कैलाश पर्वत कितना भव्य है!!
इस बार के स्पॉट में, सद्गुरु भव्य कैलाश पर्वत के आकर्षण के बारे में बात कर रहे हैं। वे कुछ शब्दों और कविता के माध्यम से बता रहे हैं, कि कैसे कैलाश के प्रति उनका आकर्षण बस बढ़ता ही चला जा रहा है। आप हमारे स्लाइड शो में इस भव्य पर्वत के दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा, आप मानसरोवर और तिब्बत के अन्य स्थानों की झलकें भी देख सकते हैं - जहाँ ईशा पावन प्रवास (ईशा सेक्रेड वाक) में हिस्सा लेने वालों को जाने का मौक़ा मिला।
नेपाल में पांच दिनों की ट्रेकिंग, अन्नपूर्णा शिखर के आस-पास की चोटियों की हेलिकॉप्टर से यात्राएं, और भी बहुत कुछ – यह सब कैलाश की भव्य उपस्थिति के आगे धुंधला पड़ जाता है। यहां की कठिनाइयां, मांसपेशियों की पीड़ा, खराब मौसम, और असहनीय शौचालय – एक बार कैलाश का भव्य रूप देख लेने के बाद ये सभी कुछ सामान्य लगने लगते हैं। दर्शन (जिसे यहां गलत उच्चारण के कारण दर्चन कहा जाता है) में, ढलान पर नीचे उतरने के बाद, हम सभी थोड़े स्तब्ध हैं। मेरी कामना है, कि इस पर्वत के भव्य रूप से स्तब्ध होने का अनुभव सभी को हो। इस पर्वत के प्रति मेरा आकर्षण, हर साल, बस बढ़ता ही चला जा रहा है। ये पूरी तरह अविश्वसनीय है, और मुझे उस वस्तु से भिगो देता है, जो मुझे सबसे मूल्यवान लगती है।
भव्य और अद्भुत क्षमताओं वाले
एक देव के भीतर
उठी जब इच्छा – साझा करने की
अपने अपरिमित ज्ञान को
पाया उन्होंने सभी जिज्ञासुओं-साधकों को,
अपर्याप्त और अक्षम
ग्रहण करने में उनकी
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ज्ञान की प्रचंड और अंतहीन धार को
ज्ञान - उसका जो अस्तित्व में है
और ज्ञान - उसका जो अस्तित्व में नहीं है।
ज्ञान - जो समेटे हुए है
सृष्टि की हर अभिव्यक्ति,
उसके भितरी आयामों से लेकर
वह सब कुछ जो उसके मूल में है।
न पाकर किसी को योग्य
चुन लिया इस पावन पर्वत को।
न समझे कोई मूर्ख इसे
बस एक मामूली चट्टान
ऐसी सोच डूबा देगी उसे
अज्ञानता के भंवर में – हमेशा के लिए।
पता हो सबको यह
कि यह पाषाण मामूली नहीं
अस्तित्व के सभी प्राणियों में से
हुआ था चयन - इसी पाषाण का।