केरल बाढ़ राहत कार्य में मदद के लिए पहुचें ईशा स्वयंसेवक
जिस समय केरल पिछली लगभग एक शताब्दी की सबसे बुरी बाढ़ से जूझ रहा था, 175 स्वयंसेवी, जिनमें 50 नदी वीर और कई डॉक्टर शामिल थे, बचाव प्रयासों में सीधे शामिल थे। वे बुनियादी सुविधाएं, चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे थे और घरों तथा मंदिरों की सफाई कर रहे थे। इन प्रयासों में अब तक वे 68,000 लोगों तक पहुंच चुके हैं। ‘ईश्वर के अपने देश’ में जो कुछ हुआ, उस पर करीब से एक नज़र डालते हैं:
केरल में क्या हुआ?
पिछले 2 महीने में, केरल राज्य ने शताब्दी की सबसे बुरी बाढ़ का अनुभव किया है। मूसलाधार बारिश ने राज्य सरकार को इतिहास में पहली बार अपने 42 में से 35 बांधों को खोलने पर विवश कर दिया। सभी 14 जिले हाई अलर्ट पर थे और बाढ़ तथा भूस्खलन ने सैंकड़ों गांवों को तबाह कर दिया है। राज्य के 80 फीसदी हिस्सों में बिजली नहीं है। ओणम उत्सवों को रद्द कर दिया गया और रनवे पर बाढ़ का पानी आने के कारण कोच्चि इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है।
करीब हजार लोगों की मौत हो चुकी है और 80,000 लोगों को केंद्रीय बलों जैसे भारतीय सेना और नौसेना, राज्य सुरक्षा बलों और स्थानीय मछुआरों द्वारा बचाया गया है, कुल मिलाकर राज्य में जबर्दस्त नुकसान हुआ है। 10 लाख से अधिक लोगों ने 4000 राहत शिविरों में आश्रय लिया है।
राज्य को कम से कम 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है। केंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये राहत के लिए दिए हैं और 16 राज्य सरकारों ने 1 करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक की दानराशि दी है। मगर यह जरूरत से काफी कम है। केरल को व्यक्तिगत और प्राइवेट संस्थाओं की मदद की जरूरत है।
एक ईशा स्वयंसेवक का अनुभव
“इस राज्य का एक हिस्सा बनना ‘एक तरह का अनुभव’ है – अनजान घरों में घुसने से लेकर बाढ़ से अधिक प्रभावित इलाकों में लोगों को पीने के पानी या झाड़ू या सफाई सामग्री की तलाश में इधर-उधर भटकते देखना। यह दृश्य सहन करना आसान नहीं है। मिट्टी की 6 सेंटीमीटर गहरी पर्तों की सफाई, जिनके अंदर सांप, मेंढक और अन्य रेंगने वाले जीव छिपे हो सकते थे, एक ऐसा काम था जिसके लिए हमारी कोई तैयारी नहीं थी। मगर इस छोटी सी मदद ने लोगों के अंदर फिर से खड़े होने और जीने के लिए जो ऊर्जा और उत्साह भरा, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।”
- दाक्षायनी दास, नदी वीर जो केरल बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचने के लिए बचाव प्रयासों में जुटी थीं।
अन्य संस्थानों से जुड़े ईशा स्वयंसेवक
“’22 अगस्त को, जब कोटायेल कोविलक्कम के वार्ड नं 12 में 300 परिवारों की मदद के लिए हमारे संसाधन कम पड़ गए, तो ईशा के स्वयंसेवक हमारे बचाव में सामने आए। हमें न सिर्फ सफाई का सामान मिला बल्कि हमारी प्रगति के बारे में पूछताछ करने के लिए समय-समय पर फोन भी आए। इन 300 परिवारों को प्रचुर मात्रा में सामान मिलने के बाद उनके अंदर काम करने और अपने घरों को साफ करने का नया जोश आया। धन्यवाद ईशा, आप सुविधाहीन लोगों की सेवा करने वाले असली चैंपियन हैं।’”
- प्रिया सिंह, कैंप कोआर्डिनेटर, कोकून फाउंडेशन
पिछले चार दिनों में 68,000 लोगों को ईशा के प्रयासों से लाभ पहुंचा है। विस्तृत ब्यौरा पेश है।
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हमारे स्वयंसेवकों ने 120 फंसे हुए लोगों की रिक्वेस्ट बचाव टीमों तक पहुंचाकर उनकी मदद की।
बाढ़ का पानी उतरने के बाद घरों की सफाई में मदद के लिए 21 युवा नदीवीरों को काम सौंपा गया। वे अब तक लगभग 100 घर, कलाडि में आदिशंकर मंदिर और देशोम में आग्नेय मंदिर की सफाई कर चुके हैं। 30 स्वयंसेवकों को ये मंदिर साफ करने में दो दिन लगे।
जहां भी अधिक जरूरत थी, वहां मदद पहुंचाते हुए स्वयंसेवकों ने अकेली बुजुर्ग महिलाओं और बुजुर्ग दंपतियों की सहायता की, जिनके घरों में उनकी मदद करने वाला कोई नहीं था। बुजुर्गों ने यह कहते हुए युवाओं को धन्यवाद दिया, ‘आप लोग हमारे बच्चे जैसे हैं’ और ‘आपने हमारे लिए जो किया, उसे हम कभी नहीं भूलेंगे।’
मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं
ईशा की टीमों ने तिरुपुर, कोयंबतूर, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और पलक्कड से खाद्य सामग्री, सफाई का सामान, कपड़ों, गम बूट, मास्क, दवाइयों, आदि राहत सामग्री का 5 भरे ट्रक के बराबर सामान इकट्ठा किया।
वापसी के बाद घरों की सफाई में मदद करने के लिए सामन को व्यवस्थित करने के लिए 60 से अधिक स्वयंसेवी इकट्ठा हुए।
लगभग 250 शिविरों को ये सामान उपलब्ध कराए गए:
- 24,000 लोगों के लिए मूलभूत खाद्य सामग्री जैसे चावल और दालें
- 40,000 बड़ों व बच्चों के लिए कपड़े
- 12,000 लोगों तक 2600 सफाई किट पहुंचाए गए।
- 8000 लोगों के लिए ओआरएस और कफ सिरप जैसी आम दवाइयां
सामग्री लेने के लिए लोग नीलांबुर तक से आए। उन्होंने मुख्य रूप से अलुवा, परूर, चेंगानुर, पथनमथिट्टा, वाइकोम, थुरावुर और चेरथला में स्थित शिविरों को मदद पहुंचाई।
कुछ स्वयंसेवियों ने खाने-पीने के सामान के पैकेट बनाकर व्यक्तिगत रूप से 6-8 शिविरों तक पहुंचाए ताकि वहां भोजन की आपूर्ति में कमी न आए।
जैसे-जैसे लोग शिविरों से निकल कर अपने घरों को लौट रहे हैं, स्थानीय बाजारों में साफ-सफाई की सामग्री की कमी हो रही है। इसलिए कई शिविर और स्वयंसेवक क्लीनिंग किट पाकर बहुत खुश हुए।
ईशा आउटरीच मोबाइल मेडिकल वैन की चिकित्सा सहायता
प्रभावित क्षेत्रों के आस-पास तीन ईशा आउटरीच मोबाइल मेडिकल वैन 21 अगस्त से चल रहे हैं।
- हर दिन औसतन 740 लोगों की जांच की जा रही है।
- सामान्य बीमारियां थीं – बुखार, ऊपरी और निचली श्वास नली संक्रमण, गैस्ट्रोएंट्राइटिस, वाशरमैंस फुट, मधुमेह, हाइपरटेंशन, नेल बेड संक्रमण, त्वचा की एलर्जी, छोटी-मोटी चोटें, आदि।
- मुख्य रूप से पेरंवुर, अलुवा, पारावुर और मलियनकारा में चिकित्सा सहायता पहुंचाई गई।
- • स्वयंसेवकों ने काशायम (इम्युनिटी बढ़ाने और रोगों से बचाव के लिए हर्बल टॉनिक) को तैयार करने में 5 घंटे लगाए जो बहुत सफल रहा। रोजाना औसतन 120 लीटर नीलावेंबु काशायम बांटा जा रहा है।
अधिकांश मरीजों ने इस बात की सराहना की - कि प्रदान की जा रही चिकित्सा सेवाएं दूसरे शिविरों से अलग हैं, जैसे शिविरों में आयुर्वेदिक उपचार दुर्लभ है। साथ ही मरीजों को यह देखकर खुशी हुई कि अलग-अलग राज्यों से डॉक्टर उनके इलाज के लिए आए हैं।
स्वयंसेवकों ने सद्गुरु के प्रति अपना आभार व्यक्त किया कि उन्होंने उन्हें जरूरत के समय सेवा करने और केरल बाढ़ राहत कार्य में छोटा सा योगदान करने का मौका दिया।
संपादक की टिप्पणी: केरल बाढ़ राहत के जारी प्रयासों में मदद के लिए, कृपया डोनेट करें: http://isha.co/KeralaRelief-India India, http://isha.co/KeralaRelief-Overseas Overseas.