हमारा इस बार का ईशा लहर अंक महाशिवरात्रि विशेषांक है। आइये पढ़ें सम्पादकीय स्तंभ और जानें महाशिवरात्रि के महत्व के बारे में ...

अध्यात्म की राह पर चलने वाले साधकों की यात्रा बड़ी दुरूह मानी जाती है। अनजानी राह की भटकन, शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक सीमाएं, मुश्किल हालातों में मंसूबे का डगमगा जाना - राह में न जाने कितनी उलझनें आती हैं। पर अगर किसी सद्गुरु का मार्गदर्शन और कृपा का सान्निध्य मिल जाए तो यात्रा सुगम और सहज हो सकती है। परम प्राप्ति की चाह रखने वाला साधक हर उस कुदरती घटना को, हर उस अवसर को, अपनी यात्रा का सोपान बना लेता है, जो उसे आध्यात्मिक उंचाई प्रदान करती है और परम के करीब ले जाती है। एक ऐसा ही अवसर है - महाशिवरात्रि

साल की सभी बारह व तेरह शिवरात्रियों में से माघ महीने में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। महाशिवरात्रि की रात में ग्रहों की दशा कुछ ऐसी होती है कि ऊर्जा सहज ही ऊपर की ओर चढऩे लगती है। इस दिन प्रकृति इंसान को उसको आध्यात्मिक शिखर की ओर ढकेल रही होती है। कुदरती ऊर्जा की सहायता से खुद को अपने भीतरी आयामों में स्थापित करने का यह एक दुर्लभ अवसर होता है। इस रात का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए हमें अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए पूरी रात जगे रहना चाहिए। लोगों को पूरी रात जगाए रखने और चेतना के उच्चतर आयामों को अनुभव कराने के लिए ईशा योग केन्द्र में महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

वेलिंगिरि पर्वतों की तराई में स्थित, घने वनों से घिरे ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन पिछले दो दशकों से किया जा रहा है। देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से लगभग दो से तीन लाख लोग आयोजन स्थल पर आकर इस महोत्सव का आनंद उठाते हैं। साथ ही वेब स्ट्रीमिंग और विभिन्न टेलीविजन चैनलों (खासकर आस्था चैनल) के माध्यम से दुनिया भर के करोड़ों लोग पूरी रात चलने वाले इस आयोजन से जुड़कर खुद को धन्य महसूस करते हैं। भारत के कुछ मशहूर कलाकारों की संगीत व नृत्य की अनूठी बहार कला-प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। शिव की स्तुति में की गई प्रस्तुतियों को देखकर साधक मंडली झूम उठती है, लोग नृत्य करने लगते हैं। इस अलौकिक आयोजन में एक जादुई शक्ति होती है, जो श्रोताओं को चेतना व जागरूकता के एक नए आयाम में प्रवेश दिलाती है।

पूरी रात के इस जागरण में लोगों के उत्साह को बनाये रखने तथा सबको जगाये रखने के लिए बीच-बीच में साउंड्स ऑफ  ईशा की संगीत मंडली द्वारा कुछ लोक संगीत प्रस्तुत किये जाते हैं। नींद की मधुर झपकियों के आगे घुटने टेक देने वाले इंसान भी इनके लोक संगीतों पर झूमकर नाचने लगते हैं। इस अलौकिक रात में, सद्गुरु लोगों को कुछ शक्तिशाली मंत्रों व ध्यान प्रक्रियाओं में दीक्षित करते हैं। भौतिक से परे एक दिव्य आयाम को लोग सहज ही अनुभव करने लगते हैं। उनका अनुभव आह्लादकारी होता है - कुछ यूं ही आंसू बहाते हैं, तो कुछ फूट-फूट कर रोने लगते हैं, कुछ चीखते-चिल्लाते हैं तो कुछ जमीन पर लोट-पोट जाते  हैं।

इस अलौकिक रात में, सद्‌गुरु की प्रबल  मौजूदगी  सबके अंतरतम को छू जाती है। फि ल्म निर्देशक शेखर कपूर के शब्दों में, ‘इतनी बड़ी भीड़ को इतने सुव्यवस्थित ढंग से पता नहीं कैसे संभाला जाता है। हर बार मैं लोगों की तादाद में बढ़ोतरी ही पाता हूं। पर अनुभव बेहद रोमांचकारी रहा है। मुझे लगता है कि इस रात का आनंद उठाने के लिए धरती पर कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती।’ महाशिवरात्रि महोत्सव का सीधा संबंध शिव से है, जो न केवल आदि-योगी हैं, बल्कि अलौकिक आनंद के आदि-स्रोत भी हैं। अगर महाशिवरात्रि के महत्व को समझना है तो शिव को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है। शिव कोई इंसान थे या देवता? कहां से आए और आखिर क्या किया उन्होंने मानवजाति के  लिए? शिव से जुड़े कुछ पहलुओं को समेटने की कोशिश की है हमने इस बार के अंक में। आशा है, महाशिवरात्रि का यह उपहार आप सभी पाठकों को रोचक भी लगेगा और आनंददायक भी। इस महाशिवरात्रि आप अपने आध्यात्मिक पथ पर नई ऊंचाइयों को छू सकें, परम को पा सकें, इसी कामना के साथ हम समर्पित करते हैं आपको यह अंक . . . शुभ महाशिवरात्रि।

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- डॉ सरस

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