स्वयंसेवा देगी कर्मों से मुक्ति और आनंद का अनुभव
ईशा में हर कदम पर स्वयंसेवा यानी वालंटियरिंग का अवसर मौजूद होता है। आखिर इससे ऐसा क्या होता है जिसकी वजह से इसे आध्यात्मिक प्रक्रिया का एक हिस्सा बनाया गया है?
ईशा में हर कदम पर स्वयंसेवा यानी वालंटियरिंग का अवसर मौजूद होता है। आखिर इससे ऐसा क्या होता है जिसकी वजह से इसे आध्यात्मिक प्रक्रिया का एक हिस्सा बनाया गया है?
प्रश्न : सद्गुरु, आप अक्सर इस बात पर बल देते हैं कि वही किया जाना चाहिए, जिसे किए जाने की जरूरत है। वालंटियरिंग यानी स्वयंसेवा के संदर्भ में इसका क्या अर्थ है?
स्वयंसेवा हर काम में होनी चाहिए
सद्गुरु : जब भी कुछ लोग दूसरों के कल्याण को अपने कल्याण से ऊपर रखने लगते हैं, तो अचानक ये हालात बहुत ताकतवर और साथ ही खूबसूरत हो जाते हैं। अगर इस संसार में सभी लोग
स्वयंसेवा करने वाला कोई काम इसलिए नहीं करता कि उसे ऐसे काम में फंसा दिया गया है। बल्कि वह खुद उसे करना चाहता है। वह अपनी इच्छा के बारे में नहीं सोचता। वह देखता है कि क्या करना चाहिए। उस अवस्था में, आप मुक्त हो जाते हैं। कर्म केवल नाम मात्र का रह जाता है।
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आपको अपने जीवन में भी ऐसा ही स्वयंसेवक बनना चाहिए। आप चाहे जो भी कर रहे हों, आपका अस्तित्व ऐच्छिक होना चाहिए, अनैच्छिक नहीं। यानी आप जो भी कर रहे हों स्वयंसेवा हो किसी मजबूरी से किया गया काम नहीं हो। हमें सारी दुनिया में ऐसे लोगों को तैयार करने की जरूरत है।
स्वयंसेवा आध्यात्मिक प्रक्रिया में मदद करती है
प्रश्न : जब लोग अपने स्वयंसेवा के अनुभव बांटते हैं तो बहुत से लोग कहते हैं कि इससे उन्हें आनंद व संतोष मिलता है। सद्गुरु, क्या आप इसे विस्तार से बता सकते हैं?
सद्गुरु : इस संसार में किसी के लिए उपयोगी हुए बिना भी मैं आनंदमग्न रह सकता हूं। लेकिन अधिकतर लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे कुछ करना चाहते हैं वरना वे खोये रहते हैं और खुद को बेकार मानने लगते हैं।
मैंने बहुत से लोगों को देखा है, जब वे भाव स्पंदन जैसे कार्यक्रम में आते हैं तो वे खुद को भी पूरी तरह से समर्पित नहीं कर पाते। परंतु बाद में, जब वे स्वयंसेवक के तौर पर आते हैं, जब वे सही मायनों में खुद को समर्पित करते हैं तो उनके अनुभवों एकदम से बढ़ जाते हैं। कार्यक्रम में वे कुछ खास अनुभव नहीं कर पाए, लेकिन जब वे स्वयंसेवा करने आते हैं तो उनके अनुभव का सारा आयाम ही बदल जाता है।
तो हम लगातार ऐसी संभावनाओं को प्रकट कर रहे हैं ताकि लोगों के भीतर के आध्यात्मिक आयामों को जगा सकें, ताकि वे उसे दूसरों के लिए साकार रूप देते हुए, खुद भी आनंद उठा सकें।