बुरी आदतों से छुटकारा कैसे पाऊं मैं?
बुरी आदतें छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? एक जिज्ञासु ने जब सद्गुरु से यह सवाल पूछा तो सद्गुरु ने इसका बड़ा ही दिलचस्प जवाब दिया। लीजिए आप भी जानिए ...
बुरी आदतें छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? एक जिज्ञासु ने जब सद्गुरु से स्मोकिंग या धुम्रपान से जुड़ा यह सवाल पूछा तो सद्गुरु ने इसका बड़ा ही दिलचस्प जवाब दिया। लीजिए आप भी जानिए:
प्रश्न: सद्गुरु, हम सबके भीतर कुछ कमजोरियां हैं, जिन्हें हम पसंद नहीं करते। ऐसी ही एक कमजोरी है- धूम्रपान या स्मोकिंग करना। हमारे पंसद न करने के बाद भी ये कमजोरियां बनी रहती हैं। उनसे छुटकारा पाने के लिए क्या किया जाए?
सद्गुरु:
जितनी ज्यादा बार आप यह कहेंगे या सोचेंगे कि 'मैं यह नहीं चाहता’, वह बात उतनी ही ज्यादा आपके मन में घर करती जाएगी। वह आपके मन पर राज करने लगेगी। चलिए, एक प्रयोग करके देखते हैं। अगले 10 सेकंड तक आप कुछ भी सोचिए, बस बंदर के बारे में मत सोचिएगा। कोशिश करके देखिए। आप पाएंगे कि केवल बंदर ही आपके मन में आ रहे हैं। आप अपने मन से आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ सकते। आपको मन के तौर-तरीकों को समझना होगा और फिर यह तय करना होगा कि इसके साथ क्या किया जाना चाहिए।
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दरअसल सवाल धूम्रपान या स्मोक करने या नहीं करने का नहीं है। एक बार की बात है। एक आदमी अपनी पड़ोसी महिला मित्र के साथ कार से कहीं गया। उसने एक जगह गाड़ी पार्क कर दी। उसके बाद अचानक उसके हाथ उस महिला के शरीर तक पहुंचने लगे। वह महिला सकपकाई और गुस्से से बोली, ‘बेवकूफ, यह क्या कर रहे हो। मुझे लगता था कि तुम शरीफ़ इंसान हो, इसीलिए मैं तुम्हारे साथ आ गई। यह सब क्या बकवास है?’ वह आदमी बोला, ‘दरअसल, मैंने धूम्रपान छोड़ दिया है।’
तो बात यही है कि अगर आप मजबूर होकर जबर्दस्ती धूम्रपान छोड़ेंगे तो आपके साथ भी ऐसा ही होगा। यह लत कोई और रूप ले लेगी। आखिर आप सिगरेट पीकर क्या जताना चाहते हैं? आप सिगरेट क्यों पी रहे हैं? इसकी एक वजह शायद यह हो सकती है कि शायद आप उदास हैं, इसलिए आप निकोटीन की मदद से खुद को उत्तेजित करना चाहते हैं। दूसरी वजह हो सकती है कि मनोवैज्ञानिक तौर से आप अधूरा महसूस करते हैं। हाथ में सिगरेट पकड़कर आप खुद को थोड़ा बहादुर और मर्दाना महसूस करते हैं। बच्चे सिगरेट पीने की शुरुआत इसीलिए करते हैं, क्योंकि वे जल्दी से जल्दी बड़े बनना चाहते हैं। 10 साल का एक बच्चा सिगरेट इसलिए पीता है क्योंकि वह तुरंत एक वयस्क पुरुष बन जाना चाहता है। जब वह सिगरेट का धुआं खींचता है और फिर उसे किसी के मुंह पर छोड़ता है, तो उसे ऐसा लगता है, मानो वह अब बच्चा नहीं रहा, एक वयस्क पुरुष बन गया है। हालांकि अब ऐसा नहीं है, लेकिन दस साल पहले ऐसा था।
एक सूफी संत थे, जिनका नाम था इब्राहीम। एक शाम उनके आश्रम में उनके दो शिष्य उदास बैठे थे। एक शिष्य ने दूसरे से कहा, ‘मैं सिगरेट पीना चाहता हूं, लेकिन हम तो अध्यात्म के मार्ग पर चल रहे हैं। ऐसे में मैं धूम्रपान कैसे करूं?’ दूसरे ने कहा, ‘सिगरेट तो मैं भी पीना चाहता हूं, लेकिन आश्रम में पीना ठीक नहीं है।’
अगर आप इसे छोड़ने में कामयाब भी रहे, तो हो सकता है कि आप सपने में सिगरेट पीने लगें। ऐसा करके आप खुद को असलियत में धूम्रपान करने से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर आप कोई ऐसी चीज छोड़ते हैं जिसे दरअसल आप करना चाहते हैं तो सपने में आप वह काम और ज्यादा करेंगे। बस ये देखिए कि आपको कहीं किसी चीज की कमी महसूस होती है, इसीलिए आपको ऐसी आदतें पड़ीं। अगर आप थोड़ी गहराई में जाकर अपने भीतर थोड़ी जागरूकता लाएं, तो ऐसी आदतें अपने आप ही छूट जाएंगी।