अगर सही तरह से उच्‍चारण किया जाए तो ‘शिव’ शब्‍द आपको अनुभव के एक नये आयाम में प्रवेश दिला सकता है।

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सद्‌गुरु:

जीवन की बहुत गहन समझ के साथ हम उस ध्वनि या शब्द तक पहुंचे हैं, जिसे हम शिव कहते हैं। इसका मानवीकरण, इसकी कहानी सिर्फ आपको इसके कई आयामों के बारे में समझाने के लिए है। हम जानते हैं कि इस ध्वनि का आपके ऊपर असाधारण असर हो सकता है।

यदि आपमें किसी चीज को ग्रहण करने की अच्छी क्षमता है, तो ये समझिए कि यह  ध्वनि- शिव, आपके लिए एक विस्फोटक की तरह काम कर सकती है, सिर्फ एक उच्चारण आपके भीतर बहुत शक्तिशाली तरीके से विस्फोट कर सकता है। इस ध्वनि में इतनी शक्ति है। यह एक विज्ञान है जिसे हमने अपने भीतर एक बहुत गहन अनुभव से समझा है। हमने बहुत गहराई से उसे देखा है।

शि-व मंत्र में एक अंश उसे ऊर्जा देता है और दूसरा उसे संतुलित या नियंत्रित करता है। दिशाहीन ऊर्जा का कोई लाभ नहीं है, वह विनाशकारी हो सकती है। इसलिए जब हम शिव कहते हैं, तो हम ऊर्जा को एक खास तरीके से, एक खास दिशा में ले जाने की बात करते हैं।

शिव में शि ध्वनि का अर्थ मूल रूप से शक्ति या ऊर्जा होता है। भारतीय जीवन शैली में, हमने हमेशा से स्त्री गुण को शक्ति के रूप में देखा है। मजेदार बात यह है कि अंग्रेजी में भी स्त्री के लिए शी’(she) शब्द का ही इस्तेमाल किया जाता है। शि का मूल अर्थ शक्ति या ऊर्जा है। लेकिन यदि आप सिर्फ शि का बहुत अधिक जाप करेंगे, तो वह आपको असंतुलित कर देगा। इसलिए इस मंत्र को मंद करने और संतुलन बनाए रखने के लिए उसमें जोड़ा गया। वाम से लिया गया है, जिसका अर्थ है प्रवीणता।

शि-व मंत्र में एक अंश उसे ऊर्जा देता है और दूसरा उसे संतुलित या नियंत्रित करता है। दिशाहीन ऊर्जा का कोई लाभ नहीं है, वह विनाशकारी हो सकती है। इसलिए जब हम शिव कहते हैं, तो हम ऊर्जा को एक खास तरीके से, एक खास दिशा में ले जाने की बात करते हैं।