ट्विटर पर सदगुरु : जब हम कैलाश की बात करते हैं तो उसके तीन आयाम हैं-- एक तो उसकी सर्वथा भौतिक उपस्थिति ही है, दूसरा है वो जानना और ज्ञान जो वहां मौजूद है और तीसरा है कैलाश का स्रोत जो वहीं उपलब्ध है।

यहां पर सदगुरु उन विभिन्न आयामों के बारे में बता रहे हैंजो कैलाश के भाग हैं और यह भी कि हम उनका अनुभव करने के लिये कैसे पर्याप्त रूप से ग्रहणशील बन सकते हैं।

सद्‌गुरु: किंवदंतियां हमें बताती हैं कि कैलाश और उसके आसपास के क्षेत्रों में शिव भौतिक रुप में घूमे, फिरे, रहे थे। जब हम कैलाश की बात करते हैं तो उसके तीन आयाम हैं, एक तो उसकी सर्वथा भौतिक यपस्थिति ही है, दूसरा है वो जानना और वो ज्ञान जो वहां मौजूद है और तीसरा है कैलाश का वह मूल स्रोत जो वहां उपलब्ध है।

 

कैलाश : दृश्यमय सौंदर्य से परे का अस्तित्व

हिमालय पर्वत क्षेत्र में बहुत सारे पर्वत शिखर ऐसे हैं जो कैलाश से कई गुना बड़े और कहीं ज्यादा सुंदर हैं। 24000 फ़ीट से ज्यादा ऊंचाई वाले 100 से ज्यादा शिखर हिमालय में हैं। विशेष रूप से भारत से आने वाले लोग यदि कुछ खास मार्गों से आते हैं तो वे रास्ते में माउंट एवरेस्ट को भी देख सकते हैं। आकार और भव्यता की दृष्टि से उसके पश्चात कुछ और देखना बाकी नहीं रह जाता।

तो हम प्राकृतिक सौंदर्य देखने के लिये कैलाश नहीं जाते। लोगों ने इस विशेष पर्वत शिखर को जाना मान्य किया और वे वहां जाते हैं, न कि सम्पूर्ण हिमालय क्षेत्र में फैले हुए अन्य बड़े शिखरों की ओर, क्योंकि कैलाश में कुछ बहुत ज्यादा भारी और खास है जो आप को जबरदस्त रूप से प्रभावित करता है।

 

मान लीजिये आप एक छोटे बच्चे हैं जो अंग्रेज़ी के महज पहले तीन अक्षर जानता, पहचानता है, A, B औरC। तो फिर कोई आपको एक बड़े पुस्तकालय में ले जाता है जहां लाखों पुस्तकें हैं। आप ने बहुत सारी किताबें A अक्षर से शुरू होने वाली देखीं, फिर B से और फिर C से भी। तो वहां लाखों किताबें हैं और उनमें करोड़ों अक्षर हैं पर आप सिर्फ A, B और C जानते हैं। सोचिये, आप को कितना भारी पना लगेगा, जैसे कि उन सब ने आप को चकाचौंध कर दिया हो। ऐसा ही अनुभव कैलाश में होता है।

 

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

वहां जो कुछ भी है उसकी भारी भरकम उपस्थिति का अहसास सब को होता है। आप उसका अनुभव करने में चूक नहीं सकते, जब तक कि आप सारा समय सिर्फ कैलाश के साथ सेल्फी लेने में न बिताते हों। अगर आप का ध्यान बस इस पर लगा हो कि कैसे अपनी दो उंगलियों के बीच आप कैलाश को पकड़ सकते हैं तो आप को कैलाश की अनुभूति नहीं होगी। अन्यथा, कैलाश अपने आप में इतना जबरदस्त असरदायक है कि कोई उस अनुभव से बच नहीं सकता।

हाँ, इसका अहसास न होना कुछ ऐसा है जैसे आप के कमरे में हवा है। आप अगर बिना ध्यान रखे ऐसे ही सांस ले रहे हैं तो भी यह हवा आप को जिंदा रखेगी, पोषण देगी। लेकिन अगर आप होशपूर्वक, ध्यान से, अहसास के साथ सांस ले रहे हैं तो आप का अनुभव कुछ और होगा। आप चाहें तो आज रात को खाना खाते समय यह प्रयोग करें। कुछ, बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक, पोषक खाद्य पदार्थ लें, उसको अच्छी तरह से, ध्यानपूर्वक तैयार करें और फिर उसका एक छोटा सा भाग अपने गले में एक नली, कीप लगा कर डालें। आप को पोषक तत्व तो ज़रूर मिलेंगे पर कोई स्वाद या खाने का आनंद नहीं आयेगा। ऐसा ही आप के साथ कैलाश में भी हो सकता है। अपने साथ ऐसा न करें। पोषण तो आप को फिर भी मिलेगा ही लेकिन उसके स्वाद का आनंद लेना भी अच्छा होगा।

 

ज्ञान का विशाल ग्रन्थालय

दूसरा आयाम यह है कि कैलाश में जानने का और ज्ञान का विशाल भंडार है, एक ग्रन्थालय जैसा। आप किसी भव्य पुस्तकालय के विशाल संग्रह से प्रभावित हो सकते हैं पर यदि आप को वहां किताबें पढ़नी पड़ें तो फिर यह एक अलग बात होगी। अंग्रेज़ी भाषा पर अधिकार प्राप्त करने की बात नहीं है लेकिन उसे सीखने में-- कुछ कामचलाऊ पकड़ हासिल करने में भी दस, पंद्रह साल लग जाते हैं। अगर आप कैलाशमें संग्रहित ज्ञान को पाना चाहते हैं तो फिर तैयारी एवं भागीदारी का एक बिलकुल अलग ही स्तर, आयाम आप को प्राप्त करना पड़ेगा।

कुछ समय पहले, किसी ने मुझे पूछा-- " कैलाश (के ज्ञान) को हासिल करने के लिये, एक साधारण व्यक्ति को क्या करना चाहिये? अगर आप वाकई एक साधारण व्यक्ति हैं तो कैलाश की महत्ता को प्राप्त करना बहुत आसान होगा। मुझे नहीं मालून कि आप एक साधारण व्यक्ति का क्या मतलब निकालते हैं? क्या आप ने कभी कोई साधारण व्यक्ति देखा है? क्या आप कभी अपनी पत्नी के सामने कहेंगे कि आप एक साधारण व्यक्ति हैं?

अगर आप सही तौर पर एक साधारण व्यक्ति हैं तो मैं आप को यह सहज रूप से समझा सकता हूँ, आप के लिये भी यह प्राप्त करना आसान होगा। साधारण होने का अर्थ है, आप कुछ नहीं जानते।लेकिन आप उस तरह के नहीं हैं, आप एक बड़े होशियार व्यक्ति हैं, दूसरों को ऐसा लगे या न लगे पर कम से कम आप तो यही सोचते हैं। हर किसी को लगता है कि अपने स्वयं के क्षेत्र में वो एक होशियार व्यक्ति है। कोई अपने छोटे से घर में है तो किसी और की सीमायें थोड़ी बड़ी हो सकती हैं, लेकिन हर कोई कुछ विशेष है। कोई भी व्यक्ति साधारण नहीं होता।

अगर हम सही रूप से साधारण व्यक्ति बना सकते, चाहे पहाड़ों में उन्हें खींचते हुए ले जा कर या किसी भी अन्य तरीके से, तो हम उन्हें इतना साधारण बना देते कि हम जो भी कहें, वे सुनने, करने के लिये तैयार होंगे, तो फिर हम उन्हें समझा सकते हैं।

 

या फिर उन्हें वास्तव में बुद्धिमान होना चाहिये। बुद्धिमानी कभी किसी दूसरे की तुलना में नहीं होती। होशियारी हमेशा किसी दूसरे की तुलना में होती है। हम जब कहते हैं, "आप होशियार हैं", तो इसका मतलब यही होता है कि आप अपने पास के किसी व्यक्ति से, तुलनात्मक दृष्टि से कुछ आगे हैं। होशियारी कोई ज्यादा महत्व की नहीं होती।यह आप को कुछ धन कमाने में और समाज में स्थान बनाने में मदद कर सकती है लेकिन अस्तित्व की दृष्टि से वो आप को कहीं नहीं ले जाती।

बुद्धिमानी कोई तुलना नहीं मांगती। उसके पास तुलना करने के लिये समय नहीं होता, न ही कोई इच्छा होती है क्योंकि बुद्धिमानी को पता है कि यह बात कितनी छोटी है। अगर आप वास्तव में बुद्धिमान हैं और अपने आसपास की चीज़ों पर ध्यान देते हैं-- एक फूलपत्ती पर भी-- तो आप को महसूस होगा कि आप की बुद्धिमानी कितनी कम है। बुद्धिमानी का स्वभाव यह है कि वह अपनी स्वयं की सीमाओं को पहचाने कि वे क्या हैं?

एक साधारण व्यक्ति बुद्धिमान होता है। जब आप अपने आसपास की हर किसी वस्तु पर ध्यान देते हैं तो आप को पता चल जाता है कि एक छोटी सी पत्ती या छोटा सा फूल या रेत का एक कण भी, आप अपने आप को जो भी समझते हैं, वो उससे ज्यादा बुद्धिमान है। तब ही आप साधारण व्यक्ति हो पायेंगे।

 

कैलाश का स्रोत

तीसरा आयाम है, कैलाश का स्रोत। वह भी वहां है लेकिन वो बहुत सूक्ष्म है। अगर आप की समग्रता बहुत ऊंचे स्तर की है, समग्रता-- भौतिक, मनोवैज्ञानिक और ऊर्जा की दृष्टि से -- तो आप उसकी अनुभूति कर सकेंगे जो कैलाश का स्रोत है। वह एक खाली स्थान की तरह है जो हमेशा वहाँ होता है। आप अगर आकाश की ओर देखें, आप को चांद और तारे दिखेंगे, लेकिन अधिकतर लोगों को वह खाली स्थान नहीं दिखता जिसकी उपस्थिति वहाँ सबसे अधिक है। 99% ब्रह्माण्ड खाली है। लेकिन अधिकतर लोग इसे देख, समझ नहीं पाते। वे उसकी अनुभूति नहीं कर सकते क्योंकि वह बहुत ही सूक्ष्म है।

यह बहुत ही सूक्ष्म है लेकिन यह एक संभावना है क्योंकि इसको किसी योग्यता की ज़रूरत नहीं है, इसको सिर्फ समग्रता की आवश्यकता है। जिसकी ज़रूरत है वह है भौतिक, मनोवैज्ञानिक और उर्जात्मक समग्रता। उर्जात्मक समग्रता एक छोटे काल में तैयार नहीं होती। इसके लिये कुछ खास काम करना पड़ता है। लेकिन आप भौतिक एवं मनोवैज्ञानिक समग्रता कुछ ही दिनों में तैयार कर सकते हैं। इसके लिये बस कुछ सरल काम करने पड़ते हैं।

Image result for kailash isha foundation

अगर आप कैलाश जा रहे हैं तो उन कुछ दिनों के लिये, दिन में आप कितनी बार खाते हैं, इसका थोड़ा प्रबंधन कीजिये। आप तय कीजिये, कितनी बार। फिर बीच में कुछ मत खाईये। और इसके लिये भी समय तय कीजिये कि कब आप बात करेंगे या अपना फोन देखेंगे। अगर आप इसे बिल्कुल ही छोड़ देते हैं तो बहुत ही अच्छा है, नहीं तो अपनी आवश्यकतानुसार इसे तय कर लीजिये।

आप चुप नहीं रह सकते यह आप की मजबूरी है। आप को वही बेकार की बातें बार बार करनी पड़ती हैं। कम से कम जब आप कैलाश जा रहे हैं तो इन्हें पीछे छोड़ दीजिये। अपने आप में बैठिये, शांत। ध्यान केंद्रित कीजिये, अपने आसपास की हर बात के बारे में सावधान रहिये क्योंकि आप की आंतरिक व्यवस्था को, आप के अपने आप को, तैयार होना है नहीं तो यह सब कुछ भुला देगी, छोड़ देगी, चूक जायेगी।

वह ऊर्जा जिसे हम कैलाश कहते हैं, एक अदभुत संभावना है। "सदगुरु, क्या मुझे कुछ भी नहीं खाना है, ठीक है, में तीन दिन कुछ भी नहीं खाऊंगा"। तो फिर आप वापस ही नहीं आ पायेंगे। बात ये नहीं है। आप को बस ये तय करना है कि दिन में मुंह के अंदर कुछ डालने के लिये आप कितनी बार मुंह खोलेंगे? औऱ कितनी बार कुछ बोलने के लिये आप मुंह खोलेंगे? अगर आप दिन में तीन बार खाना चाहें तो तीन बार तय कीजिये। फिर चौथी बार मत खाईये। ये आप का चुनाव है। इसे तय कर लीजिये। तय करना कि मैं यह करूंगा और फिर वही करना, यही समग्रता है, सत्यनिष्ठा है। समग्रता का अर्थ भोजन सिर्फ एक बार करना या पांच बार करना नहीं है। समग्रता यह है कि मैं जो तय करूंगा, वही करूंगा।

मैं अनुशासन के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ। आप जो कहते हैं वही कीजिये, यह समग्रता है। मैं सामाजिक समग्रता की भी बात नहीं कर रहा हूँ। मैं भौतिक एवं मनोवैज्ञानिक समग्रता के बारे में बात कर रहा हूँ। यह होनी ही चाहिये, तभी वो योग्यता आती है कि किसी को कोई खास अनुभव हो, कोई खास बात छुए।