नदी अभियान : देखें लाइव – मध्य प्रदेश के वन्य फार्म की झलकें
नदी अभियान रैली ने राज्य मध्य प्रदेश में प्रवेश किया। देखते हैं मध्य प्रदेश में नदी अभियान रैली के एक ऐसे पड़ाव की झलकें जो बिलकुल उसी तरह बनाया जैविक रूप से गया है, जो नदी अभियान में प्रस्तावित किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश बाकि के राज्यों की तरह ही हरा भरा है – कुछ राजमार्ग हमें सुन्दर पहाड़ी इलाकों और हरे मैदानों के बीच ले गए। थोड़ी सी बारिश हुई, और फिर रैली एक अनूठे फार्म – वन्य फार्म पहुंची। इस फार्म की देखभाल पतंजलि झा और उनका परिवार करता है। एक मिट्टी से भरपूर पथ हमें इस फ़ार्म तक ले जाता है – जो अपने आपमें रोमांचक है।
ये एक बहुत ही अनूठा प्रयास है, जिसमें हम दूर हटकर प्रकृति को खुद को संवारने का एक मौक़ा दे रहे हैं। मिट्टी, पानी और पेड़ परस्पर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। धरती में बहुत ज्यादा नमी मौजूद होने की वजह से इन्हें पानी की जरुरत नहीं है। ये एक घना एग्रोफारेस्ट है। सद्गुरु का प्रस्ताव बिलकुल यही है।
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कोई दिव्य शक्ति हमें अपने जैसे ही विचार रखने वाले लोगों से जोड़ रही है। जल्द ही हम एक जबरदस्त शक्ति बन कर उभरेंगे।
वन्य फ़ार्म नर्मदा के तट पर बना एक घना एग्रो फारेस्ट है। ये उसी समाधान पर आधारित है, जिसका प्रस्ताव ईशा ने भी तैयार किया है। इसे पतंजलि झा और उनके पिता द्वारा बनाया गया है, और ये पिछले 12 सालों से एक जीवंत उदाहरण की तरह काम कर रहा है, और बहुत फायदा पहुंचा रहा है।
ये फार्म इस बात का एक अच्छा उदाहरण है कि अगर हम प्रकृति को फलने फूलने दें और बस उसे अपना काम करने दें, तो प्रकृति कैसे फलने फूलने लगेगी। पक्षी और मधुमक्खियाँ किसान का काम करतीं हैं, क्योंकि वे परागनदी में मदद करती हैं। ये फार्म 50 एकड़ में फैला हुआ है। ये एक सामान्य खेत की तरह नहीं है, जिसमें फसलें पंक्तियों में पाई जाती हैं। इस एग्रो फारेस्ट में पूरी उथल-पुथल मची हुई है। लेकिन जो दृश्य मनुष्य को उथल पुथल लग सकता है वो प्रकृति की अनूठी व्यवस्था है। इस फ़ार्म में सिंचाई नहीं होती क्योंकि ज़मीन में काफी नमी है, और पानी को पकड़े रहता है। वे बस छिडकाव के लिए यंत्रों का प्रयोग करते हैं, ताकि गर्मियों के मौसम में नमी बनी रहे।
तो नदी अभियान से इसका क्या सम्बन्ध है? ये फार्म नर्मदा के तटों पर बनाया गया है। और इससे ये स्पष्ट होता है कि कैसे नदी के तटों पर पेड़ उगाने से मिट्टी की गुणवत्ता और पानी की गुणवत्ता भी सुधरती है। एक सी सोच रखने वाले लोग खुद ही जुड़ते जा रहे हैं। इससे हमें बहुत आत्म-विश्वास मिल रहा है कि ये काम करेगा।
फार्म के मालिक और मित्र हमरा स्वागत करने के लिए फार्म पर मौजूद थे। वे हमें फ़ार्म घुमाने ले गएजिसके बाद उन्होंने हमें फ़ार्म में उपजी चीज़ें भेंट कीं। मूंगफलियाँ, स्वादिष्ट केले, मखाने और आम जो बाहर से हरे थे, लेकिन अन्दर से नारंगी रंग के थे!
सद्गुरु ने आयोजक से कुछ बातें कीं, जिसके बाद हम महेश्वर चल पड़े। महेश्वर नर्मदा के तट पर एक छोटा शहर है जहां पूजा, आरती और एक वक्तव्य होना था।