साउंड्स ऑफ ईशा
साउंड्स ऑफ ईशा अप्रशिक्षित संगीतकारों का एक विलक्षण समूह है, जो सद्गुरु की कृपा को संगीतमय अभिव्यक्ति देने की गहन चाह से प्रेरित हैं।
रहस्यवादी ध्वनि का हमेशा से उन आयामों में उपयोग करते आए हैंए जो मनोरंजन के क्षेत्र से कहीं परे हैं। सितार के तार से निकली एक सरल ध्वनि हमें उस पार का आनंद दे सकती है, कुछ ऐसा जिसे हज़ारों शब्दों के माध्यम से भी नहीं पाया जा सकता।
साउंड्स ऑफ़ ईशा, अप्रशिक्षित संगीतज्ञों की एक ऐसी विलक्षण मंडली है, जो सद्गुरु के अनुग्रह को संगीतमयी अभिव्यक्ति देने की प्रेरणा से प्रेरित है। सद्गुरु ने इस मंडली की रचना की और उनसे संगीत प्रस्तुत करने को कहा। एक सप्ताह बाद, सद्गुरु के एक प्रवचन के लिए, साउंड्स ऑफ़ ईशा सामने आया और आज, वे उनके अधिकतर कार्यक्रमों का अभिन्न अंग हैं और लोगों में, उन सद्गुरु द्वारा बहुतायात में भेंट की जाने वाली आध्यात्मिक प्रक्रियाओं के लिए एक खुलापन और ग्रहणशीलता जगाने में सफल रहे हैं।
साउंड्स ऑफ़ ईशा का काम, उससे जुड़े लोगों की तरह ही विविधता से भरपूर है। दल के सदस्य, ईशा फाउंडेशन के पूर्ण-कालिक स्वयंसेवक हैं और उनके प्रेरणादायक गीत, फाउंडेशन के कार्यों के विभिन्न आयामों को साझा करने के उनके जुनून का प्रवाह हैं। जहाँ इन गीतों का संगीत हमारे मन को शांत व मंत्र-मुग्ध करता है, वहीं इन गीतों की सच्ची संभावना यही है कि वे उस शाश्वत मौन को बाहर लाने में सफल रहते हैं, जो मनुष्य के अस्तित्व के भीतर समाया है।
प्रयोग करने में रूचि रखने वाले तथा अद्भुत रूप से जीवंत, साउंड्स ऑफ़ ईशा ने अपना पहला एलबम, 2004 में, महाशिवरात्रि के अवसर पर जारी किया, जिसका नाम था ‘एक्सुबरेन्स ऑफ़ द अनमैनिफेस्ट’ यानी अव्यक्त का उल्लास। उनका दूसरा एलबम “वाइट माउंटेन” यानी सफ़ेद पहाड़, पवित्र व रहस्यमयी वेल्लिंगिरी पर्वतों से प्रेरित था। इसके बाद बहुत सारे मास्टरपीस सामने आए और उनमें से प्रत्येक में बहुत ही मधुर तथा तीव्रता से भरपूर धुनें दी गई हैं।
इस ग्रुप ने अनेक प्रतिष्ठित आयोजनों तथा कांफेरेंसिस में अपनी उपस्थिति दर्ज़ की है, जिनमें 2006 में आयोजित जहान-ए-खुसरो फेस्टीवल, तथा डब्लयूपीओ, वाईपीओ तथा यूएन की अनेक कांफ्रेंस उल्लेखनीय हैं। उन्होंने अनेक गणमान्य हस्तियों के साथ भी प्रदर्शन दिया है जैसे महान तबलावादक शिवमणि, सूफ़ी संगीतज्ञ ज़िला खान तथा लोकप्रिय गायक रेमो फर्नांडीज़ आदि।
साउंड्स ऑफ़ ईशा के प्रदर्शन, प्रभावशाली होते हैंए और श्रोताओं को इस तरह मंत्रमुग्ध करने के लिए रचे जाते हैं . कि वे अपने ही अस्तित्व की सूक्ष्म अवस्थाओं तक पहुँच कर, लीन हो जाएं व आंतरिक अन्वेषण के लिए एक आधार पा लें।