ब्रह्मचारी क्यों पहनते हैं भगवा वस्त्र
गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है। हम इस रंग को इसलिए धारण करते हैं, ताकि यह ज्ञान पाने में हमारे लिए सहायक बन सके। इसलिए हमारे यहां तय किया गया है कि संन्यासी गेरुए वस्त्र पहनें।
सद्गुरु: हर रंग में कुछ खास तरह की खूबियां और स्पंदन होता है। कुछ हद तक यह अपने आप में एक तरह का सहारा होता है। लेकिन क्या इसका मतलब यह हुआ कि अगर हम काले रंग के कपड़े पहनेंगे तो हमारा मन काला हो जाएगा? हालांकि हम इसे पूरी तरह से तो सही नहीं कह सकते, लेकिन कुछ हद तक यह सही है। नारंगी रंग चूंकि कुछ धुंधला होकर हल्का पड़ गया है, इसलिए वह भगवा हो गया है। दरअसल, यह गेरूआ रंग है, आपको गेरूआ रंग का ही इस्तेमाल करना चाहिए। गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है। हम इस रंग को इसलिए धारण करते हैं, ताकि यह ज्ञान पाने में हमारे लिए सहायक बन सके। इसलिए हमारे यहां तय किया गया है कि संन्यासी गेरुए वस्त्र पहनें।
एक बात और, समाज में अकसर जब कोई किसी से मिलता है तो उसे कुछ खाने-पीने की चीजें पेश करता है। ऐसे में संभव है कि कोई आपको सिगरेट भी पेश कर दे। लेकिन अगर हम यह गेरुआ वस्त्र पहने हुए हैं, तो कोई हमारी तरफ सिगरेट नहीं बढ़ाएगा या हम खुद किसी को सिगरेट पीता देख उसकी तरफ हाथ नहीं बढ़ाएंगे। गेरुए वस्त्र पहनना दुनिया को यह बताने का एक तरीका भी है कि ‘मैं एक खास स्तर तक या चोटी तक पहुंचना चाहता हूं, कृपया आप इसमें मेरी मदद कीजिए।’ अगर आपका ऐसा इरादा है तो हम आपकी मदद करेंगे। पुराने समय में अपने यहां समाज में यही सोच हुआ करती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज तो लोग इस कोशिश में लगे रहते हैं कि उसे कैसे नीचे गिराया जाए। लेकिन वह दुनिया को यह सब इसलिए बता रहा है, ताकि दुनिया उसका सहयोग कर सके।
कृति: सद्गुरु, क्या आधिकारिक तौर पर ब्रह्मचारी हुए बिना कोई व्यक्ति ब्रह्मचारी हो सकता है? जैसे बिना भगवा वस्त्र पहने और बिना आश्रम में रहे भी कोई ब्रह्मचारी बन सकता है?
सद्गुरु: जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं कि ब्रह्मचर्य का मतलब ब्राह्मण यानी दिव्य के मार्ग पर चलना है। तो इसके लिए क्या किसी को आधिकारिक तौर पर ब्रह्मचारी बनना होगा? क्या वे इसके बिना आध्यात्मिक मार्ग पर नहीं चल सकते हैं? देखिए इसमें आधिकारिक जैसी कोई चीज नहीं होती, हर व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहिए। लेकिन बात यह है कि इंसान में शरीर, भावनाओं व विचारों का प्रभाव इतना जबर्दस्त होता है कि वे खुद उस रास्ते पर टिक नहीं पाते हैं। इसलिए उन्हें एक खास तरीके से दीक्षित किया जाता है। इसके लिए खास तरह की साधना की जाती है, उनकी ऊर्जा का खास तरह से रूपांतरण किया जाता है। अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि दीक्षा से पहले और बाद में उनमें बहुत फर्क आ जाता है। वे लोग वही इंसान नहीं रह जाते। यह बदलाव सिर्फ उनके पहनाव में नहीं होता, बल्कि यह बदलाव उनकी ऊर्जा में होता है, जिसे एक बिलकुल अलग दिशा में मोड़ दिया जाता है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि ब्रह्मचारियों का अलग सा पहनावा उनके लिए नहीं होता, समाज के लिए होता है, जिससे लोग ब्रह्मचारी के तौर पर उनका सहयोग कर सकें। उनका ब्रह्मचर्य उनकी पोशाक में नहीं है। उनका ब्रह्मचर्य है उनकी ऊर्जा में, जो पूरी तरह से मुड़ चुकी है। तो चाहे अधिकारिक तौर पर ब्रह्मचर्य हो या अनअधिकारिक तौर पर, यह वेशभूषा से जुड़ा हुआ नहीं होता।
अब बात करते हैं कि ब्राह्मण यानी ईश्वर के मार्ग पर चलने का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि अब आपका अपना कोई निजी मसला नहीं रहा। आमतौर पर आप वही करते हैं, जिसको किए जाने की जरूरत होती है। आपको अपने जीवन में कहां जाना चाहिए, आपको क्या करना चाहिए, क्या आपको अच्छा लगता है और क्या अच्छा नहीं लगता, इस तरह के कोई भी निजी मसले आपके सामने रहते ही नहीं है। ये सारी चीजें आपसे ले ली जाती हैं। अगर आप ये सब पूरे मन से करेंगे तो यह आपके जीवन को बेहद आसान और सुंदर बना देगा। अगर आप इसे बेमन से करेंगे तो यह पूरी तरह से एक अत्याचार हो सकता है। लेकिन अगर आप इसे मन से करते हैं तो यह अपने आप में एक शानदार चीज है, फिर आपको कोई और चीज परेशान नहीं करती, तब आप सहज रूप से वही करते हैं, जिसकी जरूरत होती है। जीवन इतना ही सरल है और आध्यात्मिक मार्ग की आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आपको अपनी आध्यात्मिकता की चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर आपने खुद को एक बार इस तरह से समर्पित कर दिया तो फिर आपका क्चयाल रखा जाने लगता है। फिर आपको इसे लेकर वाकई कुछ नहीं करना होता है। आप पूछ सकते हैं कि तो क्या मैं अपने तरीके से जिंदगी जीते हुए, ब्रह्मचारी बन सकता हूं? तब इसका कोई मतलब नहीं होगा। ब्रह्मचर्य किसी तरह का कोई फैशन नहीं है और न ही किसी तरह की सनक, जिसे आप अपना सकें, यह अपने निजी मसलों को छोडऩे का एक तरीका है। इसमें आप तय नहीं करते कि आपको कहां जाना है, क्या करना है, कैसे करना है। आपको यह सब छोडऩा होता है। जीवन तब बहुत आसान हो जाता है, लेकिन यह तभी संभव है, जब इसके लिए आपके अंदर तीव्र इच्छा हो।
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