानवीय संबंधों की दृढ़ता में विश्वास दिलाते रहेंगे, और एकता की प्रेरणा देते रहेंगे।
ईशा के स्वयंसेवी अपनी स्वार्थहीन भावना से राहत कार्य में लगे हुए हैं। उनकी ये भावना पूरे विश्व में प्रसिद्द हो गई है। ईशा ने 50 चिकित्सा केंद्र भी स्थापित किए हैं, जिनसे पानी कम होने के बाद, फ़ैल सकने वाले संक्रामक रोगों पर काबू पाया जा सके।
मैं सभी ईशा स्वयंसेवियों से अनुरोध करता हूं कि वे आगे आएं और अपनी ऊंचे दर्जे की सूक्ष्म दृष्टि के साथ एकात्मकता का परिचय दें ताकि चेन्नई और कुडालुर इलाके के असहाय लोगों की पीड़ा को कम किया जा सके।
मैं आपके साथ हूं, और आपकी सेवा और समर्पण का आभार प्रकट करने अगले हफ्ते चेन्नई आऊंगा।