रूद्र की हुंकार
इस हफ्ते के स्पॉट में सद्गुरु ने अमेरिका के ईशा केंद्र में चल रहे भाव स्पंदना कार्यक्रम से एक नई कविता लिख कर भेजी है। "यह कविता तब लिखी गई थी, जब भाव स्पंदन में प्रचंड गर्जन का दौर चल रहा था।"

ArticleMay 30, 2013
रूद्र की हुंकार
भरी जब पहली हुंकार आपने
आपकी रिक्तता से निकल आईं
कई आकाश गंगाएं
यहां हम चीखते चिल्लाते हैं
मिटाने को आपनी घुटन और बाधाएं
एक ही हुंकार में आपने
रच डाली अपनी असीम सृष्टि
चीखतें हैं हम आश लिए
मिटे हमारी यह निर्जीव सृष्टि
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उम्मीद है हमारी यह गर्जना
आपकी प्रबल हुंकार के साथ गूंजेगी
तारतार किए ध्वनि के तारों को हमने,
खोल दिए हैं परम के द्वार हमने
सुर हमारी हर निर्बल ध्वनि का,
हो आपकी हुंकार के सुर में
यही ख्वाहिश, यही है आरजू हमारी।
Love & Grace
यह कविता तब लिखी गई थी, जब भाव स्पंदन में प्रचंड गर्जन का दौर चल रहा था।