नया भारत : गुलाम भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलें
सद्गुरु हमें बता रहे हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए जरुरी है कि शिक्षकों को भीतरी विकास के साधन मिलें। जानते हैं कि कैसे हमारी शिक्षा प्रणाली गुलामी के जमाने से चली आ रही है, और अब इसे बदलने की जरुरत है...
एक शिक्षक किसी विषय को रोचक बनाता है
हम जब भी शिक्षा की बात करते हैं, तो हमारे मन में बच्चों के बारे में ही विचार आते हैं। मुझे लगता है कि सबसे महत्वपूर्ण है शिक्षकों का विकास। शिक्षकों को लगातार अपना विकास करते रहना चाहिए। ऐसा नहीं है कि वे विकास के इच्छुक नहीं हैं। लेकिन न तो विकास के साधन हैं और न ही विकास के अवसर। बात सिर्फ यहां आकर खत्म हो जाती है- ‘मुझे पता है कि अपना विषय कैसे पढ़ाना है।’
आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि आपके स्कूल के दिनों में जिस शिक्षक ने आपको सबसे ज्यादा दिलचस्पी व मौलिकता और नयेपन के साथ पढ़ाया था, अनजाने में वही आपका प्रिय विषय बन गया, चाहे वह गणित रहा हो या विज्ञान या फिर इतिहास। कोई भी विषय सुंदर नहीं होता, लेकिन एक शिक्षक उसे खूबसूरत अंदाज में पढ़ाकर रोचक बना सकता है।
Subscribe
शिक्षक जानकारी नहीं, सिर्फ प्रेरणा का स्रोत हैं
इसके लिए एक शिक्षक का विकास बेहद जरूरी है, और यह विकास सिर्फ पढ़ाने की क्षमता को लेकर ही नहीं होना चाहिए, बल्कि एक इंसान के तौर पर उसका भीतरी विकास भी जरूर होना चाहिए।
शिक्षा के क्षेत्र में लोग सबसे ज्यादा समय बिताते हैं
देश में शिक्षकों के आंतरिक विकास के लिए हमें बड़े पैमाने पर कुछ करने की जरूरत है, वरना हम लोग प्रेरणादायक शिक्षक तैयार नहीं कर पाएंगे। अगर हमने इंसानों को प्रेरित नहीं किया तो हम अपने पीछे अपने से कम प्रतिभाशाली पीढ़ी को छोडक़र जाएंगे। यह हर पीढ़ी की बुनियादी जिम्मेदारी है कि वो अगली पीढ़ी को अपने से बेहतर बनाए। अगर हम अपने से खराब पीढ़ी तैयार करते हैं, तो समझ लीजिए कि बतौर एक पीढ़ी हम नाकामयाब रहे। इतना ही नहीं, यह मानवता के प्रति एक अपराध है। तो इस तरह से जीवन का यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है। आज की दुनिया में ज्यादातर लोग, कम से कम टेक्नोलॉजी की दुनिया में, किसी भी नौकरी में तीन साल से ज्यादा नहीं टिकते। वे लगातार अपनी नौकरी बदल रहे हैं, यहां तक कि वे शादी भी कई बार कर रहे हैं। तो शायद उनके जीवन में शिक्षा का क्षेत्र ही एक ऐसा था, जहां वे लगातार बीस साल तक टिके रहे। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां लोग अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। यह जगह निश्चित रूप से सबसे बेहतर होनी चाहिए, क्योंकि इसी जगह पर हर चीज आकार ले रही होती है।
गुलाम भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा
इस क्षेत्र में हमें क्या करने की जरूरत है, इसके लिए हमें इस पर गौर करना होगा। साथ ही यह समझने की भी जरूरत है कि आज जो शिक्षा प्रणाली हमारे यहां है, वह मौटे तौर पर गुलाम भारत के समय की है।
नेतृत्व और आर्थिक संभावनाएं - दोनों ही अनुकूल हैं
बदकिस्मती से, कई वजहों से या शायद बहुत ज्यादा आबादी होने के कारण अब तक हम बहुत सारी चीजों से समझौता कर चुके हैं। लेकिन आज हम एक आर्थिक संभावना की दहलीज पर खड़े हैं। यही वह समय है, जब हमें वाकई जरुरत है अपनी शिक्षा व्यवस्था पर फिर से विचार करने की। आज हमारे पास अपनी शिक्षा प्रणाली को फिर से आकार देने का अवसर है, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में आर्थिक साधन आते जा रहे हैं। आज हमारे पास दुनिया भर में जैसी पहुंच है, वैसी पहले कभी नहीं थी। आज हमारे पास एक ऐसा नेतृत्व है, जो इन तमाम बदलावों को लाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है।