सूर्य क्रिया है सूर्य नमस्कार का असली रूप
इस स्पॉट में सद्गुरु हमें सूर्य नमस्कार के स्रोत सूर्य क्रिया के बारे में बता रहे हैं। वे बता रहे हैं कि सूर्य नमस्कार असल में सूर्य क्रिया का ही एक सरल रूप है। मूलभूत क्रिया सूर्य क्रिया को सरल इसलिए बना दिया गया था, क्योंकि इसे बहुत सारे लोगों को सिखाया जाना था।
हठ योग का मतलब है - ह और ठ यानि सूर्य और चंद्र का योग
सद्गुरु: ‘ह’ का अर्थ है सूर्य, जबकि ‘ठ’ का मतलब है चंद्र। बिना सूर्य और चंद्र के हठ योग का कोई अस्तित्व ही नहीं है। हठ योग स्कूल की शुरुआत के साथ ही हम सूर्य से जुडी़ कुछ क्रियाएं भी सिखाना शुरू करेंगे, जो काफी कुछ सूर्य नमस्कार से मिलती-जुलती हैं, लेकिन इन्हें सूर्य क्रियाएं कहा जाता है। इन क्रियाओं को सूर्यक्रिया का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसमें कुछ खास तरह से सांस लेना होता है जिससे ऊर्जा बहुत प्रबल ढंग से जागृत होती है। दरअसल, अगर आप सूर्य नमस्कार को एक खास तरीके से करते हैं तो इसकी मुद्राएं आपको तैयार करती हैं, यह इड़ा और पिंगला के बीच संतुलन का काम करती हैं। आम तौर पर इसे सूर्य नमस्कार इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इससे हमारे भीतर मौजूद सौर स्नायुजाल सक्रिय होता है। सूर्य नमस्कार शरीर के अंदर ‘समत प्राण' या सौर ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है।
सभी कुछ सूर्य की शक्ति से चलता है
इस सृष्टि की सभी चीजें सूर्य की शक्ति से संचालित होती हैं। आपको लगता है कि हम ऊष्मीय ऊर्जा पैदा करते हैं, लेकिन हर चीज सौर ऊर्जा की वजह से संचालित होती है। इसमें सिर्फ एक ही अपवाद है और वह है परमाणिवक विखंडन। चूंकि इस विखंडन के पीछे सौर ऊर्जा का हाथ नहीं होता, इसीलिए इसे बेहद प्रभावशाली और खतरनाक माना जाता है। इसके खतरनाक माने जाने के पीछे वजह है कि इस काम में सृष्टि के कुदरती शक्तिगृह सूर्य का कोई योगदान नहीं होता।
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जो व्यक्ति नियमित तौर पर सूर्य नमस्कार कर रहा है, उसका ग्रंथीय या हारमोनल स्राव और कफ की मात्रा बड़ी आसानी से संतुलित और बेहतर स्थिति में रहेगी। इससे सिर्फ आपका शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि आपकी और भी कई चीजें तय होती हैं। इससे आपका शारीरिक स्वास्थ्य, भावनात्मक व मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि आपकी आध्यात्मिक संभावना भी तय होती है। यह सब इस पर निर्भर करता है कि आपके भीतर कितनी सौर ऊर्जा है। दूसरे शब्दों में आपके अंतःस्राव कितने संतुलित हैं। अगर आपके ग्रंथीय स्राव जरा भी असंतुलित हुए तो आपका टिक कर बैठना और ध्यान लगाकर सुनना भी दूभर हो जाता है, एकाग्र होकर ध्यान लगाने की बात तो छोड़ ही दीजिए। यह स्थिति आपको पागल या बेचैन कर देती है, क्योंकि इसमें आपके भीतर की सारी रासायनिक प्रक्रिया अस्त-व्यस्त और जर्जर हो उठती है। शरीर में संतुलन लाने के लिए सूर्य नमस्कार सबसे आसान और प्रभावशाली साधनाओं में से एक है।
सूर्य नमस्कार सूर्य क्रिया का आसान रूप है
देखा जाए तो सूर्य नमस्कार सूर्य क्रिया का ही एक आसान रूप है। दरअसल, जब बड़े पैमाने पर लोगों को सूर्य क्रिया सिखाने की बात आई तो सूर्य नमस्कार के रूप में इसे आम लोगों के लिए आसान कर दिया गया। जब आप इसे बड़े पैमाने पर सिखाने का फैसला करते हैं, जहां आप लोगों पर निगरानी नहीं रख सकते तो फिर उसमें से कुछ शक्तिशाली तत्वों को निकाल लेते हैं, क्योंकि शक्तिशाली चीजों के साथ हमेशा यह आशंका भी जुड़ी रहती है कि अगर इसे उचित तरीके से नहीं किया गया तो यह नुकसान भी पहुंचा सकती है। इसलिए आप इसे अपेक्षाकृत कुछ आसान कर देते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल आप बहुत बड़े स्तर पर करते हैं। इसे आप एक बड़ी तादाद पर प्रयोग में ला सकते हैं, जहां आपको इस पर लगातार निगरानी की जरूरत नहीं होती और यह लोगों के लिए व्यवहारिक होती है। लेकिन जहां भी लोग इसे सीमित तादाद में कर रहे हैं, जहां हमारे लिए उनकी निगरानी रखना आसान होता है तो वहां हम इसे बिल्कुल अलग तरीके से सिखाते हैं।
सूर्य क्रिया और हठ योग
हठ योग एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए आपके तंत्र का मिलान ब्रम्हांडीय ज्यामिति के साथ किया जाता है। अगर आपकी ज्यामिति का ब्रम्हांडीय ज्यामिति के साथ मिलान हो जाए तो आप ब्रम्हांडीय ज्यामिति की प्रतिरूप बन जाते हैं। इसको करने में जबरदस्त सावधानी की जरूरत होती है। अगर आप इस ज्यामिति से दूर हैं तो कोई बात नहीं।
आदि योगी के समय से ही मानव तंत्र में सौर शक्ति को जागृत करने के लिए क्रियाओं और आसनों के विभिन्न आयामों का इस्तेमाल होता रहा है। आदि योगी ने स्वयं सौर ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए कई प्रकार की मुद्राएं और विधियां बतायी थी। महाभारत में भी किसी एक जगह भगवान कृष्ण द्वारा सूर्य आराधना का जिक्र आता है। किसी ने इसे बड़ी अजीब तरह का अभ्यास माना कि रोज सुबह उठकर सूर्योदय के समय वह शारीरिक व्यायाम करते हुए सूर्य को नमस्कार कर उनसे आशीर्वाद मांगते थे। कृष्ण स्वयं जरूर कोई सूर्य क्रिया करते थे। वह कौन सी क्रिया करते थे, यह तो नहीं पता। लेकिन मैं बड़ी आसानी से आपको कम से कम ऐसी बीस अलग-अलग सूर्य क्रियाएं बता सकता हूं, जिसमें से एक क्रिया तो वह करते ही होंगे या उसमें थोड़ा बहुत बदलाव रहा होगा। इन क्रियाओं के सिवा और कोई क्रिया हो ही नहीं सकती।
सूर्य क्रिया सिखाई जायेगी ईशा योग केंद्र में
हालांकि अभी तक हमने ईशा योग केंद्र में कभी गहन हठ योग की शिक्षा नहीं दी, जबकि यह बात और है कि मैं खुद हठ योग की छत्रछाया में ही बड़ा हुआ हूं। अभी तक हमने इसका उपयोग सिर्फ सम्यमा ध्यान की प्रांरभिक तैयारी के रूप में ही किया है। जिसमें हमने हठ योग के सिर्फ 18 आसनों को ही सम्यमा की तैयारी के रूप में रखा। पहले मैंने सोचा था कि मैं इससे दूर ही रहूंगा।
आप में वे सभी लोग जो अंग्रेजी या तमिल बोलते हों और 21 दिन के हठ योग शिविर में आना चाहते हों, वे आगामी 2013 की अपनी योजना इस तरह से रखें, ताकि आप हठ योग की शक्तिशाली क्रियाओं को सीखने और उनके अभ्यास के लिए 21 दिन निकाल सकें। अभ्यास की शक्तीशाली प्रणाली हठ योग, में निपुणता पाने के लिए आपको 21 दिन की साधना और तैयारी करनी होगी। लेकिन एक बात और, इसमें वही लोग शामिल हों जो नियमित तौर पर इसे करना चाहते हैं, वरना व्यर्थ में यहां आ कर हमारे प्राण न लें, क्योंकि हठ योग को सिखाने में अत्यधिक मेहनत करनी पड़ती है। हठ येाग अपने आप में एक पूर्ण आध्यात्मिक प्रक्रिया है। अगर आप ने बस एक चीज उचित रूप से कर ली तो यह काफी है।
बाएँ और दायें की प्राण नाड़ी
सम्पादकीय टिपण्णी: सूर्य किया और योगासन प्रोग्राम के लिए यहाँ जाएँ
ज्यादा जानकारी के लिए ishayoga.org पर जाएं या फिर info@ishahatayoga.com पर ईमेल करें।