शिक्षा वही जो जीवन-मूल्य बन जाए
ईशा विद्या कड्डलूर स्कूल के छात्र इस बात का एक जीवंत उदाहरण हैं कि सीखने की प्रक्रिया केवल कक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे आसपास की दुनिया में कारगर सिद्ध होती है ...
सीखने का अर्थ कुछ आंकड़ों और तथ्यों को याद कर लेना भर नहीं होता है, बल्कि उससे कहीं अधिक व्यापक होता है। जब किसी का ज्ञान जीवन के गहरे अंतर्ज्ञान में बदल जाए, तभी हम कह सकते हैं कि उसे सही अर्थों में शिक्षा मिली है। कड्डलूर स्कूल की प्रशासक सुश्री पुष्पा एक ऐसा वाकया साझा कर रही हैं, जिससे हमें पता चलता है कि ईशा विद्या के विद्यार्थी किस तरह की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ।
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प्रोजेक्ट ग्रीनहैंड्स (पीजीएच) पर्यावरण की साज-संभाल से जुड़ा एक प्रोजेक्ट है, जिसमें स्थानीय समुदाय सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। इसके तहत स्थानीय लोग नन्हे पौधों को रोप कर तब तक उनकी देखभाल करते हैं, जब तक वे पौधे इतने बड़े नहीं हो जाते कि वो अपने दम पर जीवित रह सकें। इस तरह वे देश भर में तेजी से चल रही जंगल-कटाई की भरपाई करने में मदद कर रहे हैं। कुछ ईशा विद्या स्कूलों में पीजीएच नर्सरियां हैं, जहां विद्यार्थी नन्हे बीजांकुरित पौधों को रोपते हैं जो उनके पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम का ही हिस्सा है। उनको कक्षा का यह प्रायोगिक पहलू बड़ा अच्छा लगता है, खास तौर से जब वे बीजों को अंकुरित हो कर नन्हे पौधों की तरह बढ़ते हुए देखते हैं।
स्कूल के अधिकारी, समुदाय के लोगों तक जाते हैं और उनको प्रोत्साहित करते हैं कि वे तीज-त्योहारों के मौकों पर दोस्तों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों को नन्हे पौधे भेंट में दें। स्कूल स्टाफ और विद्यार्थी अपनी मिली-जुली कोशिशों और जागरूकता अभियानों के जरिए स्कूल क्लबों, फोरम्स, और समुदाय-समूहों को 3,000 पौधे मामूली दामों पर बेचने में सफल हो पाए। सुश्री पुष्पा ने सुबह की असेंबली के वक्त छात्रों को यह खुशखबरी दी और उन्हें उनके जोश और उत्साह के लिए बधाई दी। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि सिर्फ 845 पौधे ही बिकने से रह गए हैं।
अगले दिन बहुत-से विद्यार्थी तीन-तीन चार-चार पौधे खरीदने उनके दफ्तर पहुंचे। यह पूछने पर कि वे पौधे क्यों खरीदना चाहते हैं, वे बच्चे बोले कि वे यह सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि टर्म खत्म होने से पहले सभी बचे हुए पौधे बिक जाएं। पौधे खरीदने के लिए वे अपने जेब-खर्च का पैसा ले आए थे। वे इन पौधों को अपने घर और आसपास की जगहों में लगाना चाहते थे, ताकि घर के बड़ों को वे पेड़ उगाने की अहमियत जता सकें।
ये विद्यार्थी यह नहीं जानते थे कि ईशा विद्या स्कूल के विद्यार्थियों को ये पौधे मुफ्त में दिए जाते हैं। वे अपने जेब-खर्च के थोड़े से पैसे को भी खर्च कर देने को तैयार थे ताकि पौधे रोपने की सख्त जरूरत का संदेश सब लोगों तक पहुंच सके। वे अपनी बात पहुंचाने के लिए भाषण नहीं दे रहे थे, बल्कि सचमुच काम कर के दिखा रहे थे। उन विद्यार्थियों को हमारी बधाई, जिन्होंने अपनी सीख को काम के जरिए अमल में लाने की परिपक्वता दिखाई और उन शिक्षकों को भी हमारी बधाई, जिन्होंने बच्चों को इतने अच्छे ढंग से पाठ पढ़ाया।
ईशा विद्या के नौ ग्रामीण स्कूल 5,200 बच्चों को शिक्षा देते हैं, जिनमें से 2,900 बच्चों को उदार दानकर्ताओं की मदद से पूरी छात्रवृत्ति मिलती है। हमें अगले शैक्षणिक वर्ष के छात्रों की सुविधा के लिए 6 महीने के भीतर तुरंत 34 कक्षाओं का निर्माण करने की जरूरत है। आपका दान ऐसे गरीब बच्चों को एक उजला भविष्य देने में ईशा विद्या की मदद करेगा, जो इस मदद के बिना पीछे रह जाएंगे। अधिक जानकारी के लिए कृपया give.india@ishavidhya.org पर संपर्क करें।