दिमाग से निकाल फेंके मूर्खतापूर्ण निष्कर्षों को
सद्गुरु कैलाश यात्रा में काठमांडू से यह स्पॉट लिख रहे हैं और बता रहे हैं कि किस तरह जीवन में निष्कर्षों का ढहना और भ्रम होना हमारे लिए लाभदायक हैः
मैं फिलहाल कांठमांडू जाने के लिए दिल्ली के हवाई अड्डे पर हूं। जब मैं किसी पब्लिक प्लेस पर लोगों को देखता हूं, तो मुझे बेहद आश्चर्य होता है कि कैसे हर कोई इस तरह से घूम रहा है, जैसे वह हर चीज के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हो। इसने मुझे एक घटना की याद दिला दी।
मैंने तुरंत एयर होस्टेस को बुलाया। वह आई तो मैंने कहा, ‘इंजन काम नहीं कर रहा है, आपने यह बात हम लोगों को क्यों नहीं बताई?’ उसने कहा, ‘मैं कैप्टन से बात करती हूं।’ इतना कह कर वह चली गई। उसके बाद कैप्टन मेरे पास आया और अपने मोटे जर्मन लहजे में बोला, ‘आह! मिस्टर वासुदाव, नो प्राॅब्लेम।’ मैंने फिर दोहराया, ‘इंजन ने काम करना बंद कर दिया है। आपने यह बात हम लोगों क्यों नहीं बताई?’ ‘कोई प्राॅब्लेम नहीं है, हम लोग सुरक्षित नीचे उतरेंगे। बात सिर्फ इतनी है कि हम लोग थोड़ा धीरे चल रहे हैं।’ मैंने उनसे पूछा, ‘हम लोग किस गति से चल रहे हैं?’ कैप्टन ने जवाब दिया, ‘हम लोग लगभग 220 नाॅट की गति से चल रहे हैं।’ हालांकि वह विमान लगभग 500 नाॅट की गति से चलना चाहिए था।
मैंने उससे पूछा, ‘हम लोग कितना लेट हो जाएंगे?’ उसने जवाब दिया, ‘हो सकता है कि चार घंटे, लेकिन कोई समस्या नहीं है, मिस्टर वासुदाव।’ मैंने कहा, ‘अगर कोई समस्या नहीं है तो अच्छी बात है।’ मैंने अपना कुर्ता उतार कर एक टीशर्ट पहन ली, अगर कहीं अटलांटिक महासागर में तैरना पड़े तो परेशानी न हो। मैंने काफी देर से कुछ खाया नहीं था। मैंने एयर होस्टेस को बुलाकर उससे कहा कि उसके पास जितनी भी चाॅकलेट हैं, वो सारी ले आए। वह चाॅकलेट ले आई, मैंने वो सारी चाॅकलेट खा ली। मैंने अनुमान लगाया कि अगर हवाई जहाज को नीचे उतारने की नौबत आ सकती है, तो मैं पर्याप्त आराम कर लूं, मैं सही तरह के कपड़े पहन लूं, और मुझमें भरपूर ऊर्जा हो, थोड़ा संयोग हो - यह सब सोचते-सोचते मैं सो गया। मुझे लगा कि हवाई जहाज कहीं हवाई अड्डे पर उतरते समय दिक्कत न आए। लेकिन तकरीबन चार घंटे देर बाद पाइलट ने बेहतरीन तरीके से हवाई जहाज को उतार दिया। मुझे लगता है कि वह बेहद कुशल था।
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हवाई यात्रा में जागरूकता लाएं
हवाई जहाज में बैठे ज्यादातर लोग इस बात से अनजान होते हैं कि वे लोग चालीस हजार फीट की ऊंचाई पर एक टीन के डिब्बे में बैठे हैं। लोग जब हवाई जहाज के बारे में सोचते हैं तो उन्हें कुछ ऐसे ही ख्याल आते हैं - ‘अरे, अभी तक यह उड़ा नहीं, अभी तक यह उतरा नहीं।
एक बार की बात है, मैं भारत में ही एक छोटे जहाज में सफर कर रहा था। उस समय किसी ने मुझसे कहा, ‘सद्गुरु यह माॅनसून का समय है। रास्ते में आपको बहुत टर्बुलेंस (यानी वायुमंडलीय विक्षोभ) मिलेगा। ऐसे में आपको सीट बेल्ट पहननी चाहिए।’ मैंने कहा, ‘चिंता मत कीजिए, मुझे टर्बुलेंस में मजा आता है।’ इतना सुनते ही वह हंसने लगा। मैंने पूछा, ‘आप हंस क्यों रहे हैं?’ उसने कहा, ‘मुझे भी इसमें मजा आता है।’ जब आपको पता न हो कि आप किन हालात से गुजर रहे हैं तो यह चीज भी अपने आप में एक खास तरह का सुख है। कहते हैं- ‘अज्ञानता भी अपने आप में एक आनंद है।’ लेकिन जीवन के बारे में सबसे अच्छी बात यह होती है जब आप सब कुछ जानते हुए भी इसे करते हैं। इसमें एक अलग तरह का मजा होता है।
सब कुछ निश्चित होने का झूठा भाव
लोग खुद को या दूसरे को काल्पनिक कहानियां सुनाकर अपने जीवन में हर चीज़ निश्चित होने का एक झूठा भाव लाने की कोशिश करते हैं। आप इन कहानियों को जो चाहें नाम दे सकते हैं, कभी ग्रंथ, कभी धर्म या कभी प्रेम संबंध।
मान लीजिए कि आप एक जंगल में जा रहे हैं और आपको रास्ता पता है। लेकिन तभी आपको अहसास होता है कि आपको पता ही नहीं चल पा रहा कि आप कहां जा रहे हैं। आपको दिशा का पता ही नहीं रहता कि कौन सा पूरब है, कौन पश्चिम और कौन उत्तर या दक्षिण। जब आप भ्रमित होते हैं तो सबसे पहले रुकें और अपने चारों तरफ देखें। हर छोटी चीज पर पर ध्यान दें। हो सकता है कि आपको कहीं कोई ऐसा संकेत मिल जाए जो आपको बता सके कि आपको किधर जाना है। देखिए कि धूप किस तरफ से आ रही है और अगर यह रात का समय है तो तारों को स्थिति देखकर दिशा समझने की कोशिश कीजिए, आसपास कोई जमीनी पहचान ढूंढने की कोशिश कीजिए या फिर कम से कम यह देखिए कि हाथी की लीद किस तरफ जा रही है। हाथी की लीद भले ही आपको शहर की ओर न ले जाए, लेकिन कम से कम पानी के पास तक तो पहुंचा ही देगी। अगर आप रास्ता भूल गए हैं तो परेशान होकर इधर उधर मत भटकें।
भ्रम में होना अच्छा है
हालांकि आज पूरी दुनिया ही भ्रम और संघर्ष से गुजर रही है, लेकिन सवाल उठता है कि इनमें से कितने लोग सही दिशा में कदम उठाएंगे? बेवकूफी भरे नतीजों पर पहंुचने से बेहतर भ्रम में रहना है।
क्या पूरी जिंदगी गलत रास्ते पर जाने से बेहतर यह नहीं है कि जीवन के आधे रास्ते पर पहुँच कर आप भ्रम में पड़ जाएं? अगर ऐसा न हो तो जब आप मरने वाले होंगे तो आप हकबकाए हुए होंगे कि यह क्या हो गया। मरने का यह तरीका वाकई बहुत बुरा है। अफसोस की बात है कि लगभग अस्सी फीसदी लोग मरते समय इसी अवस्था में होते हैं। उन्हें कभी इस बात का अहसास ही नहीं होता कि उनके साथ भी ऐसा होने जा रहा है। जितनी जल्दी आप कन्फ्यूज होंगे, उतना ही अच्छा है। भ्रम का मतलब ही यही है कि आपका कोई भी निष्कर्ष टिक नहीं पा कर रहा। जब आप बुरी तरह से भ्रमित होते हैं तो आपके शरीर के अंगों के काम करने की क्षमता कहीं ज्यादा तेज हो जाती है, तब आप पहले से कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से देखने और सुनने लगते हैं।
ख़ुशी-ख़ुशी हर चीज़ पर ध्यान देना होगा
यह कुछ ऐसा ही है जैसे आप अपने कानों में हेडफोन लगाए जंगल में चले जा रहे हों। ऐसे में अगर कोई शेर दहाड़े भी तो आपको पता नहीं चलेगा। अचानक आपको अहसास होता है कि आपको पता ही नहीं कि आप कहां चले जा रहे हैं।
अगर आपको इस बात का अहसास हो गया है कि आप भ्रम में हैं तो अब आप गलत दिशा में अपनी बाकी ऊर्जा व समय बर्बाद न करें। ठहरिए, इंतजार कीजिए और अपने आसपास गौर कीजिए। जब आप भ्रमित होते हैं तो आपकी बुद्धि सजग व सक्रिय होकर अपने आसपास चीजों को लगातार ध्यान से देखने लगती है। आपको ऐसा ही होना चाहिए। आपको बस इस काम को खुशी खुशी करना सीखना होगा। अपने भ्रम को सचेत होकर संभालने का नतीजा ही सुस्पष्टता है।