आज के स्पॉट में सद्‌गुरु इस धरती के लिए अच्छे शिक्षकों और योगियों की जरुरत पर चर्चा कर रहें हैं और बता रहे हैं कि अगली फरवरी में वो खुद एक टीचर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम का संचालन करने वाले हैं। आइए जानते हैं विस्तार से उन्हीं के शब्दों में -

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

अगले कुछ दशकों में दुनिया में होने वाली घटनाओं का और मानव के विकास का मार्ग सुनिश्चित है। आप देखेंगे कि आने वाले वक्त में इंसान कई रूपों में इस तरह से सशक्त होगा, जिसकी पहले कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। इसकी वजह होगी कुछ खास तरह की टेक्नोलॉजी का विकास जिसके इस्तेमाल से बचना मुमकिन नहीं होगा। अगर इंसान विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास का लाभ उठाना चाहता है तो यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि इसे संभालने के लिए वो भीतरी तौर पर तैयार हो। अगर व्यक्ति भीतरी तौर पर इस विकास को संभालने के लिए तैयार नहीं होगा तो यह विकास अपने आप में विनाशकारी साबित होगा।

मैंने सोचा कि इस दिशा में हमें कुछ न कुछ करना चाहिए, क्योंकि हम दूसरे बहुत से लोगों से कई मायनों में ज्यादा शिक्षित, जानकार और बेहतर हालत में हैं कि इस दिशा में कुछ समाधान पेश कर सकें। इस सिलसिले में हम कई चीजों को छोड़ना चाहते हैं। हर देश अपने यहां एक खास तादाद में इंजीनियर, डॉक्टर, सैनिक, कारोबारी या खिलाड़ी तैयार करने की योजना बनाता है। लेकिन उस देश के लिए ऐसे लोगों को तैयार करना भी जरूरी हो जाता है, जो वैज्ञानिक तरीके से समाज के आत्मिक कल्याण के लिए कुछ कर सकें।

आज भारत के ऊपर ऐसे शिक्षक तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी है, जो इंसान के आत्मिक कल्याण की दिशा में काम कर सकें।
ईशा योग कार्यक्रम का एक पहलू यह भी रहा है कि जो भी चीज किसी को पेश की जाए, उसमें हमेशा एक खास तरह का जीवंतता बनी रहे। यहां शिक्षक जानकारी की गठरी किसी को नहीं थमा रहे हैं, बल्कि हर प्रक्रिया में एक जान भरने की कोशिश करते हैं। अपने आप से बड़ी किसी ऐसी चीज का अनुभव करना, जो आप ही के माध्यम से हो रही है, वाकई अपने आप में एक बड़ी संभावना है। एक बच्चे को जन्म देना किसी औरत के लिए एक बड़ा अनुभव होता है, क्योंकि वह जिंदगी की रचना भले ही नहीं कर रही हो, लेकिन नई जिंदगी लाने का जरिया जरूर बन रही है।
इसी तरह से एक शिक्षक के तौर पर आपके जरिए भौतिक चीजों की अपेक्षा कहीं अधिक बुनियादी चीज आकार ले रही होती है। यहां तक कि आपको उसका अहसास तक नहीं होता कि क्या घटित हो रहा है। आज भारत के ऊपर ऐसे शिक्षक तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी है, जो इंसान के आत्मिक कल्याण की दिशा में काम कर सकें। यह जरूरी नहीं कि हम सिर्फ योग शिक्षक तैयार करें, बल्कि कुछ मौकों पर हमें योगियों को तैयार करने की भी जरूरत है। हमें ऐसे लोगों की जरूरत है, जिनके पास एक मजबूत भीतरी अनुभव हो। यह एक दुष्कर व भारी जिम्मेदारी है। हमें इस बात का पूरा भरोसा और उम्मीद है कि ईशा योग केंद्र इस दुनिया को कई सारे योग शिक्षक और योगी उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। इस भरोसे की वजह है कि हमने इस दिशा में पहले ही पर्याप्त जमीनी तैयारी कर रखी है।

इस दिशा में हम आगामी फरवरी में एक टीचर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे हैं जो काफी गहन और तीव्र होगा। लगभग 20 सालों में पहली बार मैं इस कार्यक्रम को खुद संचालित करने जा रहा हूं।
आज खुद को संतुष्ट करने के लिए हमारे पास बहुत सी चीजें हैं। हम लोग अपने मन मुताबिक पेशा अपना सकते हैं, अपना कारोबार कर सकते हैं या मनचाही कला के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। मैं यह नहीं कर रहा है कि जीवन में करने के लिए योग एकमात्र या सर्वश्रेष्ठ चीज है। लेकिन जीवन में तृप्ति के नजरिए से बात की जाए तो अगर आप वाकई खुद को समर्पित कर देते हैं तो फिर आपको तृप्ति को किसी काम में तलाशने की जरूरत नहीं रह जाती। जिंदगी ऐसी ही है। इस दिशा में हम आगामी फरवरी में एक टीचर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे हैं जो काफी गहन और तीव्र होगा। लगभग 20 सालों में पहली बार मैं इस कार्यक्रम को खुद संचालित करने जा रहा हूं। इसलिए आप इस कार्यक्रम के जरिए योग शिक्षक बनने या फिर योगी बनने के लिए तैयार हो जाइए। दरअसल, यह अब कोई शौक या सुख की चीज न रह कर इस दुनिया के लिए एक बड़ी जरूरत बन गई है। ज्यादातर लोगों को वैसा काम नहीं मिल पाता जो उनके कद और मन के अनुकूल हो। जबकि कुछ लोगों को अपनी क्षमता से बड़ा कुछ करने का मौका मिल जाता है। शिक्षक होना एक ऐसा ही अवसर है, जहां आप खुद को अपने से कहीं बड़ा बना सकते हैं। ईशा योग शिक्षकों को यह सौभाग्य प्राप्त है, क्योंकि लोग उनके पास सात दिन रहते हैं। जब लोग उनके पास पहले दिन आते हैं और जब सातवें दिन उनके पास से जाते हैं तो उनकी दोनों स्थितियों की तुलना ही नहीं हो सकती। सात दिनों तक ईशा योग का कार्य्रकम सीखकर जाने वाले लोगों की आंखों से प्रेम व आनंद के आंसू बह रहे होते हैं। उनमें से कइयों की आंखों में सालों से एक बूंद आंसू न छलका होगा, लेकिन ऐसे लोग भी कुछ दिनों बाद जब आपकी तरफ देखते हैं तो आंखों में प्रेम व आनंद के आंसू भरे होते हैं। इस दुनिया में ऐसा कोई और काम या गतिविधि नहीं होगी, जो आपको ऐसी तृप्ति दे सके।

Love & Grace