हर जिम्मेवार व्यक्ति एक नेता है
जब हम नेतृत्व शब्द सुनते हैं तो हमारे ज़हन में सफ़ेद कपडे और नेता की टोपी पहने इंसान की छवि उभरती है। पर सद्गुरु कहते हैं कि हर कोई अपने अपने जीवन क्षेत्र में नेता है ...
यदि किसी इंसान को नेतृत्व की जिम्मेदारी बस संयोगवश मिली है और इसके पीछे उसकी दूरदर्शिता या काबिलियत नहीं है तो मुझे लगता है कि लोग ऐसे नेताओं के बीना ही बेहतर काम करेंगे। एक मूर्ख नेता के बदले किसी नेता का न होना ही बेहतर है, क्योंकि तब लोग अपने हिसाब से कुछ तो कर पायेंगे। आप समझ रहे हैं न?
एक मूर्ख प्रधान, मुखिया या नेता इतनी तबाही मचा सकता है कि कोई नेता न हो तो ही अच्छा है। किेसी नेता के अभाव में हो सकता है कि लोग अपने बल-बूते पर कुछ कर दिखएं पर मूर्ख नेता का होना ठीक नहीं। थोड़ी अव्यवस्था अव्श्य हो सकती है, पर लोग कुछ बेहतर कर के दिखा सकते हैं। सच कहें तो प्रधान का अर्थ एक ऐसे शख्स से है, जिसने जाने-अनजाने में कुछ लोगों का भविष्य अपने हाथ में ले लिया है। उसने यह जिम्मेदारी ले ली है। जब मैं प्रधान या नेता कहता हूं तो मेरा यह मतलब नहीं है कि आप किसी राष्ट्र के प्रमुख हैं, या किसी बड़े समुदाय के प्रधान हैं। आप एक परिवार चला रहे हैं तो भी आप प्रधान हुए न? है कि नहीं? एक तरह से आपने कुछ थोड़े से लोगों के जीवन का भविष्य अपने हाथ में ले रखा है। है न?
मतलब यह हुआ कि जो भी इंसान एक और इंसान की जिम्मेदारी उठाने को तैयार है, वह नेता है। यह बस पैमाने की बात है। लोग अपनी क्षमता के अनुसार नेतृत्व का पैमाना चुनेंगे, पर देखा जाये तो हर व्यक्ति एक तरह से नेता है। कम-से-कम अगर आपने अपनी जिंदगी अपने हाथों में ले ली है, तो भी आप एक नेता हैं। है कि नहीं? हां, अगर आप एक होबो हैं, तो फिर आप नेता नहीं हैं। जानते हैं होबो क्या होता है?
एक अमेरिकी पर्यटक इंग्लैंड के दौरे पर आया हुआ था। उसका अंग्रेज गाइड एक भवन की ओर इशारा कर के कहा, “यहां एक एरिस्टोक्रैट यानी कुलीन व्यक्ति रहता है।”
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अमेरिकी ने पूछा, “क्या कहा? एक ऐस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री)?”
“नहीं, एक एरिस्टोक्रैट।”
“यह क्या होता है?”
अंग्रेज को यह देख कर बड़ा अचंभा हुआ कि दुनिया में एक ऐसा आदमी भी है जो एरिस्टोक्रैट का मतलब नहीं जानता।
ओह! तो आप नहीं जानते कि एरिस्टोक्रैट क्या होता है? एरिस्टोक्रैट एक ऐसा शख्स होता है जिसे कोई काम नहीं करना पड़ता। किसी-न-किसी तरह से हर चीज उसके पास खुद-ब-खुद पहुंच जाती है। हमेशा कहीं-न-कहीं उसका एक आलीशान भवन होता है। वह जहां कहीं भी जाता है, उसको बैठने के लिए सबसे अच्छा स्थान मिलता है। वह कुछ भी नहीं करता, दूसरों के बलबूते पर ऐश करता है,” अंग्रेज ने कहा।
“ओह, समझा। अमेरिका में ऐसे लोगों को हम होबो कहते हैं।”
तो यह होता है होबो। जब तक आप होबो नहीं हैं तब तक आप किसी-न-किसी रूप में एक नेता हैं। है कि नहीं? तो एक बार जब आप यह समझ जायें कि आप एक नेता हैं तो इसका अर्थ यह है कि या तो आपने अपना भाग्य अपने हाथ में ले लिया है या कुछ थोड़े से लोगों का भाग्य आपके हाथ में है। यह एक खास जिम्मेदारी है।
अगर आप थोड़े से लोगों के एक समूह का नेता बनना चहते हैं तो सबसे पहले आपको कुछ ऐसा करना होगा कि समूह के सारे लोग आपसे प्रेम करने लगें। ठीक? तो फिर यह हम कैसे करें? क्या हम उनको प्रेम की गोली खिला देंगे? ऐसी तो कोई चीज है ही नहीं। अगर आप चाहते हैं कि समूह का हर व्यक्ति आपसे प्रेम करे, तो इसके लिए सबसे पहले आपको उन सबसे प्रेम करना होगा। तुरंत, बिना बिलंब किए। आपको यह तुरंत करना होगा, वैसे वे आपसे प्रेम करने के लिए थोड़ा वक्त लेंगे। वे धीरे-धीरे, आहिस्ता आहिस्ता आपकी तरफ खिंचेंगे। वे इस विशेष सुविधा के हकदार हैं। नेता बनने के बाद आप इस विशेष सुविधा के हकदार नहीं रह जाते। आपको यह बात समझनी होगी कि वे इस विशेष सुविधा के हकदार हैं, क्योंकि उनके पास विकल्प हैं, आपके पास कोई विकल्प नहीं है।
आप आपने आफिस में या जहां आप काम करते हैं, क्या आप वहां के नेता बनना नहीं चाहेंगे? आखिर आप हर दिन कई-कई घंटे वहां बिताते हैं, आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा वहीं गुजरता है। शायद किसी और जगह के मुकाबले ज्यादातर वक्त आप अपने काम की जगह में ही बिताते हैं। है न? आपमें से ज्यादातर लोगों के लिए क्या यह एक सच्चाई नहीं है? किसी और जगह के मुकाबले सबसे ज्यादा वक्त आप अपने काम की जगह पर ही रहते हैं। जब यही सच्चाई है, तो क्या यह जरूरी नहीं कि हम इसको एक खूबसूरत अनुभव बनायें?