ब्रह्मोपदेश : शिक्षा शुरू करने से पहले दीक्षा
शिक्षा एक शक्ति है। जाहिर सी बात है कि हम हर किसी को शिक्षित करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि हम शिक्षा के अनगिनत लाभों को जानते हैं। लेकिन क्या कभी शिक्षा खतरनाक भी हो सकती है ?
शिक्षा एक शक्ति है। जाहिर सी बात है कि हम हर किसी को शिक्षित करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि हम शिक्षा के अनगिनत लाभों को जानते हैं। लेकिन क्या कभी शिक्षा खतरनाक भी हो सकती है ? आइए जानते हैं -
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अगर किसी में क्षमता है, साथ ही वह बेकाबू और निरंकुश है और उसके दिल में प्रेम भी नहीं है, तो यह बड़ी खतरनाक स्थिति होती है। ऐसी हालत में आप अडोल्फ हिटलर जैसे हो सकते हैं। दुनिया में बड़ी तादाद में अडोल्फ हिटलर हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि उनमें से ज्यादातर सक्षम नहीं हैं। उनके भीतर उस तरह के संगठन की क्षमता नहीं है, जैसी जर्मनी के अडोल्फ हिटलर में थी। आपके भीतर भी एक अडोल्फ हिटलर है जो हर किसी पर राज करना चाहता है, लेकिन सौभाग्य से आप उतने सक्षम नहीं हैं। तो जब क्षमता और सामर्थ्य किसी ऐसे इंसान के अंदर आ जाती है जिसमें न तो कोई भाव है और न जो किसी की परवाह करता है तो वह बेहद खतरनाक स्थिति हो जाती है।
पुराने समय में ऐसा मानकर चला जाता था कि शिक्षा की शक्ति सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए, जो ब्रह्मोपदेश की प्रक्रिया को पूरा कर चुके हैं। यह अच्छी बात थी, लेकिन फिर बाद में ब्रह्मोपदेश भी जाति आधारित हो गया। इस चलन के बाद ही कुछ ऐसा होने लगा कि सिर्फ ब्राह्मण ही शिक्षा ग्रहण करने लगे। बाकी लोग अशिक्षित ही रह गए। अब ऐसी कोई बात नहीं रह गई थी कि शिक्षा उन लोगों को ही दी जाए, जो उसके लायक हैं। यह बात बीत चुकी थी। इसकी जगह अब नया चलन आ गया था जिसके मुताबिक अगर आपका जन्म किसी खास परिवार में हुआ है तो आप अपने आप शिक्षा के अधिकारी हैं। बाद की पीढिय़ों के लोगों ने इस तरह का चलन शुरू कर दिया। एक अच्छा तरीका जो अच्छे मकसद के साथ शुरू किया गया था, वही बाद में शोषण का जरिया बन गया।