प्रश्नकर्ता : : सदगुरु, किसी के साथ रिश्ता टूट जाने पर हम अपने जीवन में आगे कैसे बढ़ें?

सदगुरु : आप के शरीर के पास बहुत ज्यादा यादें होती हैं। यह याददाश्त बहुत सारे अलग अलग स्तरों पर होती है जैसे विकासवादी, जेनेटिक, कार्मिक, चेतन और अचेतन, व्यक्त और अव्यक्त। आप को ये याद नहीं होगा कि आपके परदादा कैसे दिखते थे पर आपके चेहरे पर उनकी नाक लगी हुई है। तो ये बात साफ है कि आपका शरीर यादों की एक जटिल व्यवस्था साथ साथ लेकर घूम रहा है।

जब इस शरीर में यादों का ऐसा जटिल जमघट है तो क्या आपको नहीं लगता कि इस शरीर में इस बात की भी काबिलियत है कि वो उस हर चीज़ की याद ले कर चले जिसे आप छूते हैं या महसूस करते या जिसके साथ संबंध बनाते हैं? ये काफी ज्यादा यादें इकट्ठा कर रहा है। उदाहरण के लिये, सीढ़ियों पर से चढ़ना, उतरना बहुत साधारण बात लगती है, पर ये बहुत जटिल है। आप के शरीर को इसे याद रखना पड़ता है वरना ये आसानी से ऊपर जाना - नीचे आना नहीं कर सकता। आजकल खेलकूदों के एक्सपर्ट्स मसल(स्नायु) याददाश्त की बात कर रहे हैं - मसल व्यवस्था में याददाश्त विकसित करना, जिससे खेलों को एक खास प्रकार की कुशलता के साथ खेला जा सके। ये बात सिर्फ खेलों या किसी एक खास गतिविधि के लिये नहीं है। आप वैसे ही हर रोज़ बहुत ज्यादा यादें अपने आप में इकट्ठा कर लेते हैं। तो, अगर इस याददाश्त में एक खास तरह का जुड़ाव, संतुलन हो तो यह अच्छी तरह, उपयोगी काम करेगी। अगर इस याददाश्त में कुछ गड़बड़, अव्यवस्था होगी तो ये याददाश्त आपके खिलाफ काम करेगी क्योंकि वो अपने ही अंदर विरोधाभासी और टकराव करने वाली होगी।

क्योंकि, जो कुछ भी गलत हुआ, आपका 50% योगदान उस गड़बड़ी में निश्चित ही है, है कि नहीं? तो इन 6 महीनों या 1 साल का उपयोग उस गड़बड़ी को ठीक करने में करिये।

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तो ये सवाल इसलिये आ रहा है क्योंकि आपके लिये यह महत्वपूर्ण है। आपने अपने विचारों, अपनी भावनाओं और शायद अपने शरीर को भी इस रिश्ते में लगाया है, निवेषित किया है। जब आपने ये तीन चीजें लगायी हैं तो उनके बारे में एक गहन याददाश्त बन जाती है। अगर आप अपनी व्यवस्था में बहुत सारी विरोधाभासी याददाश्त बनाते हैं तो आप को लगेगा कि भले ही आपके पास सब कुछ हो पर कुछ भी नहीं है। कारण यही है कि आपकी याददाश्त उलझन में हैं, इसे कोई खुशी नहीं है, इसमें कोई उत्साह या उमंग नहीं है। ये बहुत ही महत्वपूर्ण है कि युवा लोग अपने उस जटिल तंत्र को समझें, जो उन्हें दिया गया है। अगर मानवीय व्यवस्था सिर्फ माँस का एक ढेर होती तो आप इसका जो चाहे वो कर सकते। पर ये एक बहुत ही जटिल, गूढ़, विवेकी मशीन है। अगर आप इसे संवेदनशीलता के साथ संभालते हैं तो ये आपके लिये अद्भुत ढंग से काम करेगी, नहीं तो ये बेकार के काम करेगी।

मान लीजिये, आप को कंप्यूटर के बारे में कुछ भी नहीं पता और मैं आपको एक 'एप्पल मैकबुक एयर' देता हूँ। ये बहुत पतला और तेज़ धार वाला है। तो आप इसे घर ले जाते हैं और इससे ककड़ी काटना शुरू कर देते हैं। ये बहुत अच्छी तरह काम करेगा। पर क्या ये एक दुखद बात नहीं है कि आप कंप्यूटर से ककड़ी काट रहे हैं? इसमें ककड़ी का कोई दोष नहीं है पर आप के साथ निश्चित रूप से कुछ गलत है। मूल रूप से आप में ज़रूर जबर्दस्त दोष है अगर आप उस चीज़ का महत्व ही नहीं समझते जो आपके हाथ में है।

किसी चीज़ को छूने या उसके साथ शामिल होने से पहले आपको ये सोचना चाहिये कि आप किस स्तर पर उसके साथ शामिल होना चाहते हैं और आप इस बात को कहाँ तक ले जाना चाहते हैं? आपको इस बारे में भी सोचना चाहिये कि आप पर इसका किस किस तरह से प्रभाव होगा? आपको इस बात पर बहुत सोच विचार करना चाहिये कि क्या ये आपके जीवन के साथ बहुत अच्छी तरह से काम करेगा, या फिर आपके खिलाफ काम करेगा? अगर आप ऐसा सोच विचार नही करते तो आप एक ढीले ढाले, असंगठित जीवन होंगे। मैं यह नैतिकता के संदर्भ में नहीं कह रहा हूँ। मैं इस शब्द का प्रयोग आप अपने जीवन को जो दिशा देना चाहते हैं, वो नहीं दे पा सकने की काबिलियत के संदर्भ में कर रहा हूँ। आपके जीवन में बुद्धिवादी, भावनात्मक और शारीरिक ईमानदारी लाना बहुत महत्वपूर्ण है।

एक पूरे जीवन बनें

अगर आप एक रिश्ता तोड़ कर बाहर आ रहे हैं, तो अपने आपको पर्याप्त समय दीजिये। आप अपने लिये कम से कम 6 महीने या 1 साल का समय रखिये जिसमें आप सिर्फ अपने आप में ही रहेंगे क्योंकि जो कुछ भी गलत हुआ, उसमें आपका 50% योगदान निश्चित है, है कि नहीं? तो इन 6 महीनों या 1 साल का उपयोग उस गड़बड़ी को ठीक करने में करिये।

अगर आपके भ्रम टूट गये हैं तो इसका मतलब है कि जीवन आपको वास्तविकता के करीब ला रहा है। आपके पास ये अवसर है कि आप बैठें और सोचें, "मेरे जीवन का स्वभाव क्या है"?

जब आपके दरवाज़े पर जीवन इस तरह से दस्तक दे तो ये कुछ गहराई से देखने का समय है। जब आपके भ्रम टूट जाते हैं और आप इस समय पर ये साफ साफ देख पा रहे हैं तो ये बहुत अच्छी बात है। अगर आपके भ्रम टूट गये हैं तो इसका मतलब है कि जीवन आपको वास्तविकता के करीब ला रहा है। आपके पास ये अवसर है कि आप बैठें और सोचें, "मेरे जीवन का स्वभाव क्या है"?

जब कोई आपको एक भ्रम की अवस्था में से वास्तविकता की ओर धकेल रहा है तो आपको उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहिये कि वो आपके लिये एक आध्यात्मिक आयाम खोल रहा है, ये बताते हुए कि ये सब बातें कितनी नाजुक, कमज़ोर, अस्थायी हैं! वो आपके साथ धोखा कर सकता है, आप से दूर भाग सकता है या कुछ और कर सकता है, पर मूल रूप से उसने आपको ठुकरा दिया है। आपको ठुकराया जा सकता है क्योंकि आप भ्रम की अवस्था में हैं और ये विश्वास करते हैं कि आप बस आधे ही जीवन हैं और बाकी आधा और कहीं से आयेगा। पर ऐसा नहीं है, आप ये जो जीवन का एक भाग हैं वो वास्तव में जीवन का पूरा भाग है, जिसमें सृष्टि और सृष्टिकर्ता, दोनों ही भरे हुए हैं - ये एक बढ़िया मेल है, जोड़ है। तो फिर ऐसा क्यों है कि ये अपने आपको अधूरा पाता है और ऐसा महसूस करता है कि जीवन को पूरा करने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति की ज़रूरत है? कहीं न कहीं इसने अपने स्वभाव के पूरेपन को नहींसमझा है। अभी तो आपने इसे ऐसा बना लिया है कि ये इसके या उसके बिना नहीं रह सकता। अगर आप पूरे जीवन के रूप में खिले हों तो आप देखेंगे कि रिश्ते बिल्कुल ही अलग तरीके के होंगे। ये कुछ इस तरह से होंगे कि ज्यादा से ज्यादा साथ में आयें और एक दूसरे के साथ साझा करें। ये उससे कुछ छीन लेने के बारे में नहीं होगा।

 

Editor's Note:  अपने जीवन को रूपांतरित करें - सद्गुरु के साथ;इनर इंजीनियरिंग जीवन को खुशहाल बनाने की एक तकनीक है। यह योग विज्ञान पर आधारित है। इनर इंजीनियरिंग.