अच्छी सेहत है पूर्णता का अहसास
यदि हम बीमारियों से मुक्त हैं तो अकसर हम इसे ही असली स्वास्थ्य मान बैठते हैं। लेकन वाकई में यह स्वास्थ्य नहीं है। अगर हम देह, मन और आत्मा से एक पूर्ण मनुष्य के जैसा महसूस करते हैं, तभी हम वास्तव में स्वस्थ हैं।
हेल्थ (सेहत)शब्द मूल रूप से होल (संपूर्ण) से बना है। जब हम कहते है, "स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ '' तो इसका मतलब है कि अपने भीतर हमें एक पूर्णता का अहसास होता है। चिकित्सा की दृष्टि से यदि हम बीमारियों से मुक्त हैं तो हमें स्वस्थ माना जाता है। लेकिन वाकई में यह स्वास्थ्य नहीं है। अगर हम देह, मन और आत्मा से एक पूर्ण मनुष्य के जैसा महसूस करते हैं, तभी हम वास्तव में स्वस्थ हैं। ऐसे कई लोग हैं, जो चिकित्सा की दृष्टि से स्वस्थ हैं, पर वे सच्चे अर्थों में स्वस्थ नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अपने भीतर तंदुरुस्ती का अहसास नहीं होता।
योग में जब हम स्वास्थ्य कहते हैं तो हमारा आशय न तो तन से होता है और न मन से, इसमें हमारा आशय सिर्फ ऊर्जा के काम करने के तरीके से होता है। अगर आपका ऊर्जा-शरीर उचित संतुलन और पूर्ण प्रवाह में है, तो आपका स्थूल शरीर और मानसिक शरीर पूरी तरह से स्वस्थ होंगे। इसमें कोई शक नहीं है। बात जब सेहत की आती है तो कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से सुरक्षित स्थितियों में नहीं जीता। हम जो भोजन करते हैं, हम जिस हवा में साँस लेते हैं, हम जो पानी पीते हैं, दैनिक जीवन के तनाव जैसी तमाम चीजें कई तरह से हम पर असर डालती हैं । दुनिया में हम जितना ज्यादा सक्रिय होते हैं, उतने ही अधिक नकारात्मक चीजों के संपर्क में आते हैं। यह नकारात्मकता हमारे रसायनिक संतुलन को बिगाडक़र हमारे लिए स्वास्थ्य-समस्याएं खड़ी करती हैं। लेकिन अपने तंत्र में अगर ऊर्जा को सही ढंग से तैयार किया जाए और उसे सक्रिय रखा जाए, तो इन चीजों का असर नहीं होगा। तब भौतिक और मानसिक शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहेंगे। इसमें कोई शक नहीं।
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देखिए, जीवन कई तरह से काम करता है। मान लीजिए, आप बिजली के बारे में कुछ नहीं जानते। आप को नहीं पता कि बिजली क्या है। हॉल में अंधेरा है। अगर मैं आपसे कहूँ कि सिर्फ एक बटन दबाइए और सारे हॉल में रोशनी फैल जाएगी, तो क्या आप मेरा विश्वास करेंगे? नहीं। लेकिन जैस ही मैं आपके सामने बटन दबाता हूं, तुरंत रोशनी प्रकट हो जाती है। आप इसे एक चमत्कार कहेंगे, है कि नहीं? चूंकि आप नहीं जानते कि बिजली कैसे काम करती है, इसलिए आप इसे चमत्कार मानते हैं। इसी तरह, जीवन भी कई और रूपों में घटित होता है लेकिन आपने खुद को सिर्फ भौतिक व तार्किक तक सीमित कर रखा है। अनुभव में भौतिक और सोच में तार्किक।
फिलहाल चिकित्सा विज्ञान सिर्फ स्थूल शरीर को ही जान पाया है। अगर इससे परे कुछ होता है, तो आप उसे चमत्कार मानते हैं। जबकि मैं बस इसे एक दूसरी तरह का विज्ञान कहता हूँ। इतनी सी बात है। यह एक दूसरे तरह का विज्ञान है। आपके भीतर की जीवन-ऊर्जा ने आपके संपूर्ण शरीर का निर्माण किया है - ये अस्थियां, यह मांस, यह हृदय, ये गुर्दे और हर चीज उसी से बनी है। आपको क्या लगता है कि यह सेहत को बनाए नहीं रख सकती?
अगर अपनी ऊर्जा के पूर्ण प्रवाह और उचित संतुलन में रखा जाए, तो ये महज स्वास्थ्य ही नहीं बुहत कुछ करने में सक्षम है।