11 डिग्री पर पृथ्वी करती है साधना में मदद
पृथ्वी का घुमाव पृथ्वी पर एक खास बल पैदा करता है। यह बल सभी वस्तुओं पर पृथ्वी की सतह से बाहर की ओर लगता है। इसके कारण इस ग्रह पर कुछ स्थान आपकी ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाने में मददगार होते हैं। उन्हीं स्थानों में से एक है ईशा योग केंद्र। आइए समझते हैं इस आध्यात्मिक भूगोल को -
पृथ्वी का घुमाव पृथ्वी पर एक खास बल पैदा करता है। यह बल सभी वस्तुओं पर पृथ्वी की सतह से बाहर की ओर लगता है। इसके कारण इस ग्रह पर कुछ स्थान आपकी ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाने में मददगार होते हैं। उन्हीं स्थानों में से एक है ईशा योग केंद्र। आइए समझते हैं इस आध्यात्मिक भूगोल को -
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यह पवित्रता इसलिए है क्योंकि पृथ्वी घड़ी की उलटी दिशा में घूमती है। जो भी चीज घूमती है, वह एक खास बल पैदा करती है, जिसे अपकेन्द्री बल या फिर सेंट्रीफ्यूगल फोर्स कहते हैं। घूमने के कारण पृथ्वी यह बल उत्पन्न करती है, जो 11 डिग्री पर सबसे अधिक और 33 डिग्री तक अच्छी स्थिति में होता है।
इस बल का महत्व यह है, कि इसके कारण पृथ्वी की सभी चीज़ें बाहर की ओर जाने की कोशिश कर रही हैं। पृथ्वी पर बैठने या खड़े होने पर अपकेन्द्री बल आपके ऊपर एक खास तरीके से काम करता है। यह बल 0 से 33 डिग्री तक आपके शरीर में पैरों से सर की तरफ काम करता है। खास कर 11 डिग्री पर यह बल आपके भीतर 100 फीसदी सर की तरफ होता है। यानी अगर हम आपको पैरों से उठा कर गोल-गोल घुमाएं, तो आप अपने सिर में खून का तेज प्रवाह महसूस करेंगे। क्योंकि अपकेन्द्री बल खून और ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाएगा। अगर आप पृथ्वी पर 0 से 33 डिग्री के बीच खड़े हैं, तो आपकी ऊर्जा ऊपर की तरफ जाएगी। 11 डिग्री पर ऐसा सबसे ज्यादा होगा।
पृथ्वी की गति के कारण11 डिग्री पर अपकेन्द्री बल ठीक आपके पैरों से सर की तरफ लगेगा। इस बल के कारण आपकी ऊर्जा सीधे ऊपर की ओर जाएगी। अगर आप सिर्फ अपना सिर सीधा रखकर बैठें, तो इस स्थान पर खुद-ब-खुद आपकी ऊर्जा ऊपर उठेगी। अगर आप थोड़ी साधना करें, तो यह और भी आसान होगा। पृथ्वी पर 11 डिग्री पर ईशा योग केंद्र के अलावा बहुत से स्थान होंगे।लेकिन हर ऐसे स्थान पर जरूरी फोकस, ऊर्जा और लक्ष्य तैयार नहीं किया गया है।