जब मन दर्पण बन जाए
हमारा मन वो उपकरण है जो हमारे आस पास होने वाली हर चीज़ का बोध कराता है। ऐसे में अगर मन पुरानी बातों की छाप अपने ऊपर ढो रहा हो, तो चीजों को साफ़-साफ और गहराई से देखना मुश्किल हो जाएगा। सब कुछ साफ़ साफ़ देखने के लिए मन दर्पण की तरह होना चाहिए...
हमारा मन वो उपकरण है जो हमारे आस पास होने वाली हर चीज़ का बोध कराता है। ऐसे में अगर मन पुरानी बातों की छाप अपने ऊपर ढो रहा हो, तो चीजों को साफ़-साफ और गहराई से देखना मुश्किल हो जाएगा। सब कुछ साफ़ साफ़ देखने के लिए मन दर्पण की तरह होना चाहिए...
हर चीज़ को वैसी हे देखें जैसी वो है
अगर रचनात्मकता पैदा करनी है, तो हमें अपने मन को एक खास स्तर तक विकसित करना होगा, जहां वह वस्तुस्थिति को विकृत करके न देखे। अगर आप हमेशा जीवन का बोझ लेकर चल रहे हैं, तो आप चीजों को वैसे नहीं देख पाएंगे जैसी वो हैं। योग में मन को हमेशा दर्पण के समान समझा जाता है।
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रचना करना आसान कैसे होता है?
मैं अपने ही जीवन का उदाहरण लूं तो मैं तो एक आध्यात्मिक गुरु हूं, लेकिन अगर किसी को कोई इमारत बनानी होती है तो वह मेरे पास आता है। अगर किसी को फूल लगाने हैं, किसी को सिलाई करनी है या किसी को बगीचा लगाना है, तो वह भी मेरे पास आ जाता है। इसके पीछे यह वजह नहीं है कि मुझे इन सभी कामों का बहुत ज्ञान है, बल्कि इसकी वजह यह है कि मैं चीजों को बहुत गहराई से देखता हूं। मैं हर चीज को उसके वास्तविक रूप में देख सकता हूं। जब आप किसी चीज को उसके वास्तविक रूप में देख पाते हैं तो फिर उसे वैसा बनाना बड़ा आसान हो जाता है, जैसा आप चाहते हैं। यह एक खास स्तर की सहभागिता है, खास किस्म का जुड़ाव है, जो आप विकसित करते हैं।
जब आप ऐसा नहीं सोचते कि एक चीज महत्वपूर्ण है और दूसरी नहीं, या फिर आपको फलां काम करना पसंद है और फलां काम नहीं, जब चीजों को लेकर आपके मन में ऐसा कोई भेदभाव नहीं रह जाता, तो आप हर चीज को बस उस तरह देखते हैं जैसी वह है। जब आप चीजों को इस तरीके से देखने लगते हैं तो कोई भी रचना करना बहुत आसान हो जाता है क्योंकि ऐसे में सवाल बस यह रह जाता है कि आपके पास क्या सामग्री है और उसे आप किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
पुल निर्माण का प्रस्ताव!
हाल ही की बात है, कुछ लोग चाहते थे कि मैं उनके शहर में एक पुल का निर्माण करूं। मेरे आसपास जो लोग थे, वे कहने लगे कि सद्गुरु, लोग आपसे पुल बनाने को कह रह रहे हैं! मैंने कहा - हां, हम यह पुल बनाने जा रहे हैं। मैं कोई काबिल इंजीनियर नहीं हूं।
कुछ लोग कह सकते हैं - "हो सकता है, आपके भीतर ऐसी आध्यात्मिक शक्ति हो कि यह सब हो रहा है", लेकिन ऐसा नहीं हैं। बात बस इतनी है कि लोगों ने अपने मन को पसंद और नापसंद से ढंक रखा है। यह मेरा है, यह मेरा नहीं है। यह महत्वपूर्ण है, वह नहीं है। अगर आप सोचते हैं कि कोई चीज महत्वपूर्ण नहीं है तो आप उसके साथ जुड़ाव भला कैसे महसूस कर पाएंगे! जिस चीज को आप अपना मानते ही नहीं, उसके साथ आप जुड़ ही नहीं सकते और जिस काम के साथ आपका जुड़ नहीं सकते, वह काम भी अच्छी तरह से नहीं हो सकता। जब आप उन सभी चीजों के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं, जिनके संपर्क में आप हैं, तो आप हर चीज को साफ तौर पर उस तरह देख पाते हैं, जैसे उन्हें देखा जाना चाहिए। जब तक आपके मन में चीजों को लेकर एक खास किस्म की स्पष्टता और हर चीज के साथ जुड़ाव नहीं होगा, तब तक आप अपना कामकाज ठीक तरह से कर ही नहीं पाएंगे। कामकाज तो खराब होगा ही, जीवन भी आपसे बचकर निकल जाएगा। आप इस दुनिया को जाने बिना, इसका कोई अनुभव किए बिना ही यहां पड़े रहेंगे।