महाभारत - कृष्ण भी मुक्त नहीं हैं
सद्गुरु समझा रहे हैं कि महाभारत को बस एक कथा बनकर नहीं रह जाना चाहिए मगर ‘एक इंसान होने की गहराई और आयाम’ का अनुभव करने का एक अवसर बनना चाहिए।
महाभारत - कृष्ण भी मुक्त नहीं हैं
ईशा योग केंद्र में आयोजित महाभारत कार्यक्रम, सद्गुरु द्वारा महाभारत रुपी इस असाधारण महाकाव्य की खोज थी। इस कथा के दौरान सद्गुरु हमें बताते हैं कि किस तरह महाभारत सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि यह इस बात की गहराई और सभी आयामों का अनुभव करने का एक अवसर हो सकता है - कि इंसान होने का क्या अर्थ है।
सद्गुरु: हम महाभारत की वेदना का अनुभव कर रहे हैं। दुनिया भर के 450 से अधिक प्रतिभागी इस महान गाथा में भाग लेने के लिए आए हैं। यह कहानी करीब 5,000 साल पहले घटी, मगर कई रूपों में यह आज भी प्रासंगिक है। 1,00,000 से अधिक श्लोक कई हजार चरित्रों का जन्म से मरण तक – उनकी विजयों, खुशियों, दुखों और पिछले जन्मों का वर्णन करते हैं। इन आठ दिनों में हम इस कहानी को एक कहानी के रूप में नहीं देखेंगे, बल्कि उस रूप में देखेंगे, जिसमें वह हमारे लिए प्रासंगिक है। यह लोगों के लिए एक अवसर है कि वे इस कहानी को जिएं, एक इंसान होने का क्या अर्थ होता है, उसकी गहराई और सभी आयामों करें।