रंगों का महत्व
आज होली के शुभअवसर पर हम चलते हैं रंगों की दुनिया में और सद्गुरु से जानते हैं राग और रंगों के खेल के बारे में...
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सृष्टि महज एक खेल है राग और रंगों का। फागुन के महीने में यह खेल अपने चरम पर होता है, प्रकृति के मनोहारी व लुभावने रूप को निहार कर जीवों के भीतर राग हिलोरें लेने लगता है। ये भीतर की हिलोरें जब बाहर प्रकट होती हैं तो उत्सव का रूप ले लेती हैं और रंगों का पर्व होली मनाया जाता है।
हर इंसान किसी न किसी रंग में रंगा है, किसी न किसी राग में मस्त है। दुनिया के रंगमंच पर विभिन्न्ा भूमिकाएं आदा कर रहे इंसान अलग-अलग रंगों की शरण लेते हैं। साधु-सन्यासी गेरूआ पहनते हैं तो समाज सेवी सफेद, वहीं सिनेमा के पर्दों पर अभिनय कर रहे कलाकार दर्शकों का दिल बहलाने के लिए रंग विरंगे वस्त्रों में पेश आते हैं। आप भी ढ़ूंढि़ए अपना रंग जो आपकी भूमिका को निखारे।
रंग क्या है
इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन चीजों को आप देखते हैं, वे भी रंगहीन हैं। रंग केवल प्रकाश में होता है।
रंग वह नहीं है, जो वो दिखता है, बल्कि वह है जो वो त्यागता है। आप जो भी रंग बिखेरते हैं, वही आपका रंग हो जाएगा। आप जो अपने पास रख लेंगे, वह आपका रंग नहीं होगा। ठीक इसी तरह से जीवन में जो कुछ भी आप देते हैं, वही आपका गुण हो जाता है। अगर आप आनंद देंगे तो लोग कहेंगे कि आप एक आनंदित इंसान हैं।
रंगों का असर
रंगों में तीन रंग सबसे प्रमुख हैं- लाल, हरा और नीला। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीन रंगों से पैदा किए जा सकते हैं।हर रंग का आपके ऊपर एक खास प्रभाव होता है। आपको पता ही होगा कि कुछ लोग रंग-चिकित्सा यानी कलर-थेरेपी भी कर रहे हैं। वे इलाज के लिए अलग-अलग रंगों के पानी की बोतलों का प्रयोग करते हैं, क्योंकि रंगों का आपके ऊपर एक खास किस्म का प्रभाव होता है।
लाल रंग
जो रंग सबसे ज्यादा आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है वो है लाला रंग, क्योंकि सबसे ज्यादा चमकीला लाल रंग ही है।बहुत सी चीजें जो आपके लिए महत्वपूर्ण होती हैं, वे लाल ही होती हैं। रक्त का रंग लाल होता है।
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देवी (चैतन्य का नारी स्वरूप) इसी जोश और उल्लास का प्रतीक हैं। उनकी ऊर्जा में भरपूर कंपन और उल्लास होता है। देवी से संबंधित कुछ खास किस्म की साधना करने के लिए लाल रंग की जरूरत होती है।
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नीला रंग
नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है। आप देखेंगे कि इस जगत में जो कोई भी चीज बेहद विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर।
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काला रंग
कोई आपको काली प्रतीत होती है, इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, सब कुछ सोख लेती है।
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लेकिन अगर आप किसी ऐसी जगह हैं, जहां एक विशेष कंपन और शुभ ऊर्जा है तो आपके पहनने के लिए सबसे अच्छा रंग काला है क्योंकि ऐसी जगह से आप शुभ ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा आत्मसात करना चाहेंगे। शिव को हमेशा काला माना जाता है क्योंकि उनमें खुद को बचाए रखने की भावना नहीं है, इसलिए वह हर चीज को ग्रहण कर लेते हैं, किसी भी चीज का विरोध नहीं करते। यहां तक कि जब उन्हें विष दिया गया तो उसे भी उन्होंने सहजता से पी लिया।
सफेद रंग
सफेद यानी श्वेत दरअसल कोई रंग ही नहीं है। कह सकते हैं कि अगर कोई रंग नहीं है तो वह श्वेत है। लेकिन साथ ही श्वेत रंग में सभी रंग होते हैं। तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर हैं और जीवन के तमाम दूसरे पहलुओं में भी उलझे हैं, वे अपने आसपास से कुछ बटोरना नहीं चाहते।
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गेरुआ रंग
यह रंग एक प्रतीक है। सुबह-सुबह जब सूर्य निकलता है, तो उसकी किरणों का रंग केसरिया होता है या जिसे भगवा, गेरुआ या नारंगी रंग भी कह सकते हैं ।
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एक और बात है और वह यह कि हर चक्र का एक रंग होता है। हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्रों का अपना एक अलग रंग है। भगवा या गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है और आज्ञा ज्ञान-प्राप्ति का सूचक है। तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर होते हैं, वे उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं इसलिए वे इस रंग को पहनते हैं। साथ ही आपके आभमंडल का जो काला हिस्सा होता है, उसका भी इस रंग से शु़द्धीकरण हो जाता है।
वैराग्य - रंगों से परे
राग का अर्थ है रंग। रंग से जो परे है, वह रंगहीन नहीं है, वह पारदर्शी है।
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दुनिया के रंगमंच पर शानदार अभिनय के लिए इंसान को खुद को उच्चतर आयामों में विकसित करना होगा। हम जीवन की संपूर्णता को, जीवन के असली आनंद को तब तक नहीं जान पाएंगे जब तक हम उस आयाम तक न पहुंच जाएं जो राग व रंगों से परे है।
- ईशा लहर मार्च 14 से उद्धृत