ईशांगा 7%: हर कदम पे कृपा ही कृपा
“यदि आप खुद को एक मशीन के रूप में देखें तो आपके पास दिमाग है, शरीर है – लेकिन इनमें चिकनाई की तरह जो काम करती है वह है कृपा। सही मात्रा में चिकनाई के बिना एक बहुत बढ़िया इंजन भी ठीक तरह से काम नहीं कर सकता।” – सद्गुरु
“यदि आप खुद को एक मशीन के रूप में देखें तो आपके पास दिमाग है, शरीर है – लेकिन इनमें चिकनाई की तरह जो काम करती है वह है कृपा। सही मात्रा में चिकनाई के बिना एक बहुत बढ़िया इंजन भी ठीक तरह से काम नहीं कर सकता।” – सद्गुरु
ईशांग का शाब्दिक अर्थ है “ईश्वर का अंग” यानी ईश्वर का हिस्सा। ईशांग–7% सद्गुरु के साथ एक साझेदारी है – एक मौका है आपके लिए कि आप सद्गुरु की सोच को साकार करने की कोशिशों का एक हिस्सा बनें और इससे मिलने वाली कृपा से अपने जीवन को परम सुख की तरफ ले जा सकें। ईशांग-7% साझेदारी के लिए आप चेक या या डी.डी. द्वारा 1008/- रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क दे सकते हैं जो ईशा फाउंडेशन के नाम कोयंबतूर में देय होगा. आपको एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म भर कर उस पर अपना पासपोर्ट साइज़ का फोटो लगा कर नीचे दिये गये पते पर भेजना होगा. आप अपने वेतन या कारोबारी लाभ का 7% नियमित योगदान कर सकते हैं।
बधें कृपा के सूत्र में
महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच एक सुंदर स्थिति का वर्णन है। वे एक-एक कर सभी राज्यों में जा-जा कर सभी राजा-महाराजाओं से कुरुक्षेत्र में होने वाले युद्ध के लिए अपनी सेनाएं भेजने का आग्रह कर रहे थे। कौरवों में बड़ा दुर्योधन और पांडवों में बड़े युधिष्ठिर जो कृष्ण-भक्त थे, युद्ध में मदद लेने के लिए कृष्ण के पास गए।
कृष्ण ने कहा, “आप दोनों यहां आये हैं और आप दोनों एक ही चीज़ मांग रहे हैं। इसलिए मेरा प्रस्ताव है: ‘आप में से एक मेरी सेना ले लें और दूसरा मुझे। लेकिन मैं युद्ध नहीं करूंगा। मैं बस साथ रहूँगा। और चूंकि मेरी नज़र सबसे पहले युधिष्ठिर पर पड़ी थी इसलिए उनको चुनाव करने का मौका पहले मिलेगा।’ दुर्योधन ने विरोध किया, ‘मैं पहले आया था!’ कृष्ण ने कहा, ‘पर मैं क्या करूं? मेरी नज़र पहले उन पर पड़ी थी।’ फिर उन्होंने युधिष्ठिर से कहा, ‘आप बताइए आपको क्या चाहिए।’ युधिष्ठिर ने कहा, ‘भगवान, मैं आपको चाहता हूं। मुझे सेना की चिंता नहीं है, आपको कुछ नहीं करना होगा; हम बस इतना चाहते हैं कि आप हमारे साथ रहें.’ दुर्योधन बहुत खुश हुआ। वह पांडवों को मूर्ख तो समझता था, पर इतना नहीं कि दस हज़ार प्रशिक्षित सैनिकों की मजबूत सेना के आगे वो एक व्यक्ति को चुननें की मूर्खता करेंगे – कितना बेवकूफी भरा फैसला है! लेकिन यही फैसला युद्ध के नतीजे में इतना बड़ा अंतर लाने वाला साबित हुआ।
‘नन्मै उरुवम’ अर्थात ऊर्जा फॉर्म
इस 7% साझेदारी के तहत सद्गुरु आपको देते हैं ‘नन्मै उरुवम’ अर्थात ‘ऊर्जा का एक रूप’ जो एक शक्तिशाली यंत्र है। सद्गुरु आपको एक विशेष क्रिया में दीक्षित करेंगे जिसके माध्यम से आपमें आसानी से कृपा का संचार होने लगेगा और अपने हर काम-काज में आप उनकी कृपा की मौजूदगी का अनुभव कर सकेंगे।
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लोगों के अनुभव
- लगभग छह महीने पहले नयी ईशांग साझेदारी के बारे में मुझे जानकारी मिली थी और पता चला कि यह सिर्फ कारोबारी लोगों के लिए ही नहीं वेतनभोगियों के लिए भी है। अब मुझे लगता है कि मैं जिसकी खोज कर रहा था वह मुझे मिल गया है। पिछले छह महीनों में मैंने महसूस किया है कि कहीं कोई अनदेखी शक्ति, मेरा सही मार्गदर्शन कर के कोई आर्थिक घाटा नहीं होने दे रही है। मैं पिछले साढ़े-तीन वर्षों से ईशा के साथ हूं लेकिन पहले कभी मैंने सद्गुरु की उपस्थिति को इतनी गहराई के साथ महसूस नहीं किया था। मेरे अंदर के किसी छिपे हए विरोध ने अब रास्ता दे दिया है। – श्रीमती विद्या ईशांगा, मइलापुर, चेन्नै।
- जब से मैंने ईशांग-7% साझेदारी के लिए अपना नाम दर्ज किया है, मेरे दिल और दिमाग में मेरे कारोबार और मेरे जीवन में सद्गुरु मेरे सहभागी रहे हैं। मेरा कारोबारी जीवन अब पहले जैसा नहीं है।
जो हो रहा है उसको समझने का मैं दावा नहीं करता लेकिन जबर्दस्त अफरातफरी के बवजूद सब-कुछ बिलकुल ठीक होता जा रहा है। इसका एक और बहुत अच्छा लाभ ये मिला है कि मेरा कारोबार बढ़ा है.......फीसदी के हिसाब से नहीं बल्कि कई गुना तेज, एक उछाल के साथ बढ़ा है।
- राशिद सूरती, इशांग और कारोबारी, मुंबई।
इस साल होने वाले नन्मै उरुवम उत्सव की तारीख 9 जुलाई (2017) है
डाक से भेजने का पता:
ईशांग–7%, फंड रेज़िंग डिपार्टमेंट,
ईशा योग सेंटर,
वेलियंगिरि फुटहिल्स,
सेम्मेडु पोस्ट ऑफिस,
कोयंबतूर – 641 114
फोन: 9442504737 / 9442504655
ईमेल: 7percent@ishafoundation.org