ज्योतिष का ज्ञान - भ्रम या विज्ञान?
क्या ज्योतिष ज्ञान का कोई वैज्ञानिक आधार होता है? क्या ज्योतिष के आधार पर भविष्यवाणी की जा सकती है?सद्गुरु बता रहे हैं कि ज्योतिष ज्यामिति पर आधारित विज्ञान है
प्रश्न : भारतीय पुराण-शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और हस्तरेखा विज्ञान उपहास के विषय बन चुके हैं। सद्गुरु, क्या ये वास्तव में विज्ञान हैं या केवल मिथक हैं?
सद्गुरु : ये उपहास के विषय बन गए हैं, क्योंकि इनको बहुत बढ़ा-चढ़ा दिया गया है। ये हास्यास्पद बन गए, क्योंकि इन्हें लेकर बेतुके दावे किए गए। एक वजह यह भी है कि इन चीजों को बहुत ज्यादा व्यवसायिक बना दिया गया है। ऐसा नहीं है कि ग्रहों की स्थिति और धरती के जीवों के साथ उनके ज्यामितीय संबंधों से कोई भी इन्कार कर सकता है। लेकिन ये चीजें उपहास का पात्र बनीं, क्योंकि इन्हें लेकर बहुत ही निरर्थक दावे किए गए। ये दावे एक तरह से सस्ते विज्ञापनों की तरह हैं जो किसी चीज को बेचने के लिए किए जाते हैं, जिसमें चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
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ज्योतिष ज्ञान का क्या उद्देश्य है ?
ज्योतिष शास्त्र इसलिए नहीं है कि वह आपको पहले ही बता सके कि आपकी या किसी और की जिंदगी में क्या होने वाला है। यह जीवन में आने वाली चीज़ों की रूप-रेखा को एक हद तक समझने के लिए है, जिससे आप अपनी गतिविधियों को उनके अनुसार तय कर सकें, ताकि आपको अधिक से अधिक लाभ हो।
आप जानते हैं कि खेल जगत से जुड़े लोग एक आसान सा काम करने के लिए भी चीजों को खास तरह से करते हैं।
ज्यामिति की जानकारी से बस स्पष्टता मिलेगी
अगर आप यह जान जाएं कि अलग-अलग समय पर ज्यामिति कैसी है, और उसका हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है, तो इससे आपको एक खास तरह की आजादी मिलेगी, जिससे आप अधिक स्पष्टता के साथ काम कर सकेंगे।
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि इंसान की भीतरी प्रकृति से संबंध रखने वाले हर विज्ञान में एक खास तरह की निष्ठा और ईमानदारी हो, चाहे वह योग हो या कोई दूसरी आध्यात्मिक प्रक्रिया। जरूरी यह है कि वह लोगों तक विशुद्ध रूप में पहुंचे, नहीं तो एक बेहद महत्वपूर्ण चीज भी पीढ़ी दर पीढ़ी गलत रूप में आगे बढ़ते हुए उपहास का विषय बन जाएगी। यही आध्यात्मिक प्रक्रिया के साथ भी हो रहा है, योग और ज्योतिष शास्त्र के साथ भी हो रहा है, क्योंकि जो लोग इसे दूसरों तक पहुंचा रहे हैं, वे निष्ठा, ईमानदारी और अनुशासन की मिसाल पेश नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी चीजों के उपहास का विषय बनने का कारण भी यही है।