कविता : ये साल जो गुजर गया
ArticleDec 31, 2015
ये साल जो गुजर गया
ये साल जो गुजर गया
इस गुजरे साल में
क्या गुज़रने दिया आपने
जीवन को खुद से?
क्या होने दिया व्यक्त
अपने अस्तित्व के आनंद को?
या फिर ढूंढ लिए बहाने
व्यक्त नहीं करने का?
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अपने ह्रदय के प्रेम को
क्या दी आपने इजाजत
कि पहुँचाए इस दुनिया को गर्माहट?
या फिर ढूंढ लिए तर्कयुक्त बहाने
प्रेम की लौ बुझाने का?
क्या पाया आपने - कुछ अद्भुत
कहने को उन सभी के बारे में
जो हैं आपके आस –पास
या फिर इस शुभ अवसर पे
निकलता रहा सिर्फ शाप व निंदा?
क्या मिल पाया आपको
प्रेम, हास और अश्रु
या रह गए जीवन से अछूते?
साल तो यूं ही बीतते जाएंगे।