क्या भगवान हमारी परीक्षा लेते हैं?
जब भी हमारे जीवन में मुश्किल घड़ी आती है हम कहने लगते हैं कि ‘भगवान हमारी परीक्षा ले रहा है’। यही सवाल एक बार सद्गुरु से किसी जिज्ञासु ने किया कि ‘क्या एक गुरु अपने शिष्य की परीक्षा लेता है?’ आइए जानते हैं सद्गुरु का जवाब -
जब भी हमारे जीवन में मुश्किल घड़ी आती है हम कहने लगते हैं कि ‘भगवान हमारी परीक्षा ले रहा है’। यही सवाल एक बार सद्गुरु से किसी जिज्ञासु ने किया कि ‘क्या एक गुरु अपने शिष्य की परीक्षा लेता है?’ आइए जानते हैं सद्गुरु का जवाब -
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सद्गुरु:
मैं इस बारे में तो नहीं जानता लेकिन शिष्य निश्चित रूप से गुरु की परीक्षा लेते हैं। गुरु के पास शिष्य की परीक्षा लेने का समय कहां है? वह तो आतुरता से कम से कम एक ऐसे शिष्य का इंतजार करता है जो गुरु को अपने साथ कुछ महत्वपूर्ण करने का अवसर देगा।
तो आपकी परीक्षा लेने का समय कहां है? और किस बात की परीक्षा? आप ए ग्रेड चाहते हैं, क्या इसलिए आप यह सवाल पूछ रहे हैं? मुझे आपकी परीक्षा लेने की जरूरत नहीं है। जब मैं आपको आर-पार देख सकता हूं तो आपकी परीक्षा लेने की जरूरत कहां है? मुझे आपकी परीक्षा लेने की जरूरत तो तब होगी, अगर मैं यह समझ ही न पाउं कि आप कौन हैं।
उसी तरह आपके गुरु भी एक अलग मकसद के लिए हैं। आध्यात्म के क्षेत्र में ऐसी परीक्षाओं का कोई मतलब नहीं है। अगर मुझे आपको कोई शारीरिक काम देना होगा, तो मैं आपकी परीक्षा लूंगा और आपके पास होने पर आपकी सराहना भी करूंगा। लेकिन आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए परीक्षा लेने की कोई जरूरत नहीं है। एक गुरु आपके कर्मों के हर बोझ को स्पष्ट रूप से देख सकता है। उसे परीक्षा लेने की कोई जरूरत ही नहीं है।