कितना काम और कितना आराम
कोई अपने जीवन में सही संतुलन कैसे लाए? अगर आप छोटे-मोटे काम करते हैं, तो आप तय कर सकते हैं कि आप छह घंटे काम करेंगे, छह घंटे आराम करेंगे, ये करेंगे, वो करेंगे। लेकिन अगर आप वाकई कोई महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं तो ऐसा कुछ नहीं होगा...

जाने-माने मनोवैज्ञानिक एरिक एरिकसन का मानना था कि जीवन में संतुलन की जरूरत है। एक शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए आपके काम, प्रेम और खेल में संतुलन होना चाहिए। कोई अपने जीवन में सही संतुलन कैसे लाए?
सद्गुरु:
100 प्रतिशत समर्पण के बिना कुछ संभव नहीं
आप अपने जीवन में कभी संतुलन नहीं ला पाओगे। आप बस इस तरह की किताबें बेच सकते हैं, लेकिन आप जीवन को वैसा नहीं बना सकते। अगर आप छोटे-मोटे काम करते हैं, तो आप तय कर सकते हैं कि आप छह घंटे काम करेंगे, छह घंटे आराम करेंगे, ये करेंगे, वो करेंगे। लेकिन अगर आप वाकई कोई महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं तो ऐसा कुछ नहीं होगा। यह 24घंटे का काम होगा।
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क्यों हो जाता है ज्यादा काम से तनाव?
अगर आप छोटे-मोटे काम करते हैं, तो इस तरह के फिलासफी काम कर सकते हैं। काम का तनाव क्यों होता है? क्योंकि आप कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसकी आपको कोई खास परवाह नहीं है, जिससे आपको कोई लगाव नहीं है। अगर आपका काम ऐसा है, जिसमें आपको आनंद आता है, आप उसकी परवाह करते हैं, तो आपको उसे करने के जितने ज्यादा मौके मिलें, उतना ही अच्छा। आराम जैसी कोई चीज नहीं होती। आराम तो अपने अंदर होने का एक ढंग है, आराम कोई काम नहीं होता।
क्या हर रोज़ आठ घंटे की नींद जरुरी है?
आजकल डॉक्टर कहते हैं कि आपको हर रोज आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए और अच्छी सेहत के लिए दस घंटे की नींद ली जाए। आप दस घंटे सोते हैं, दो घंटे आपके टॉयलेट, नहाने और खाने जैसे कामों में खर्च हो जाते हैं। इस तरह आपके 12 घंटे गए। तो अगर आप 100 साल जिए तो आपके 50 साल तो शरीर के सर्विसिंग में ही खर्च हो गए।
अपने काम में खुद को झोंक दें
तो तरीका यह है कि आप जो भी करना चाहते हैं, अपने आप को उसमें झोंक दीजिए। इस काम को करते हुए अगर आप खुद को मार भी डालते हैं तो भी इसका महत्व है। आराम, काम आदि का संतुलन कैसे बनाएं, इस तरह की बेकार की बातों में मत पड़िए। ऐसे तो आप जी भी नहीं पाएंगे, मरने की तो बात ही छोड़ दीजिए। बिना जीवन से जुड़े क्या आप जीवन जी सकते हैं?
जीवन को संतुलित बनाने की कोशिश से निराशा मिलेगी
अगर आप जीवन को जानना चाहते हैं तो इसके लिए जीवन से गहराई में जुडऩा होगा। पूरी तरह से जुडक़र आप जो भी करेंगे, उसका अनुभव शानदार होगा। वह आदमी जो चाकरी कर रहा है, तुच्छ काम कर रहा है, वही ऐसा कह सकता है कि वक्त खत्म तो काम खत्म। जिस किसी ने भी कोई महत्वपूर्ण काम हाथ में ले रखा है, वह कभी यह नहीं कहेगा कि वक्त पूरा हो गया। अगर आप कुछ सार्थक कर रहे हैं तो आप उस काम में 24 घंटे डूबे रहते हैं। यह ऐसे है जैसे आप इस मशीन को इस तरह से तेल दे रहे हैं कि अगर आप इससे 24 घंटे भी काम लेते रहें तो भी यह आराम से कम आरपीएम पर चलती रहे। यह महत्वपूर्ण बात है। अगर आप इस तरह से जी रहे हैं तो ही जीवन में संतुलन और शांति जैसी चीजें आ सकती हैं, नहीं तो अगर आप जीवन को संतुलित बनाने की कोशिश में लगे रहे तो आखिर में आपके हाथ निराशा और अवसाद ही लगेगा।