भाव में नहीं, अहोभाव में!
एक साधक लिंग भैरवी के सान्निध्य में हुए अपने अनुभवों को, अपने आंसुओं के सैलाब को समझ नहीं पाए। उनके शंका और लिंग भौरवी के अनोखे कार्य-शैली पर सद्गुरु की वाणी:
साधक:- सद्गुरु, मैं पहली बार आश्रम आया हूं और यहां मुझे लिंग भैरवी में जाने का मौका मिला। वहां जा कर मैंने अपनी आंखें मूंद लीं, और बस, मेरी आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आंसुओं की धार बह रही थी, पर मैं रो नहीं रहा था। मैं जानना चाहता हूं कि उस वक्त मुझे क्या हुआ था।
पानी का लीकेज ! मुझे खुशी है कि यह आंखों से हो रहा था। मैं मजाक नहीं कर रहा हूं। जब कोई अभिभूत करने वाली घटना हो जाती है, और अगर वह आनंददायक हो, तो आपकी आंखों से आंसू बहने लगेंगे। अगर कुछ अप्रिय घटता है और वह आपके दिमाग को चकरा देने वाला हो तो, लीकेज कहीं और से भी हो जाता है!
Subscribe
समाज में लोगों ने आंसुओं को हमेशा दुख और दर्द से जोड़ कर देखा है। किसी के आंसू पोंछना एक बहुत बड़ा काम माना जाता है। पर आंसुओं का दुख-दर्द से कोई लेना-देना नहीं। अगर आंसुओं का लेना-देना है, तो अनुभूति की गहराई से, भावों की तीव्रता से। अगर आपका दुख बहुत गहरा है, तो आंसू बहने लगेंगे। अगर गुस्सा भी बहुत तीव्र है, तो आंसू आ जाएंगे। अगर खुशी अपार है, तो भी आंसू आएंगे। अगर प्यार बहुत गहरा है, तो भी आंसू निकलेंगे। बस तीव्रता को छू लेने भर से आंसू बहने लगते हैं। जरूरी नहीं कि इसका कोई नाम हो। ये आपके गम या खुशी या कोई और भाव आंसू बहाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। ये तो बस तीव्रता है जो आंसूओं के लिए जिम्मेदार है।
भैरवी – हो सकता है कि आपको सुंदर नहीं लगें, लेकिन वे इनमें बहुत तीव्रता है। केवल तीव्र नहीं, अत्यंत तीव्र। अगर आप बिना कोई नतीजा निकाले या बिना कोई सवाल किए उनके सान्निध्य में थोड़ी देर बैठे रहें, तो वे आपको अपनी तीव्रता की लहरों से सराबोर कर देंगी। समस्या यह है कि आंसू की बस एक बूंद गिरती है और दस सवाल उठ खड़े होते हैं। अगर आप बस वहां बैठे रहते हैं, बिना कोई सवाल पूछे, या बिना ये सब सोचे कि “ओह! देवी मेरे साथ हैं। अहा! अब ऐसा होने वाला है। देवी, मेरे लिए ये कर दीजिए, देवी, मेरे लिए वो कर दीजिए,” आदि; बिना ऐसा कुछ भी सोचे, बस अगर आप वहां शांत बैठे रह सकें, तो देखेंगे कि देवी तीव्रता की बड़ी-बड़ी लहरों के रूप में आप तक पहुंचेंगी। वे बस आपकी जांच कर रही हैं कि आप कितनी अच्छी तरह से तैयार हैं? मैं भी हमेशा लोगों को जांचता रहता हूं कि वे कितने तैयार हैं। काफी लोग तो बहुत कुछ के लिए तैयार ही नहीं हैं।
ज्यादातर लोग बस नाश्ता करना चाहते हैं। उनको पूरा भोजन पसंद नहीं है। वे बस छिटपुट खाना चाहते हैं। वे यहां-वहां से थोड़ा-थोड़ा ले लेते हैं और सोचते हैं कि उनको जीवन का भरपूर और बहुत ऊंचे दर्जे का अनुभव हो गया है। अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन का अनुभव बहुत गहरा हो, तो आपको किसी चीज से इतना अभिभूत हो जाना चाहिए कि आप अपना वजूद ही भूल जाएं। जब आप यहां खुद को भूल कर बैठेंगे, तब सब-कुछ यहीं होगा। अगर आप खुद को थोड़ा ऊंचा कर लेंगे, तो हो सकता है कि सामाजिक दृष्टि से आपका मूल्य बढ़ जाए, शायद आप किसी और के मुकाबले ज्यादा स्मार्ट तरीके से बात कर सकें, या शायद आप कुछ ऐसी पेचीदा चालें चल सकें, जो दूसरे नहीं चल सकते, लेकिन यह सब असलियत नहीं है।
ये सब शक्ति के रूप हैं। ध्यानलिंग थोड़ा सूक्ष्म है, यह आपको अपने आवरण में ले लेगा और आपको महसूस तक नहीं होगा। लेकिन देवी आपको एक जबरदस्त झटका देती हैं, इसलिए आप जान जाते हैं। आंसू बह निकलते हैं। चूंकि आप ध्यानलिंग के सान्निध्य में नहीं गए, इसलिए हमने आपको उस कोने (लिंग भैरवी) में डाल दिया। वे शक्ति का एक शानदार रूप हैं। हालांकि सिर्फ तीन साल पहले ही हमने उन पर काम शुरू किया और पूरा किया, लेकिन जिस प्रभावपूर्ण तरीके से वो काम करती हैं, उसे देख कर मुझे बड़ा अचंभा होता है। बिलकुल अविश्वसनीय! जब आप किसी चीज का निर्माण करते हैं, तो आप उसके सारे नाप-तौल, उसकी सारी बारीकियां जानते हैं। मान लीजिए आप एक हवाई जहाज बनाते हैं, तो आप उसकी टेक्नालाजी जानते हैं, आप जानते हैं कि यह कैसे उड़ता है, इसके उड़ पाने की क्या वजहें हैं, यानी सारा-कुछ। फिर भी जब यह उड़ान भरता है, तो आप भौंचक रह जाते हैं। हालांकि आप इसके तमाम पहलुओं को जानते हैं, फिर भी जब वह सचमुच उड़ान भरता है, तो बड़ा विस्मयकारी होता है। देवी वैसी ही हैं। हालांकि हमें उनके बारे में सब-कुछ मालूम था, यह भी कि वे कैसे काम करती हैं और सब-कुछ, लेकिन अभी भी उनकी विविधतापूर्ण कार्यशैली और उनके तरह-तरह के प्रभाव देख कर मैं विस्मय में डूब जाता हूं; यह बहुत अनोखा है। यह सचमुच बहुत विलक्षण और बहुत अनोखा है।
इसलिए बस वहां जा कर बैठ जाइए, और खुद को मिटाने के लिए स्वयं को सौप दीजिए। यही तरीका है। यह वो जगह नहीं है जहां जा कर आप खुद को बचाते रहें। आप जो कुछ भी हैं, उसको नष्ट हो जाना चाहिए, ताकि आप अपने भीतर एक दिव्य शक्ति ले कर बाहर आएं। यही होना चाहिए। मैं तो कहूँगा कि बस यही एक तरीका है। वरना आप यहां एक मामूली-से जीव की तरह जीते रहेंगे। इस ब्रह्मांड में हम सब अगर भौतिक तरीके से जिएं, तो हम एक बहुत सूक्ष्म जीव हैं। अगर हम अपने से बहुत अधिक विराट किसी चीज से अभिभूत हो जाएं, एक ऐसी शक्ति से अभिभूत हो जाएं जिसकी प्रकृति असीम है, तभी हमारी हर सांस, हमारा हर कदम सार्थक होगा।