इस हफ्ते के स्पाॅट में सद्गुरु मृत्यु पर आने वाली अपनी एक किताब के बारे में बात कर रहे हैं। तो कैसी होगी यह किताब? क्या कुछ शामिल होगा इसमें?

 

जीवन में चल रही तमाम चीजों के बीच मृत्यु पर एक किताब का तैयार होना अपने आप में काफी रोचक है। मृत्यु पर जो किताब तैयार होनी है, उस प्रोजक्ट की जिम्मेदारी स्वामी निसर्ग को दी गई है।

जन्म एक जानलेवा बिमारी है और मृत्यु की मुक्ति से कोई भी व्यक्ति बच नहीं सकता। यानी कोई भी व्यक्ति इस जीवन में फेल नहीं होगा, सभी पास हो जाएंगे।
मृत्यु के बारे में एक इंसान को जो कुछ भी जानना चाहिए वह सब इस किताब में मिलेगा। स्वामी निसर्ग अनंतकाल में आस्था रखते हैं। उन्हें एक अर्थपूर्ण तरीके से नश्वरता या मृत्यु की बेड़ियों में बनाए रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। शरीर नष्ट होने वाली वस्तु है, जो अपनी ‘एक्सपायरी डेट’ यानी समापन तिथि के साथ दुनिया में आता है। जन्म एक जानलेवा बिमारी है और मृत्यु की मुक्ति से कोई भी व्यक्ति बच नहीं सकता। यानी कोई भी व्यक्ति इस जीवन में फेल नहीं होगा, सभी पास हो जाएंगे। मृत्यु की यह गारंटी ही लोगों के लिए पीड़ादायक है और बहुत सारे लोग इससे भयभीत रहते हैं।

अगर आप मृत्यु से शर्माते हैं तो आप जिदंगी के प्रति शर्माने लगेंगे, जीवन से भागने लगेंगे, बल्कि आप जीवन के कई रूपों से अछूते रह जाएंगे। लेकिन फिर भी आप मृत्यु से नहीं बच पाएंगे। जीवन का मकसद यही है कि आप मृत्यु के बारे में जान कर अपनी नश्वरता को एक साधन के रूप में इस्तेमाल करते हुए जीवन को गहनता से जानें। जीवन और मृत्यु एक दूसरे से अलग नहीं हैं, बल्कि एक ही घटना के दो पहलू हैं, जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता। नश्वरता से परे की घटनाओं को जानने के लिए, जीवन को समस्त आयामों के साथ जानने के लिए मृत्यु जरुरी है, या कहें मृत्यु के प्रति निरंतर जागरुकता जरुरी है। सिर्फ मृत्यु की निश्चित प्रकृति के बारे में जागरूकता बना कर ही आप जीवन रूपी इस फल का अधिकतम स्वाद ले पाएंगे। मृत्यु पर एक किताब लंबे समय से विलंबित है।

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