आप जो कुछ भी करते हैं, वह एक योगदान हो सकता है। योगदान का मतलब यह नहीं है कि आपको किसी को कोई वस्तु देनी है। योगदान तो आप पहले से ही कर रहे हैं, बात सिर्फ यह है कि आप जागरूक नहीं हैं। 

परोपकार न करें, योगदान बन जाएं

सहायता का मतलब अपनी जेब से पैसे निकाल कर लोगों में बांटना नहीं है। मैं दान या परोपकार की बात नहीं कर रहा हूं। परोपकार गलत चीज है क्योंकि जहां प्यार नहीं होता, वहीं परोपकार संभव होता है। अगर आप अपने बच्चों के लिए कुछ करते हैं, तो क्या आपको लगता है कि आपने बहुत बड़ा परोपकार किया है? नहीं न? लेकिन अगर आप सड़क पर पलने वाले एक बच्चे के लिए कुछ करते हैं तो आपको लगता है कि आप बहुत बड़ा परोपकार कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको उससे प्यार नहीं है, आपने कभी यह नहीं सोचा कि उस बच्चे के लिए आपकी कोई जिम्मेदारी है।

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अगर आप सोचते कि आप उस बच्चे के लिए जिम्मेदार हैं, तो आप उसे परोपकार नहीं मानते। लेकिन जहां आप सोचते हैं कि मैं जिम्मेदार नहीं हूं, वहां आपको लगता है कि यह परोपकार है। बात सिर्फ परोपकार की नहीं है, हम जो भी करें, कुछ ऐसे करें कि हमारा जीवन ही एक योगदान बन जाए।

हर कार्य बन सकता है योगदान 

आप जब कहीं जाते हैं, तो अच्छे कपड़े पहनते हैं। यह एक तरह से हमारे परिवेश में हमारा योगदान है।

 जो बस ड्राइवर सड़क पर बस चला रहा है, देखिए कि वह कितने काम का आदमी है। कल अगर वह वहां नहीं होगा, तो बहुत से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। 
  अगर आप बदबूदार, फटे-पुराने कपड़े पहन कर जाएं, तो फिर परिवेश वैसा नहीं बनेगा। इसलिए यह निश्चित रूप से आपके परिवेश में आपका एक योगदान है। लेकिन आप इससे अनभिज्ञ हैं - यही एक समस्या है। लेकिन अगर आप कोई पोशाक इस सोच के साथ पहनते हैं कि मैं अपने आस-पास हर किसी के जीवन में योगदान कर सकूं तो वही पोशाक आपको कितना खूबसूरत अहसास देगी! चाहे उसकी कीमत 10 रुपये हो या 10,000 रुपये, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

तो आप जो कुछ भी करते हैं, वह एक योगदान हो सकता है। योगदान का मतलब यह नहीं है कि आपको किसी को कोई वस्तु देनी है। योगदान तो आप पहले से ही कर रहे हैं, बात सिर्फ यह है कि आप जागरूक नहीं हैं।

योगदान का भाव बनाता है हर काम को खूबसूरत अनुभव 

जो बस ड्राइवर सड़क पर बस चला रहा है, देखिए कि वह कितने काम का आदमी है। कल अगर वह वहां नहीं होगा, तो बहुत से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

अगर वह सिर्फ पीछे मुड़ कर देखता और ये सोचता कि ‘ये लोग यहां मेरे बच्चों की तरह बैठे हैं, मुझे इन्हें सुरक्षित ले कर जाना है,’ तो आप जानते हैं कि इस बस को चलाना कितना बढ़िया काम होता?
लेकिन वह बेवकूफ इस बात को नहीं जानता। जब आप जाकर किसी बस में बैठते हैं, तो क्या कभी सोचते हैं कि यह व्यक्ति बस चलाना जानता है या नहीं? आपको बस ड्राइवरों पर बहुत भरोसा होता है। आप अपने मां-बाप पर भी इतना भरोसा नहीं करते, लेकिन इस बस ड्राइवर पर आपको बहुत भरोसा होता है। बहुत से लोग अपनी जिंदगी उसके हाथों में सौंप कर सो जाते हैं। आपको इसके लिए कितने भरोसे की जरूरत होती है! अगर वह सिर्फ पीछे मुड़ कर देखता और ये सोचता कि ‘ये लोग यहां मेरे बच्चों की तरह बैठे हैं, मुझे इन्हें सुरक्षित ले कर जाना है,’ तो आप जानते हैं कि इस बस को चलाना कितना बढ़िया काम होता? जो भी हो, वह बस चलाना जानता है, रास्ता जानता है, तो वह आपको अच्छी तरह ले कर जाएगा, लेकिन अगर उसके अंदर यह जागरूकता होती, तो उसी बस को चलाना उसके लिए कितना खूबसूरत अनुभव होता।

बस अपने जीवन को एक योगदान बनाएं और आप खुद देखेंगे कि आप जिस दुनिया में रहते हैं, उसमें कितना अंतर आ जाता है।

afghangirl@wikimediacommons, axoplasm @flickr