शालिग्राम की कथा - शिव के पैरों तले आए पत्थर शालिग्राम बन गए

शैव संस्कृति में कहा जाता है कि शिव जहां से भी गुजरे, उनके पैरों के नीचे आने वाले सभी पत्थर और कंकड़, जिन पर उनकी कृपा हुई, वे विकसित होने लगे। कहते हैं कि उनके विकास में एक पूरा युग लगा।

वह शालिग्राम शायद डेढ़ सौ सालों से उनके परिवार में था। परदादा की मृत्यु के बाद, उन्हें पता नहीं था कि उसे कैसे रखना है।
एक युग करीब 84,000 साल का होता है। यह मापने का एक अलग तरीका है, जिसका मानव शरीर से संबंध है। तो उन्होंने 84,000 सालों तक विकास किया और शालिग्राम बन गए।

हर गोल पत्थर शालिग्राम नहीं होता। अगर आप संवेदनशील(सेंसिटिव) हैं, तो आप उसे अपने हाथ में लेकर एक साधारण पत्थर और शालिग्राम का अंतर साफ-साफ महसूस कर सकते हैं।

शायद आपको पता होगा कि यह ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है? क्या आपने आकाशगंगाओं की तस्वीरें देखी हैं? शालिग्राम में सदा विस्तृत होते ब्रह्मांड का एक प्रतीक प्राकृतिक रूप से अंकित होता है। योगी कभी-कभार शालिग्राम को तोड़कर वह प्रतीक लोगों को दिखाते थे। वह पत्थर का बहुत शक्तिशाली टुकड़ा होता है। यदि लोगों को पता हो कि उसका इस्तेमाल कैसे किया जाए, तो उसका बहुत चमत्कारिक असर होता है।

निधि : मेरे घर में एक शालिग्राम है। अगर वह इतना शक्तिशाली और क्षमतावान है, तो उसकी देखभाल कैसे की जानी चाहिए और उसका इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए?

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शालिग्राम के फायदे - शालिग्राम की कृपा जीवन को अलग दिशा देती है

सद्गुरु : देखिए, अगर आप किसी शिव-मंदिर के सामने की किसी दुकान में जाएं तो आप सौ शालिग्राम खरीद सकते हैं। लेकिन वे शालिग्राम नहीं होते, वे बस अंडाकार पत्थर होते हैं। आप जानते हैं कि जब बच्चे समुद्र तट पर या नदी किनारे जाते हैं, तो वहां पत्थर इकठ्ठा करना उन्हें अच्छा लगता है, यहां तक कि बड़ों को भी। इसलिए लाखों घरों में उस तरह के लाखों पत्थर हैं। वे सब शालिग्राम नहीं हैं। उनका बस आकार वैसा है, क्योंकि अधिकांश पत्थर नदी के बहते जल की वजह से वैसा आकार पा जाते हैं।

असली शालिग्राम बहुत कम हैं। हो सकता है जो आपके पास है उससे आपकी भावनाएं जुड़ी हों, ठीक है। वह आपके लिए कुछ मायने रखता हो, कोई बात नहीं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उसे फेंक दें। आपको उससे डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मुझे यकीन है कि आप एक शालिग्राम की कृपा में नहीं रह रहे हैं। जब आपके पास एक शालिग्राम होता है, तो एक खास तरीके से चीजें घटित होती हैं। वह आपसे आगे भागने लगेगा। आप जितनी तेज दौड़ सकते हैं, जीवन उससे तेज भागेगा। वह आपको एक अलग दिशा में ले जाएगा।

शालिग्राम से समस्याएँ पैदा होने लगीं

मेरे पास एक शालिग्राम का आधा है,वो मुझे कैसे मिला यह आपको बताता हूं। एक परिवार काफी समस्याओं से गुजर रहा था। ऐसा दस-बारह सालों से चलता आ रहा था।

 ध्यानलिंग प्रक्रिया के बाद जब मेरा शरीर पूरी तरह टूट चुका था और वह रहने लायक भी नहीं बचा था, तब मैनें बड़े पैमाने पर कई बार शरीर को ठीक करने के लिए उस शालिग्राम का इस्तेमाल किया।
  उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, फिर वे मेरे पास आए। जब वे मेरे पास आए, तो मैंने उनसे पूछा, ‘क्या आपके घर में कोई मूर्ति या कोई वस्तु है?’उन्होंने पहले ना कहा, फिर एक महिला वापस आईं और कहा कि उनके परदादा के पास एक शालिग्राम था और वे अब भी उसकी पूजा करते हैं। वह शालिग्राम शायद डेढ़ सौ सालों से उनके परिवार में था। परदादा की मृत्यु के बाद, उन्हें पता नहीं था कि उसे कैसे रखना है। एक दिन एक योगी घर आए और उन्होंने शालिग्राम को दो टुकड़ों में तोड़कर उनको बताया कि वह क्या है। एक टुकड़ा वह अपने साथ ले गए। दूसरा टुकड़ा अब भी उनके पास है और वे अब भी उसे पूजा कक्ष में रखते हैं। तब से उनकी समस्याएं लगातार चली आ रही हैं।

ध्यानलिंग प्रक्रिया के असर से मुक्त किया शालिग्राम ने

मैंने उनसे कहा, ‘उसे लेकर आइए, मैं देखता हूं।’ उसे देखते ही मैं समझ गया - अरे यह तो शिव का एक तत्व है.. बहुत ही शक्तिशाली। इसलिए मैंने उनसे कहा, ‘आप इसे मत रखिए। अगर आप यह मुझे दे दें, तो मैं हमेशा आपका आभारी रहूंगा, अन्यथा उसे नदी में फेंक दें। उसे अपने घर में मत रखिए।’ घर में खूब सोचा-विचारा गया, ‘यह हमारे परदादा की चीज है, क्या हमें इसे दान कर देना चाहिए, क्या हमें इसे फेंक देना चाहिए?’ लगभग एक महीने बाद वे आश्रम आए और शालिग्राम मुझे सौंप कर बोले, ‘इसे आप रखिए।’ मैंने कहा, ‘आपने यह अच्छा काम किया।’वह शालिग्राम मेरे लिए काफी चमत्कारी रहा है, खासकर ध्यानलिंग प्रक्रिया के बाद जब मेरा शरीर पूरी तरह टूट चुका था और वह रहने लायक भी नहीं बचा था, तब मैनें बड़े पैमाने पर कई बार शरीर को ठीक करने के लिए उस शालिग्राम का इस्तेमाल किया। वह शालिग्राम स्पंदित होता रहा और उसने मुझे जीवित और सक्रिय रखा।

शालिग्राम को कहाँ रखना चाहिए और उनकी पूजा विधि

कुछ दूसरी तरह के शालिग्राम होते हैं, जिनका लोगों पर हल्का प्रभाव होता है। यह अच्छा होता है। लेकिन उनके लिए भी मैं सलाह दूंगा कि वह सिर्फ ऐसे लोगों के लिए है जो अपने घरों में पूजा का एक खास स्थान बना कर रखते हैं, रोजाना एक खास देखभाल करते हैं।

 पारंपरिक रूप से आपको हमेशा कहा गया है कि अगर आप एक मूर्ति रखते हैं, तो मूर्ति की रोज देखभाल होनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते, वे घटती ऊर्जाओं में बदल जाते हैं।
मान लीजिए आप रोजाना उस पर फूल चढ़ाते हैं या रोजाना एक बूंद जल या दूध या और कुछ चढ़ाते हैं, तो वह निश्चित रूप से जारी रहना चाहिए। अगर आप किसी सुबह भूल गए, तो वह आप पर क्रोधित हो सकता है। आप जानते हैं कि वह शिव है। मैं यह मजाक में नहीं कह रहा हूं। पारंपरिक रूप से आपको हमेशा कहा गया है कि अगर आप एक मूर्ति रखते हैं, तो मूर्ति की रोज देखभाल होनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते, वे घटती ऊर्जाओं में बदल जाते हैं। घटती ऊर्जाएं खतरनाक होती हैं। इस देश में ऐसा हो सकता है कि बहुत से मंदिर जो मानव कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं, एक समय के बाद खतरनाक शक्तियों में बदल जाएं क्योंकि उनकी देखभाल का तरीका बदलने लगा है। विज्ञान पूरी तरह खत्म हो गया है और लोग वहां पर बेवकूफाना चीजें कर रहे हैं, धीरे-धीरे जब वह घटती ऊर्जाओं में बदल जाता है, तो वह लोगों की जिन्दगियों में तबाही ला सकता है।

इसलिए जब आप एक शालिग्राम रखना चाहें, तो आपको अपने घर में एक खास तरह का पवित्र माहौल बनाना होगा - किसी मंदिर जैसा पवित्र। अगर यह संभव नहीं है, तो आपको घर में ऐसी चीजें नहीं रखनी चाहिए। अच्छा यह होगा कि आप ध्यान करें और विकास करें, ऐसी चीजों के इस्तेमाल की बजाय अपने आप को एक शक्तिशाली ताकत के रूप में विकसित करें।