इस बार के स्पॉट में सद्गुरु सभी लोगों को एक ऐसा तरीका बता रहे हैं जिससे हम अपनी सीमाओं से परे जा सकते हैं। हम बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक संकल्प ले सकते हैं। पढ़ते हैं इस तरीके के बारे में...
बुद्ध पूर्णिमा उन दिनों में से है जो हमें यह याद दिलाते हैं, कि लक्ष्य पाने का अडिग संकल्प रखने वाले खुद को मजबूरी व लाचारी की सभी सीमाओं से ऊपर उठा सकते हैं।
रूपांतरण के साधन उपलब्ध हैं। आप इतिहास के सही वक्त में मौजूद हैं। अपनी परम संभावना में खिलने के लिए ये समय बहुत अच्छा है।
पूरी दुनिया को निर्वाण की ओर प्रेरित करने का गौतम बुद्ध का सपना अभी भी अधूरा ही है। जिन्होंने एक पल के लिए भी अपनी सीमाओं से ऊपर उठने स्वाद लिया हो, उन सबसे मैं प्रार्थना करता हूं कि आप इस दिशा में काम कीजिए कि यह सबके साथ घटित हो सके। अगर आपका सवाल है ‘कैसे’ तो इसके लिए आप इस बुद्ध पूर्णिमा पर सबसे आसान काम यह कर सकते हैं, कि आप अपने जीवन के अब तक के अनुभवों में उस अनुभव को पहचानिए जो सबसे खुशनुमा और गहरा रहा हो। उस पल में आप किस तरह का चेहरा लेकर घूम रहे थे? उस अनुभव और अपने एक्सप्रेशन या हाव.भाव को जीवन की आधार-रेखा बनाइए। कोशिश कीजिए कि आप जो ऊंचाई पहले ही छू चुके हैं, उससे नीचे न आएं। आप हमेशा खुद को उस स्तर के ऊपर बनाए रखें। आप अपने जीवन के उस उच्च बिंदु को अपने भविष्य की आधार-रेखा बना लें। रूपांतरण के साधन उपलब्ध हैं। आप इतिहास के सही वक्त में मौजूद हैं। अपनी परम संभावना में खिलने के लिए ये समय बहुत अच्छा है। जब मैं यहां हूं तो फिर आपको दुनिया की चीजों की चाहत नहीं रखनी चाहिए। आपका लक्ष्य परम से कम नहीं होना चाहिए।
कामना है कि यह बुद्ध पूर्णिमा आपके विकास के लिए प्रेरक बने।
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