पृथ्वी का घुमाव पृथ्वी पर एक खास बल पैदा करता है। यह बल सभी वस्तुओं पर पृथ्वी की सतह से बाहर की ओर लगता है। इसके कारण इस ग्रह पर कुछ स्थान आपकी ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाने में मददगार होते हैं। उन्हीं स्थानों में से एक है ईशा योग केंद्र। आइए समझते हैं इस आध्यात्मिक भूगोल को - 

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अपकेन्द्री बल खून और ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाएगा। अगर आप पृथ्वी पर 0 से 33 डिग्री के बीच खड़े हैं, तो आपकी ऊर्जा ऊपर की तरफ जाएगी। 11 डिग्री पर ऐसा सबसे ज्यादा होगा।
योग परंपरा में भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण में 33 डिग्री तक के स्थान को पवित्र माना जाता है। इसके दक्षिण में अधिक भूमि नहीं है, इसलिए मुख्य रूप से हम उत्तरी गोलार्ध पर ध्यान केंद्रित करते हैं। भूमध्य रेखा से 11 डिग्री का स्थान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे आप इससे दूर जाते हैं, यह पवित्रता घटती जाती है। इसलिए पुराने जमाने के लोगों ने गणना करके पृथ्वी पर ऐसी जगहों की पहचान की, जहां लोगों को साधना में पृथ्वी से मदद मिल सकती है।

यह पवित्रता इसलिए है क्योंकि पृथ्वी घड़ी की उलटी दिशा में घूमती है। जो भी चीज घूमती है, वह एक खास बल पैदा करती है, जिसे अपकेन्द्री बल या फिर सेंट्रीफ्यूगल फोर्स  कहते हैं। घूमने के कारण पृथ्वी यह बल उत्पन्न करती है, जो 11 डिग्री पर सबसे अधिक और 33 डिग्री तक अच्छी स्थिति में होता है।

इस बल का महत्व यह है, कि इसके कारण पृथ्वी की सभी चीज़ें बाहर की ओर जाने की कोशिश कर रही हैं। पृथ्वी पर बैठने या खड़े होने पर अपकेन्द्री बल आपके ऊपर एक खास तरीके से काम करता है। यह बल 0 से 33 डिग्री तक आपके शरीर में पैरों से सर की तरफ काम करता है। खास कर 11 डिग्री पर यह बल आपके भीतर 100 फीसदी सर की तरफ होता है। यानी अगर हम आपको पैरों से उठा कर गोल-गोल घुमाएं, तो आप अपने सिर में खून का तेज प्रवाह महसूस करेंगे। क्योंकि अपकेन्द्री बल खून और ऊर्जा को ऊपर की ओर ले जाएगा। अगर आप पृथ्वी पर 0 से 33 डिग्री के बीच खड़े हैं, तो आपकी ऊर्जा ऊपर की तरफ जाएगी। 11 डिग्री पर ऐसा सबसे ज्यादा होगा।

जो व्यक्ति अपनी ऊर्जा को उसकी अधिकतम सीमा तक ऊपर उठाना चाहता हैवह इस स्थिति से बहुत लाभ उठा सकता है।
जो व्यक्ति अपनी ऊर्जा को उसकी अधिकतम सीमा तक ऊपर उठाना चाहता है, वह इस स्थिति से बहुत लाभ उठा सकता है। ध्यानलिंग और ईशा योग केंद्र ठीक 11 डिग्री पर स्थित हैं। हमने इन चीजों की गणना नहीं की थी, हमने इसके मुताबिक जमीन नहीं चाही थी, लेकिन यह ठीक 11 डिग्री पर है। जो लोग चैतन्य  की  प्रज्ञा के सामने समर्पण कर देते हैं, उनके लिए ज़िन्दगी ऐसे ही काम करती है। अगर आप अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं, तो सिर्फ छोटी-मोटी चीजें हो सकती हैं, क्योंकि आप चाहे जितने भी प्रतिभाशाली हों, वह चैतन्य  के मुकाबले बहुत कम है।

पृथ्वी की गति के कारण11 डिग्री पर अपकेन्द्री बल ठीक आपके पैरों से सर की तरफ लगेगा। इस बल के कारण आपकी ऊर्जा सीधे ऊपर की ओर जाएगी। अगर आप सिर्फ अपना सिर सीधा रखकर बैठें, तो इस स्थान पर खुद-ब-खुद आपकी ऊर्जा ऊपर उठेगी। अगर आप थोड़ी साधना करें, तो यह और भी आसान होगा। पृथ्वी पर 11 डिग्री पर ईशा योग केंद्र के अलावा बहुत से स्थान होंगे।लेकिन हर ऐसे स्थान पर जरूरी फोकस, ऊर्जा और लक्ष्य तैयार नहीं किया गया है।