अपनी ऊर्जा को शक्ति में कैसे बदलें?
हम सभी में ऊर्जा मौजूद होती है, लेकिन सब लोग इसे व्यक्तिगत शक्ति में नहीं बदल पाते। कहाँ खर्च हो जाती है ये ऊर्जा? और क्या उपाय है इसे शक्ति में बदलने का?
हम सभी के भीतर ऊर्जा मौजूद होती है, लेकिन सब लोग इसे व्यक्तिगत शक्ति में नहीं बदल पाते। कहाँ खर्च हो जाती है ये ऊर्जा? और क्या उपाय है इसे शक्ति में बदलने का?कोई भी इंसान भौतिक, आध्यात्मिक या किसी भी स्तर पर कितना आगे जा सकता है, यह बुनियादी तौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि अपने भीतर मौजूद ऊर्जा की कितनी मात्रा वह इस्तेमाल कर सकता है। यहां बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास काफी ऊर्जा है, लेकिन उनके भीतर इतना विवेक या फिर कोई ऐसा सिस्टम नहीं है, जो इस ऊर्जा को एक तरह की निजी शक्ति में बदल दे। शक्ति के बारे में लोगों का यह सोचना उनकी सबसे बड़ी भूल है कि यह दूसरों पर इस्तेमाल करने के लिए है। शक्ति का आशय खुद आपसे है, शक्ति आपके अपने बारे में है। आप के अंदर शक्ति कितनी सक्रिय है, इससे न सिर्फ आपके जीवन की तीव्रता व गहराई तय होती है, बल्कि आप जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कितने प्रभावशाली होंगे, यह भी तय होता है।
बाहरी चीज़ों को विकसित किया गया है, व्यक्तिगत शक्ति को नहीं
आधुनिक समाज में व्यक्तिगत शक्तियों को विकसित करने का बहुत ही कम प्रयास हुआ है, क्योंकि समानता को लेकर हमारी सोच बिल्कुल गलत थी।
राय, विचारों और प्रतिक्रियाओं में बर्बाद करते हैं हम ऊर्जा
जीवन में जहां भौतिक रूप से सफल होना, पेशेवर तौर पर सफल होना भी जरुरी है, वहीं मेरी चिंता है कि आप आध्यात्मिक रूप से सफल हों। मगर इसके लिए भी आपको कुछ खास तरह की निजी शक्ति चाहिए। अगर वो शक्ति पानी है तो आपको अपनी ऊर्जाओं का समझदारी से इस्तेमाल करना होगा। आवश्यक समझदारी, बुद्धिमानी व जरूरी साधनों की मदद से ऊर्जा को शक्ति में बदला जा सकता है। वर्ना आपकी ऊर्जा अनंत सोच-विचारों व असंख्य प्रतिक्रियाओं और चिंताओं में बर्बाद हो सकती है। आपने गौर किया होगा कि जब आप किसी दिन ज्यादा चिंतित या परेशान होते हैं, उस दिन आपको ज्यादा थकावट होती है। मैं चाहता हूं कि आप अपनी रोजमर्रा के जीवन पर गौर करें।
एक आसान तरीका अपनाएं
छोटी-छोटी चीजों पर गौर करें। जैसे एक दिन में आप कितने शब्द बोलते हैं? कल जरा इसका अनुमान लगाइए कि सुबह से रात तक आप कितने शब्दों का उच्चारण करते हैं?
खुद को मजबूत बनाएं, सहारे की तलाश छोड़ दें
मान लीजिए कि आपको यहां रहने के लिए किसी व्यक्ति या चीज की जरूरत नहीं है, तो जीवन जीने का यह सर्वश्रेष्ठ तरीका है। चूंकि यह संभव नहीं है, इसलिए आप उन चीजों का इस्तेमाल करते हैं। कोई बात नहीं। अगर आप खुद चलने में सक्षम नहीं हैं तो आप छड़ी का सहारा लेते हैं, इसमें कोई हर्ज नहीं। लेकिन यह मत सोचिए कि छड़ी ही आपकी ताकत है। यह ताकत नहीं है। आप जो हैं, वही आपकी असली ताकत है। इस शक्ति को बढ़ाने के बजाय हम सहारों को बढ़ाने में लगे हैं। हम अपने लिए बैसाखियों को जुटाने में लगे हैं। आप कब मजबूत कहलाएंगे - जब आप कम से कम मदद के बिना खड़े हो सकें तब, या जब आपको खड़ा होने के लिए हजार पैर वाली मेज की जरूरत हो? अगर आप कम से कम मदद के बिना खड़े हो सकें तो इसका मतलब होगा कि आप मजबूत हैं। इसका मतलब हुआ कि आप कहीं भी जा सकते हैं।
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