जोश और जड़ता का मिश्रण है जीवन
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु अपनी दो कविताओं के जरिए जोश और जड़ता का अंतर समझा रहे हैं कि जोश जहां जीवन की ओर ले जाता है वहीं जड़ता मृत्यु की ओर।
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु अपनी दो कविताओं के जरिए जोश और जड़ता का अंतर समझा रहे हैं कि जोश जहां जीवन की ओर ले जाता है वहीं जड़ता मृत्यु की ओर।
जोश उन परिंदों का
जिन्हें तलाश है मधुरस की
जोश उस शरारती बच्चे का
जो नहीं गया स्कूल
जोश उस प्रेमी का
जो जल रहा है विरह की अग्नि में।
जीवन है अच्छाई और बुराई से परे
जीने के लिए, जीवन को समझने के लिए
बस उत्साह है
जो जीवन की गहराई को छू सकता है
जो भरा है जीवन के जोश से
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है वह मृत्यु की जड़ता से परे
वह अमर है, जिसने जान ली
बेमकसद जोश, जिंदगी का ।
जिनमें तत्परता नहीं है
उनकी जड़ता
जिनमें उत्साह नहीं है
उनकी जड़ता
जो नहीं रखते खयाल किसी का
जो नहीं करते परवाह किसी की
उनकी जड़ता
जो नहीं करते प्रेम किसी से
उनकी जड़ता
खो देगी
उत्साह जीवन का
जीवन तो है सैलाब
सृष्टि के आनंदमय स्रोत का
जड़ता निमंत्रण है मौत को
जड़ता एक प्रक्रिया है
जड़ बन जाने की
जड़ता नजरिये व व्यवहार की
लाती है किस्तों में
मृत्यु की कठोरता
जीवन और मृत्यु दोनों एक ही ऊर्जा हैं, अंतर है तो बस उत्साह और जड़ता का। जीवन का उत्साह बहुत सी वजहों से बाधित हो सकता है। अपने खुद के कार्यकलाप और चीज़ों को ग्रहण करने का तरीका ही अपने कर्म तैयार करने की बुनियादी वजह है। हर व्यक्ति जोश और जड़ता का एक मिश्रण है अर्थात जीवन और मृत्यु का एक मेल है। हमारे जीवन का हर पहलू – हम क्या खाते हैं से लेकर हम कैसे सांस लेते हैं, कैसे बैठते हैं या कैसे खड़े होते हैं, हर पहलू, या तो हमारी जड़ता बढ़ाएगा या हमारा उत्साह।
योग इन दोनों को वश में करने का विज्ञान है ताकि हम जड़ता और जोश के बीच झूलते ना रहें।
मैं कामना करता हूं कि आपके उत्साह का सैलाब मानव जीवन की संभावनाओं के शिखर को छू ले।