निकुंज डालमिया: ऐसी कौन-सी तीन चीजें हैं जिनको अगर हम करें तो कल सुबह हमारे आसपास और हमारे भीतर की चीजें बदल जाएंगी?

सद्‌गुरु: देखिए, सारी समस्या यही है। हम लोग हमेशा जीवन में छिटपुट चीजों के पीछे पड़े रहते हैं। बात यह नहीं है कि आप क्या करते हैं? जीवन के विषय-वस्तु के बदलने से जीवन नहीं बदलता है, जीवन तब बदलता है, जब आप अपने जीवन का संदर्भ बदलते हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि आप काम कैसे करते हैं।

अच्छा आप एक काम कीजिए। चूंकि आप कुछ खास उत्तर चाहते हैं, तो मुझे अपनी बात को थोड़ा इस तरह से रखने दीजिए। अगर आप कल सुबह उठे तो..., आप इसे मजाक न समझें, क्योंकि दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो कल सुबह नहीं उठेंगे, तो मान लीजिए कि आप कल सुबह उठते हैं तो सबसे पहले खुद को देखिए कि 'अरे, मैं अभी भी जिंदा हूं!’ अगर ऐसा है तो यह शानदार बात है। क्या आप इस पर मुस्कुरा सकते हैं कि आप अभी भी जिंदा हैं? तो फिर मुस्कुराइए।

उसके बाद आप उन चार, पांच या दस लोगों को देखिए, जो आपके लिए खास हैं, कि वे सब जिंदा है या नहीं। यह तो बड़ी शानदार बात है कि वे सब भी जिंदा हैं। न सिर्फ आप जिंदा है, बल्कि आपके सभी खास लोग भी जिंदा हैं। ये तो बहुत अच्छी बात है। अब आप एक बार और खुलकर मुस्कुराइए। कल सुबह शेयर बाजार 800 अंक उछले या फिर आप जिंदा रहें- दोनों में से आप के लिए बड़ी बात कौन सी है? हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम जीवित हैं।

 

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तो आपको यह जरूर देखना चाहिए कि आप जिंदा हैं या नहीं। जिंदा होने का मतलब सर्फ इतना नहीं है कि आप इधर-उधर घूम रहे हैं या मशीनी तरीके से काम कर रहे हैं। आप सच्चे अर्थों में जीवित बनिए। आप सुबह चाहे जब भी जागते हैं, आप हर एक घंटे पर देखिए कि आप जिंदा हैं या नहीं। सुबह सात बजे - 'क्या बात है, मैं अभी भी जिंदा हूं, एक बड़ी सी मुस्कान चेहरे पर लाइए। फिर आठ बजे - 'अभी भी जिंदा हूं’, एक और बड़ी सी मुस्कान।

 

नश्वरता की समझ

मैं चाहता हूं कि आप इस बात को समझें कि आप नश्वर हैं। अगर आप इस सच्चाई के प्रति जागरूक होंगे कि आप इस दुनिया में एक निश्चित समय के लिए आए हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप अपने जीवन को बहुत समझदारी के साथ व्यवस्थित करेंगे। लेकिन अगर आप सोचेंगे कि आप अमर हैं, तो आपके पास मूर्खतापूर्ण चीजों को करने के लिए वक्त होगा। अपने जीवन में आपको सिर्फ वही चीजें करनी चाहिए, जो वास्तव में आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। यह काम आप केवल तभी कर सकते हैं, जब आपको इस बात का अहसास होगा कि आप नश्वर जीव हैं। हम पूरी तरह से ठीक हैं, बिल्कुल स्वस्थ हैं, लेकिन हम कल सुबह मर सकते हैं। ऐसी मेरी कोई कामना नहीं है, बल्कि मैं तो आपको लंबी उम्र का आशीर्वाद देता हूं। लेकिन यह संभव है कि मैं या आप कल सुबह मर जाएं।

मैं चाहता हूं कि आप इस बात को समझें कि आप नश्वर हैं। अगर आप इस सच्चाई के प्रति जागरूक होंगे कि आप इस दुनिया में एक निश्चित समय के लिए आए हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप अपने जीवन को बहुत समझदारी के साथ व्यवस्थित करेंगे।

एक भरपूर जीवन की तलाश

चूंकि हम इस सच्चाई को जानते हैं, इसलिए हमारे जीवन में हर वो चीज जरूर घटित होनी चाहिए, जो वास्तव में हमारे लिए मायने रखती है। अब सवाल है कि आपके लिए क्या मायने रखता है? अगर आप जीवन पर गौर करें तो देखेंगे कि आपके लिए सिर्फ एक ही चीज मायने रखती है और वह है कि आप इस जीवन को जहां तक संभव हो, पूरी गहराई में अनुभव करना चाहते हैं। किसी को लगता है कि पैसे से यह संभव है, किसी का मानना है कि शिक्षा ऐसा कर सकती है, किसी को लगता है कि सेक्स यह करेगा, किसी को लगता है कि प्यार ऐसा कर सकता है, किसी को लगता है कि कोई और चीज ऐसा कर सकती है। लेकिन इंसान चाहे मंदिर जाए या मयखाना, अगर उसे किसी चीज की तलाश है, तो वह है- एक भरपूर जिंदगी की।

अगर आपको अपने बोध को बढ़ाना है तो इसके लिए आपको सजग होना होगा। अगर कोई व्यक्ति आपके सिर पर बंदूक तान दे तो आप जबरदस्त तरीके से सजग हो जाएंगे। आप यह इंतजार मत कीजिए कि कोई आपके सिर पर बंदूक ताने। बस आप इतना समझने की कोशिश कीजिए कि आप एक नश्वर प्राणी हैं।

अगर आप सफल होना चाहते हैं, सपने में नहीं, हकीकत में, तो इसका एक और सिर्फ एक ही तरीका है - अपने बोध को बढ़ाना होगा। अपनी कल्पना या अपनी गतिविधियों में विस्तार लाकर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, बस आपको अपने बोध में विस्तार करना होगा। अगर आपको अपने बोध को बढ़ाना है तो इसके लिए आपको सजग होना होगा। अगर कोई व्यक्ति आपके सिर पर बंदूक तान दे तो आप जबरदस्त तरीके से सजग हो जाएंगे। आप यह इंतजार मत कीजिए कि कोई आपके सिर पर बंदूक ताने। बस आप इतना समझने की कोशिश कीजिए कि आप एक नश्वर प्राणी हैं।

जीवन को गहराई में अनुभव करने के लिए आपको बस जीवन के प्रति खुलना होगा। खुलने का मतलब किसी खास व्यवहार या रवैए से नहीं है, बल्कि खुलने से मतलब है जीवन के लिए हमेशा तैयार रहना। ऐसा नहीं होना चाहिए कि जीवन के प्रति आपके अंदर कभी 'हां’ का तो कभी 'ना’ भाव दिखे। हमें हमेशा जीवन के प्रति 'हां’ का भाव ही रखना है। अगर हमारे भीतर 'हां’ का भाव है तो जीवन अपने आप घटित होगा। अगर आपके भीतर ना का भाव है तो आप कब्र में पहुंचकर हां का भाव नहीं ला सकते। यही समय है कि आप जीवन के लिए पूरी तरह तैयार रहें और पूरी तरह से जीवन जिएं। इसलिए आप हर घंटे खुद को याद दिलाते रहें। अगर आप अभी भी जिंदा हैं तो बहुत बढिय़ा बात है। अब अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लाइए।