क्या अगले की बरबादी में है आपकी कामयाबी?
चाहे हम किसी भी क्षेत्र में कम करें, किसी न किसी रूप में प्रतियोगिता का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे में मन अशांत हो सकता है। ऐसे में क्या करना चाहिए?
हार और जीत - कितने मायने रखते हैं
बाहर धड़ाधड़ पटाखों का धमाका!
मैंने पूछा, क्या माजरा है? पता चला कि किसी हीरो की फिल्म फ्लॉप हो गई है, जिसकी खुशी मना रहे हैं उसके विरोधी हीरो के उपासक। बेहूदगी की हद हो गई न?
फर्ज कीजिए, आप फुटबॉल की टीम में हैं।
मुकाबला करने के लिए सामने कोई टीम ही न हो तो आप जब चाहें गेंद को लेकर आगे बढ़ सकते हैं। वहाँ गाड़े गए दो खंभों के बीच में से गेंद को चलाकर चाहे जितनी बार गोल मार सकते हैं, आपको कोई नहीं रोकेगा। मगर, क्या आप इसे फुटबाल मैच कहेंगे?
या नहीं तो, जीतने की गरज से अपने से कमजोर के साथ, नौसीखिए खिलाडिय़ों के साथ खेलते रहेंगे?
अपने शिक्षक से कराटे मुकाबला
यामाकुची ‘कराटे’ के जाने-माने मास्टर थे। हर प्रतियोगिता में विजय उनके कदम चूमती। संयोग से एक बार अपने गुरुजी से उनका मुकाबला ठन गया।
यामाकुची ने गुरुजी को गिराने के लिए अपनी सीखी सारी विद्याएँ आजमाकर देख लीं, लेकिन गुरुजी बराबर उन पर भारी पड़ रहे थे।
स्पर्धा के बाद यामाकुची ने गुरुजी को प्रणाम करके अपनी हार का कारण जानना चाहा। गुरुजी ने पूछा, ‘‘वत्स, तुमने मुझे उस वक्त कैसे देखा था?’’
‘‘जब मुकाबले की बात आ जाती है तो वहाँ न कोई गुरु होता है न चेला। आपकी कमजोरियाँ ढूँढक़र किसी भी तरह आपको गिरा देने की मेरी पूरी कोशिश रही। फिर भी गुरुजी, मैं उसमें कामयाब नहीं हो पाया।’’
गुरुजी ने तब नीचे एक लकीर खींची।
‘‘बोलो, इस लकीर को छोटा करना हो तो क्या करोगे?’’
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यामाकुची ने लकीर के एक हिस्से को मिटाकर दिखाया।
‘‘मान लो, यही लकीर चट्टान पर अमिट बनी पड़ी है, तब?’’
यामाकुची को जवाब नहीं सूझा। गुरुजी ने उस लकीर के पास उससे भी लंबी एक लकीर खींच दी।
‘‘देखो, अब पहली लकीर छोटी पड़ गई न? अगर किसी पर विजय पानी हो तो उसे दबाने या गिराने की कोशिश मत करना। अपनी क्षमता को उससे ज्यादा बढ़ा लेना। अपने लिए खेलो, उसके खिलाफ मत खेलो’’
यामाकुची का दिमाग अब सुलझ गया।
प्रतियोगी दुश्मन नहीं है
आप चाहे जिस किसी भी क्षेत्र में रहें, कभी न कभी मुकाबले का सामना करना ही होगा। अपने प्रतियोगी को यदि आप दुश्मन के रूप में देखेंगे तो निश्चय ही मन की शांति खत्म हो जाएगी। फर्ज कीजिए, आप सडक़ पर चल रहे हैं।
आप सुबह उठकर खिडक़ी का पल्ला खोलते हैं। वही आदमी सामने खड़ा होकर आपके घर को घूर रहा है। आपको चिढ़ाने के लिए इस समय उसे कुछ भी करने की जरूरत नहीं... थूकने या पत्थर मारने की कोई जरूरत नहीं। बस, चुपचाप खड़ा रहे यही काफी है। आप का पारा चढ़ जाएगा और सारी चीजें गड़बड़ हो जाएँगी, है न?
वह कमजोर है या ताकतवर... यह कोई माने नहीं रखता... लेकिन जैसे उसने कल आपको बेवकूफ कहा था आज बनाके दिखा दिया न?
आपके दुश्मन आपको ज्यादा प्रभावित करते हैं
आप जिसे अपना मित्र मानते हैं उसमें भी तो इतनी ताकत नहीं है। जब आप किसी को अपना दुश्मन मानने लगते हैं, देखा न, वह कितना ताकतवर बन जाता है!
अच्छी तरह समझ लीजिए... आप यहाँ किसी से लड़ाई करने नहीं आए हैं।
यदि आप ईष्र्या और भय से वशीभूत होंगे तो आपकी क्षमता कुंठित हो जाएगी। याद रखें अपना हरेक कदम स्वयं को आगे बढ़ाने में काम आए, दूसरे को मिटाने के लिए नहीं। तभी लक्ष्य के शिखर पर पहुँचने तक की आपकी यात्रा आनंदमय रहेगी।
अपनी कार्यशैली को यूँ ढाल लें कि आपकी पूरी क्षमता प्रकट हो जाए, असली कामयाबी तभी मिलेगी। इसके लिए आपको अपने तन और मन दोनों को पूरी तरह से काम में लगाने का गुर आना चाहिए।
जो भी काम करें, मन से करें
इसके लिए नियमित योगाभ्यास से बढक़र कोई साधना नहीं है।
‘‘अगर हम ईश्वर के निकट रहना चाहें तो क्या हमें आपकी तरह दैनिक कार्यों को छोड़ देना होगा?’’
‘‘मैं अपने कपड़ों को खुद धो लेता हूँ, क्या वह दैनिक कार्य नहीं है?
अपनी पसंद का काम जो भी हो, पूरे मन के साथ उसे निभाइए, तब भगवान के समीप होने का एहसास पाएँगे।
आप कोई राजनीतिक कार्यकर्ता हो सकते हैं, मुनीम हो सकते हैं, किसी कंपनी के प्रबंधक हो सकते हैं या फिर सफाई कर्मचारी भी हो सकते हैं। इस दुनिया में जीवन-यापन करने के लिए कोई न कोई काम तो करना ही पड़ता है। उन सबको तुच्छ समझने से ही पैदा होती हैं झंझटें।
अपनी पसंद का काम जो भी हो, पूरे मन के साथ उसे निभाइए, तब भगवान के समीप होने का एहसास पाएँगे।
दूसरे किसी की तरह जीने की इच्छा लेकर नाहक दुख पालना व्यर्थ है।’’
संपादक की टिप्पणी:
20 फरवरी से 23 फरवरी तक ईशा योग केंद्र में सद्गुरु योगेश्वर लिंग की प्रतिष्ठा करने वाले हैं। इन्हीं दिनों यक्ष महोत्सव भी आयोजित होगा, और इसका सीधा प्रसारण आप यहां देख सकते हैं।
महाशिवरात्रि की रात होने वाले आयोजनों का सीधा प्रसारण आप यहां देख सकते हैं।
महाशिवरात्रि की रात के लिए खुद को तैयार करने के लिए आप एक सरल साधना कर सकते हैं। सात दिनों की साधना कल 18 फरवरी से शुरू हो रही है। इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहां जाएं।