मोटापा सिर्फ शारीरिक खूबसूरती को ही कम नहीं करता, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों को भी न्योता देता है। योगाभ्यास करके मोटापे से बचा जा सकता है। आपके शरीर पर किस तरह काम करता है योग? पेश है, मोटापे और योग पर विस्तृत जानकारी:

क्या मोटापा का मतलब ओवर वेट यानी अधिक वजन है ?

ये दोनों एक ही बात नहीं हैं। मोटापे का मतलब है, शरीर में बहुत ज्यादा चर्बी होना। जबकि ज्यादा वजनदार होने का मतलब है, वजन का सामान्य से ज्यादा होना। किसी शख्स का ज्यादा वजन उसकी मांसपेशियों, हड्डियों की वजह से भी हो सकता है, और इसकी वजह उसके शरीर में मौजूद चर्बी की ज्यादा मात्रा भी हो सकती है। जिस शख्स का BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स 25 से 29.9 के बीच होता है, उसे डॉक्टरी भाषा में ओवरवेट या ज्यादा वजनदार कहा जाता है। दूसरी ओर जब BMI 30 या उससे अधिक होता है, तो इसे मोटापा कहा जाता है। मोटापा दुनिया भर में फैली एक गंभीर बिमारी है, जिससे हर चार में से एक अमेरिकी प्रभावित है, और भारत में करीब 3 करोड़ लोग इसके शिकार हैं। माना जा रहा है कि अगले पांच साल में यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। भारत इस मामले में तमाम विकासशील देशों का अनुसरण कर रहा है, जहां के लोग लगातार और ज्यादा मोटे होते जा रहे हैं।

योग आपकी प्रणाली को इस तरह से तैयार करता है, कि आपको ज्यादा खाने की जरुरत ही महसूस नहीं होती। योग में सबसे बड़ा फर्क इसी चीज का है।

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ग्लोबल फूड बाजारों से जुडऩे के बाद भारत के लोगों को प्रॉसेस्ड फूड यानी बने-बनाए खाने आसानी से उपलब्ध हैं, जो सेहत के हिसाब से नुकसानदेह हैं।  वंश से आने वाले शारीरिक प्रभावों के कारण भी, भारतीय लोग वजन बढऩे की दृष्टि से संवेदनशील हैं। खासकर कमर के आसपास के हिस्सों में उनका वजन जल्दी बढ़ सकता है।

सेहत संबंधी खतरे:

मोटापा सिर्फ  इसीलिए बुरा नहीं है, कि इससे इंसान की खूबसूरती में कमी आती है, बल्कि यह इंसान की सेहत को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाता है। अमेरिका में आम तौर पर हर साल मोटापे या फिर उससे जुड़े कारणों से 3 लाख मौतें होती हैं। इनमें 80 फीसदी से ज्यादा मौतें ऐसे मरीजों की होती है, जिनका बीएमआई 30 से अधिक है। जिन मरीजों का बीएमआई 40 से ज्यादा है, उनकी जीवन अवधि में खासा कमी आ जाती है। पुरुषों में यह 20 साल और महिलाओं में 5 साल तक कम हो जाती है। मोटापे की वजह से जिन लंबी और जटिल बीमारियां होने के खतरे भी बढ़ते हैं, उनमें से प्रमुख हैं:

- डायबीटिज यानी  मधुमेह

- उच्च रक्तचाप (हाई बीपी)

- उच्च कॉलेस्ट्रोल

- स्ट्रोक

- दिल का दौरा

- कुछ कैंसर

- पित्त की पथरी

- गठिया और ऑर्थराइटिस

- घुटनों, कूल्हों और कमर के निचले हिस्से का ऑस्टियो-ऑर्थराइटिस

- नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत

सद्‌गुरु का कहना है:

'अगर आप नियमित तौर पर योग करते हैं तो आपका अतिरिक्त वजन जरूर कम होगा। योग सिर्फ  एकव्यायाम के तौर पर ही काम नहीं करता, बल्कि आपकी पूरी शारीरिक प्रणाली को फिर से जवान बनाता है, साथ ही आपके भीतर ऐसी जागरूकता भी पैदा करता है, कि आप खुद ही ज्यादा खाने से बचने लगते हैं। एकबार आपके शरीर में एकखास स्तर की जागरूकता आ जाती है, तो उसके बाद आपका शरीर ऐसा बन जाता है, कि यह सिर्फ उतना ही भोजन ग्रहण करता है,  जितना इसके लिए जरूरी होता है। जरूरत से ज्यादा यह कभी नहीं लेगा। ऐसा इसलिए नहीं होता कि कोई आपके शरीर को एक खास तरह से नियमित या नियंत्रित कर रहा है, या फिर आपसे कोई डाइट कंट्रोल करने के लिए कह रहा है। दरअसल, योगिक अभ्यास में आपको खुद को नियंत्रित नहीं करना पड़ता। आपको तो बस योगाभ्यास करना होता है। बाकी काम यह खुद करता है। यह आपकी प्रणाली को इस तरह से तैयार करता है, कि आपको ज्यादा खाने की जरुरत ही महसूस नहीं होती। अगर आप किसी और तरह के व्यायाम या डायटिंग आदि का सहारा लेते हैं, तो उसमें आपको खाने को लेकर लगातार खुद पर नियंत्रण की कोशिश करनी पड़ती है। योग में सबसे बड़ा फर्क इसी चीज का है। जब योग क्रियाएं शुरू की जाती हैं, तो कुछ लोगों का वजन घटना शुरू हो जाता है, वहीं कुछ लोगों का वजन बढऩे लगता है।

दरअसल, बेहतर स्वास्थ्य, शांतिमय होना, प्रेम, विनम्रता जैसी चीजें योग करने के साथ खुद ब खुद होती हैं। ये सारी चीजें योग का लक्ष्य या मकसद न होकर उसका गौण उत्पाद यानी बाइ-प्रोडक्ट हैं।

अगर आपका पाचन तंत्र खराब है, तो शरीर खाने को चर्बी में बदलने में ख़ास सक्षम नहीं होता। ऐसे में योग क्रियाएं करने से सबसे पहले आपकी पाचन अग्नि सक्रीय होने लगती है। पाचन अग्नि सक्रीय होने से पाचन क्रिया सुधरने लगती है। इससे आपका भोजन चर्बी और मांसपेशियों में बदलने लगता है, और आपका वजन बढऩे लगता है। अगर आपकी पाचन अग्नि पहले से ही ठीक है, और फिर आप योग क्रियाएं शुरू करते हैं, तो अन्न के रूपांतरण की दर बेहतर होने लगती है। उस स्थिति में अन्न शरीर की चर्बी में बदलने की बजाय एक खास तरह की सूक्ष्म ऊर्जा में बदलने लगता है। ऐसे में आप देखेंगे कि आप कितना भी क्यों न खाएं, आपका वजन बढऩे की बजाए घटने लगेगा। अगर आप क्रियाओं का अभ्यास करते हैं, तो आप पाएंगे कि आप कितना भी ज्यादा क्यों न खाएं, आपका वजन बढ़ नहीं रहा, बल्कि कम हो रहा है। या इससे उल्टा भी हो सकता है। हो सकता है क्रियाओं के नियमित अभ्यास से आपकी खुराक आश्चर्यजनक रूप से कम हो जाए, फिर भी आपका वजन कम न हो। इन सबकी वजह सिर्फ इतनी है, कि क्रियाओं के अभ्यास से आपके भोजन के मांसपेशियों और चर्बी इत्यादि में रूपांतरण की दर में सुधार आता है।

हालांकि हम वजन कम करने के मकसद से योग नहीं सिखाते। योग कोई ऐसी चीज नहीं है कि जो पतला होने, कमर दर्द कम करने या सिर दर्द में फायदे के लिए की जाए। हां, यह जरूर है कि योग को करने से इन चीजों में फर्क पड़ता है। दरअसल, बेहतर स्वास्थ्य, शांतिमय होना, प्रेम, विनम्रता जैसी चीजें योग करने के साथ खुद ब खुद होती हैं। ये सारी चीजें योग का लक्ष्य या मकसद न होकर उसका गौण उत्पाद यानी बाइ-प्रोडक्ट हैं। योग का असली उद्देश्य स्थूलता से परे जाकर आपके भीतर सूक्ष्मता के एक अलग आयाम की रचना करना व उसे सक्रिय बनाना है। एक बार जब आपके भीतर यह आयाम सक्रिय होने लगता है, तो फिर अस्तित्व घीरे-धीरे अपने लाखों अलग-अलग रूपों में आपके सामने खुलने लगता है। ऐसी चीजें जिनके अस्तित्व की आपने कभी कल्पना भी नहीं की होती, आपके लिए एक जीती जागती सच्चाई बन जाती हैं। योग से आपके भीतर सूक्ष्मता जागृत हो जाती है, और इससे आपके जीवन में स्वास्थ्य, प्रेम, शांति जैसी अनेक चीजें जीवंत हो उठती हैं।'

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