आदियोगी शिव का चेहरा : एक नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
ईशा योग केंद्र दूसरी बार गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराने की वजह से चर्चा में है। आदियोगी शिव के चेहरे को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया है। आइये जानते हैं ...
‘एक वर्ल्ड रिकॉर्ड क्या है?’ इस बारे में गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड की वेबसाइट पर बताया गया है कि वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रस्ताव किसी ऐसी चीज के बारे में होना चाहिए जिसके बारे में अधिकांश दुनिया को पता हो। वह किसी खास जाति या क्षेत्र से संबंधित नहीं होना चाहिए।
उसके अनुसार, 10 मई को गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड ने आदियोगी के चेहरे को रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया:
‘सबसे विशाल आवक्षमूर्ति(बस्ट) 34.24 मीटर (112 फीट 4 इंच) ऊंचा, 24.99 मीटर (81 फीट 11.8 इंच) चौड़ा और 44.90 मीटर (147 फीट 3.7 इंच) लंबा है, जिसे तमिलनाडु, भारत में ईशा फाउंडेशन द्वारा बनाया गया है, जिसकी पुष्टि 11 मार्च 2017 को की गई।’
इसका पूरा विवरण गिनीज विश्व रिकॉर्ड की वेब साईट पर पढ़ा जा सकता है।
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सद्गुरु ने 112 फीट ऊंची मूर्ति बनाने के बारे में क्यों सोचा?
सद्गुरु ने 20 जुलाई 2016 को सद्गुरु स्पॉट में लिखा – ‘हम लोग आदियोगी को मूर्तिरूप में प्रतिष्ठित कर दुनिया में उनकी मौजूदगी को साकार करने की योजना बना रहे हैं, ताकि लोग समझ सकें कि केवल बोध को बढ़ाते हुए ही जीवन को सही मायने में विस्तार दिया जा सकता है।
ऐसे चेहरे को प्रतिष्ठित करने के पीछे मकसद दुनिया में एक और इमारत खड़ी करना नहीं है, बल्कि इसे एक जबरदस्त शक्ति के रूप में इस्तेमाल करना है, जो इस दुनिया के विश्वासियों को ऐसे खोजियों में बदल सके – जो जीवन और उसके आगे के सत्य को खोजें। आप जानते हैं कि विश्वास करने वाले लोग कितनी भयानक चीजें करने में सक्षम होते हैं। इस धरती पर जितने भी संघर्ष हुए हैं, वे एक व्यक्ति के विश्वास के दूसरे व्यक्ति के विश्वास से टकराने के कारण हुए। हालांकि कुछ लोग इन्हें अच्छाई और बुराई का संघर्ष कहना चाहेंगे। जैसे ही आप किसी एक चीज में अपना विश्वास निश्चित कर लेते हैं, चाहे वह चीज कुछ भी हो, आप बाकी हर चीज के प्रति अपनी आंखें मूंद लेते हैं। विश्वास के सिस्टम को काम करने के लिए एक झुंड या समूह की जरूरत होती है। अगर आप अपनी बुद्धि से अपने लिए सोचेंगे तो वह विश्वास ढह जाएगा। जिज्ञासा की प्रकृति व्यक्तिगत होती है। हर इंसान को अपने भीतर ही खोज करनी होती है।’
आदियोगी-निर्माण के प्रोजेक्ट मेनेजर का अनुभव
‘आदियोगी के चेहरे को अंतिम रूप देने में करीब दो से तीन साल लगे। एक बार उसका रूप तय होने के बाद हमने अगले 3 महीने में आदियोगी का पहला चेहरा बनाया, जो 21 फीट ऊंचा था।
जब साल 2014 में हम 21 फीट का दूसरा चेहरा बनाने में जुटे थे, सद्गुरु ने कहा, ‘क्यों नहीं हम 112 फीट ऊंचा चेहरा बनाते?’ उस समय मैं कल्पना नहीं कर पाया कि 112 फीट कितना ऊंचा होगा। मैं बस एक रेखा के तौर पर उसकी कल्पना कर सकता था मगर जब मूर्ति की बात आती है तो आप उसकी कल्पना नहीं कर सकते। अगर ऊंचाई 112 फीट होगी, तो उसकी चौड़ाई एक सौ साठ फीट और गहराई को अस्सी फीट रखना होगा। यह आंकड़ा इतना विशाल था कि उस समय मैं अपने दिमाग में उसकी कल्पना नहीं कर पा रहा था। जब हम उसके आयामों को तय कर रहे थे, तो सिर्फ नाक ही चौदह फीट की हो रही थी। चौदह फीट का मतलब है, मेरी लंबाई का लगभग तीन गुना। आप सोच कर देखिए, मेरी लंबाई का तीन गुना सिर्फ नाक ही हो। उसके बाद पूरी मूर्ति की कल्पना कीजिए। उस समय वह मेरी सोचने-समझने की क्षमता से परे था।
आदियोगी के 112 फीट ऊंचे चेहरे को आठ महीनों में पूरा कर पाने का मुख्य कारण निश्चित रूप से यही था, कि हमारे पास 21 फीट के आदियोगी का मूल ढांचा तैयार था। शायद दुनिया में किसी ने इतनी तेजी से ऐसा कोई काम पूरा नहीं किया होगा।’
- विक्की, आश्रम स्वयंसेवी और आदियोगी प्रोजेक्ट मैनेजर
कई नेशनल प्रिंट मीडिया और ऑनलाइन मीडिया ने गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड की घोषणा के कुछ ही दिनों में इस खबर को प्रकाशित किया।
ईशा फाउंडेशन ने दूसरी बार गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। 17 अक्टूबर 2006 को एक दिन में 8.52 लाख पौधे लगाने के लिए फाउंडेशन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जगह मिली थी।
हमें खुशी है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 नवंबर 2015 को आठ घंटे में 10 स्थानों पर 1,053,108 पौधे लगाते हुए हमारा रिकार्ड तोड़ा।