अकल उलझ जाती है नकल करने से
आज लोग हर वक्त किसी और की नकल करने में लगे हुए हैं। आप किसी इंसान के पूरे जीवन को समझे बिना उसके कामों या आदतों की नकल करना शुरू कर देते हैं। औरों की नक़ल करना आपको उलझा देगा। आइये समझते हैं भगवान श्री कृष्ण के जीवन के माध्यम से …
आज लोग हर वक्त किसी और की नकल करने में लगे हुए हैं। आप किसी इंसान के पूरे जीवन को समझे बिना उसके कामों या आदतों की नकल करना शुरू कर देते हैं। औरों की नक़ल करना आपको उलझा देगा। आइये समझते हैं श्री कृष्ण के जीवन के माध्यम से …
प्रश्न: सद्गुरु, लोग कहते हैं कि कृष्ण खुश रहते थे और शरारत करते थे। लोग उन चीजों के लिए उन्हें पसंद करते हैं। लेकिन अगर मैं उनकी तरह शरारत करना और नाचना शुरू कर दूं, तो लोग मुझे गैरजिम्मेदार कहेंगे। क्या आनंदित होना या खुश होना गैरजिम्मेदारी है?
सद्गुरु: खुश होना कोई गैरजिम्मेदारी नहीं है, और ना ही कोई आपको खुश रहने से रोक सकता है। हां, लेकिन किसी दूसरे व्यक्ति को परेशान करके खुश होना जरूर गैरजिम्मेदारी है। अगर आपकी ख़ुशी के लिए कोई दूसरा व्यक्ति कीमत चुकाता है, तो यह आपकी गैरजिम्मेदारी है। अगर आप आनंदित होकर सहज रूप से नाचने लगेंगे, तो कोई भी आपको रोकना नहीं चाहेगा। लोगों को परेशानी तब होती है, जब आप औरों की परवाह किये बिना नाचते हैं। अगर आप सहज ही आनंद में मग्न होकर नाच रहे हैं, तो फिर इसमें किसी को क्या ऐतराज होगा। अगर आप सच्चे आनंद में डूबे हुए हैं, तो फिर आप लोगों की बातों की परवाह भी नहीं करेंगे। लेकिन दिक्कत यह है कि आप आनंदित हैं नहीं, बल्कि आनंदित होने की कोशिश कर रहे हैं।
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एक बार की बात है कि किसी कंपनी का एकसीईओ था, जो बेहद प्रतिभाशाली था। शून्य से शुरू करके वह दुनिया का सबसे अमीर आदमी बना था। उसकी एकखास आदत थी, जब वह सोचता था तो अपने दोनों पैर मेज पर रख लेता था, और हाथ में पाइप रखता था, जिसे बीच-बीच में पीता रहता। यह उसके सोचने का तरीका था। एक दिन ऐसा मौका आया कि उसका दामाद उस कंपनी का बॉस बन गया। हालांकि दामाद किसी काम का नहीं था। बॉस बनते ही उसने सबसे पहले अपने लिए एक पाइप खरीदा, और फिर अपने ससुर की तरह मेज पर दोनों पैर रखकर कर बैठ गया। लेकिन सिर्फ अपने पैर मेज पर रखने और पाइप पी लेने भर से दामाद ससुर की तरह नहीं बन सकता था।
आप किसी और की तरह काम करने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन ऐसा करते समय यह भूल जाते हैं कि वह व्यक्ति है कौन। दामाद ने ससुर की तरह बैठकर सोचा, कि ऐसा करके वह उन्हीं की तरह बन सकता है। किसी व्यक्ति की कोई आदत या काम उसके जीवन का आधार नहीं होता। जीवन में कुछ ठोस आधार होता है। इस आधार के कारण व्यक्ति किसी खास तरीके के काम करता है, या फिर उसकी कुछ खास आदतें बन जाती हैं।
आज लोग हर वक्त किसी और की नकल करने में लगे हुए हैं। आप किसी इंसान के पूरे जीवन को समझे बिना उसके कामों या आदतों की नकल करना शुरू कर देते हैं। यही सबसे बड़ी समस्या है। ऐसा करके आपको कोई फायदा नहीं होगा, आप और अधिक उलझ जाएंगे।