विवाह करें या ना करें – कैसे करें ये फैसला?
आज कल तलाक की बढ़ती घटनाओं ने युवाओं में विवाह को लेकर एक खौफ और एक सवाल पैदा कर दिया है कि विवाह करें या नहीं? तो क्या सचमुच विवाह नहीं करने का विकल्प है हमारे पास?
आज कल तलाक की बढ़ती घटनाओं ने युवाओं में विवाह को लेकर एक खौफ और एक सवाल पैदा कर दिया है कि विवाह करें या नहीं? तो क्या सचमुच विवाह नहीं करने का विकल्प है हमारे पास?
प्रश्न:
मेरा सवाल विवाह एवं तलाक के बारे में है। मेरी विवाह को 25 साल हो गए हैं। ऐसे कई मौके आए जब मैं तलाक के कगार पर पहुंच चुका था, मगर जब मुझे वाकई प्यार हुआ था तो यह एक शानदार अनुभव था। लेकिन मैं देखता हूं कि आज-कल के युवा विवाह ही नहीं करना चाहते और जिन्होंने कर भी ली है, वे तलाक ले रहे हैं। सद्गुरु, क्या आप इस विषय पर हमारा मार्गदर्शन करेंगे?
सद्गुरु:
जिस चीज के बारे में आप सिर्फ सोच रहे थे, उन्होंने वह कर डाला! लोगों को समझने की जरूरत है कि विवाह किस तरह की संस्था है। इसका एक पहलू तो यह है कि इंसान की मूलभूत जरूरतों में एक तरह की पवित्रता लाई जा सके।
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इंसानी जीवन, इंसान के बच्चों की प्रकृति ऐसी है कि दूसरे जीवों के मुकाबले एक इंसान के अंदर जो संभावनाएं होती हैं, उसके कारण वह सबसे असहाय जीव होता है और उसे सबसे ज्यादा सहायता की जरूरत पड़ती है। आप कुत्ते के बच्चे को सड़क पर छोड़ दें, अगर उसे खाना मिलता रहा तो वह धीरे-धीरे एक वयस्क और अच्छे कुत्ते में तब्दील हो जाएगा। मगर इंसानों के साथ ऐसा नहीं है - उसे न सिर्फ शारीरिक मदद बल्कि तमाम तरह की मदद की जरूरत पड़ती है। सबसे बढ़कर उसे एक तरह की स्थिरता चाहिए होती है। जब बच्चा 18 साल का हो जाता है, तब वह इस पर बहस करता है कि उसे विवाह करना चाहिए या नहीं क्योंकि तब उसका भौतिक शरीर आजादी चाहता है। ऐसे समय में हर कोई यह सवाल उठाता है कि क्या वाकई विवाह की जरूरत है। क्या हम जिस तरह चाहें, उस तरह नहीं जी सकते? मगर जब आप तीन साल के थे, तब आप एक स्थायी विवाह की अहमियत जानते थे - अपनी नहीं, अपने माता-पिता की।
जब आप तीन-चार साल के होते हैं, तब आप सौ फीसदी विवाह के पक्ष में होते हैं। जब आप 45-50 साल के होते हैं तब फिर से आप सौ फीसदी विवाह के पक्ष में होते हैं। 18 से 35 साल की उम्र में ही आप इस पूरी संस्था पर सवाल उठाते हैं।
जिस समय आपका शरीर आपके ऊपर हावी होता है, आप उसे मनमर्जी करने दें तो आप हर संस्था पर सवाल उठाएंगे। यह हार्मोन से उपजी आजादी है। हार्मोन आपकी बुद्धि पर कब्जा कर लेते हैं इसलिए आप हर चीज के मूल तत्व पर सवाल उठाते हैं। मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि विवाह ही सबसे सही संस्था है, मगर क्या आपके पास बेहतर विकल्प है? हम एक बेहतर विकल्प नहीं खोज पाए हैं क्योंकि एक बच्चे के लिए स्थायित्व भरा माहौल जरूरी है।
विवाह हर किसी के लिए नहीं है
अगर आपकी चाहतें और पसंद बदलती रहती हैं, आपकी भावनाएं बदलती रहती हैं, तो ऐसे हालात में पड़िए ही मत। हर किसी के लिए विवाह करना और बच्चे पैदा करना न तो अनिवार्य है और न ही जरूरी। लेकिन अगर आप विवाह करते हैं और खासकर अगर आपके बच्चे हैं तो आपको समझना चाहिए कि यह कम से कम 20 साल का प्रोजेक्ट यानी परियोजना है।
यदि आपको यह पसंद नहीं तो उस परियोजना को शुरू ही मत कीजिए। कम समय वाली परियोजनाओं को चुनिए। ऐसी परियोजनाओं के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। यह आपकी मर्जी है मगर कम से कम चयन पूरी जागरूकता के साथ करें। आपको सिर्फ इसलिए विवाह करने की जरूरत नहीं है कि हर कोई विवाह कर रहा है। आपको एक साथ विवाह और तलाक दोनों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है, मानो वे दोनों साथ-साथ आते हों। हाल तक इस देश में कोई तलाक के बारे में सोचता भी नहीं था।
अगर दो लोगों के बीच हालात इस हद तक खराब हो जाएं कि उसे ठीक करने का कोई तरीका न हो और उन्हें अलग होना ही पड़े तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है मगर ऐसा होता है। आपको अपनी विवाह के समय इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है।