नया साल नया नजरिया : तय करें लक्ष्य नया
इंसान के अनुभवों में व्यक्तिगत रूप से भी और सामाजिक रूप से भी नए साल का एक खास महत्व है। नए साल के बहाने हमें एक मौका मिलता है, जब हम पीछे मुडक़र देख सकते हैं कि हमने अपने साथ क्या किया, इस धरती के साथ क्या किया और पूरी मानवता के साथ क्या किया। यह जीवन के लिए नए लक्ष्य को, नए नजरिए को तय करने का मौका भी है।
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इंसान के अनुभवों में व्यक्तिगत रूप से भी और सामाजिक रूप से भी नए साल का एक खास महत्व है। नए साल के बहाने हमें एक मौका मिलता है, जब हम पीछे मुडक़र देख सकते हैं कि हमने अपने साथ क्या किया, इस धरती के साथ क्या किया और पूरी मानवता के साथ क्या किया। यह जीवन के लिए नए लक्ष्य को, नए नजरिए को तय करने का मौका भी है।
सद्गुरु:
अगर हम अस्तित्व के स्तर पर देखें तो एक साल पूरा करके दूसरे साल में जाने का कोई मतलब नहीं निकलता है। हम कहीं नहीं जा रहे हैं, हम हमेशा इस एक पल में ही हैं। लेकिन इस धरती पर इंसान के अनुभवों में व्यक्तिगत रूप से भी और सामाजिक रूप से भी नए साल का एक खास महत्व है। नए साल के बहाने हमें एक मौका मिलता है, जब हम पीछे मुडक़र देख सकते हैं कि हमने अपने साथ क्या किया, इस धरती के साथ क्या किया और पूरी मानवता के साथ क्या किया। यह जीवन के लिए नए लक्ष्य को, नए नजरिए को तय करने का मौका भी है। अगर कोई इंसान अपने लिए या पूरी दुनिया के लिए कुछ करना चाहता है, तो यह बहुत जरूरी है कि उसके पास एक नजरिया हो।
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पुराने समय में ऐसा होता रहा है कि कभी बुद्ध, कभी जीसस या कभी विवेकानंद अपने विजन के साथ आगे आए और बाकी लोग जाने-अनजाने उनके पीछे-पीछे चल पड़े। लेकिन अब ऐसी स्थिति है, कि सबके दिमाग सक्रिय हैं। मानवता के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जब इंसानी दिमाग इतने सक्रिय हुए हों जितने कि आज हैं। यह एक असाधारण संभावना है और साथ ही एक जबरदस्त खतरा भी। दिशाहीन, बेतरतीब, और बेकाबू दिमाग दुनिया को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आज इंसान परिस्थितियां नहीं बना रहा, बल्कि परिस्थितियां इंसान को बना रही हैं। हालात बनाने के लिए आधुनिक विज्ञान ने काफी कुछ किया है, लेकिन इंसान को कैसे बनाया जाए, इस पर आधुनिक विज्ञान ने ध्यान नहीं दिया है। एक अच्छी मशीन कैसे बनाएं, अच्छा कंप्यूटर कैसे बने, अच्छे कारखाने कैसे लगें, तमाम तरह की उपयोगी चीजें कैसे बनाई जाएं, इन सब बातों पर तो विज्ञान ने पूरा ध्यान दिया है, लेकिन एक बेहतरीन इंसान कैसे बनाया जाए, विज्ञान ने इस बात को पूरी तरह से नजरंदाज कर दिया है।
हम हर किसी के मन एक ऐसी सोच पैदा करना चाहते हैं, जिससे शांति, प्रेम और आनंद से भरपूर दुनिया की रचना की जा सके। इसमें आपस का टकराव नहीं होगा। हम अपना व्यापार चलाना चाहते हैं, हम अपना परिवार चलाना चाहते हैं, हम एक देश को चलाना चाहते हैं, हम तमाम दूसरी चीजें करना चाहते हैं, ठीक है, ये सब दूसरे दर्जे की बातें हैं। लेकिन बुनियादी बात है, एक ऐसे विश्व का निर्माण करना, जो प्रेम, आनंद और शांति से भरा हो।
तो यह नया साल हमारे लिए एक मौका है कि हम अपना लक्ष्य इस तरह से निश्चित करें कि हजारों लोग उसी लक्ष्य को अपना लें।
स्रोत: ईशा लहर जनवरी 2014