महर्षि वेमाना – दृढ़ संकल्प से आत्म-ज्ञान पाने की कथा
सद्गुरु वेमाना नाम के एक लड़के की कथा सुना रहे हैं, जो अपनी धुन और दृढनिश्चय के कारण एक बड़ा संत बना। जानते हैं कि कैसे एक निश्चल संकल्प ने उन्हें मुक्ति दिला दी।
आंध्र प्रदेश में वेमाना नाम के एक प्रसिद्ध संत हुए। आंध्र प्रदेश में कोई घर ऐसा नहीं होगा, जिसमें उनके बारे में कम से कम एक छोटी सी किताब न हो। हालांकि उनका नाम कुछ और था, मगर उन्हें वेमाना का नाम दिया गया। जब वह छोटे थे, तो उन्हें निपट मूर्ख माना जाता था। वे अपने गुरु के साथ रहते थे, जिन्होंने उन्हें अक्षर ज्ञान देने की कोशिश की, मगर पंद्रह साल के होने के बावजूद वेमाना कुछ अक्षरों से अधिक नहीं सीख पाए क्योंकि उनका दिमाग बहुत कमजोर था।
गुरु को परेशानी में डालकर वेमना को बुरा लगा
गुरु उनसे बहुत क्रोधित हो गए, मगर वह लड़का चुपचाप बस उन्हें देखता रहा। गुरु ने हताश होकर उन्हें एक चॉक पकड़ा दिया और कहा, ‘जब तक मैं वापस न आऊं, यहां बैठकर इस चट्टान पर ‘राम, राम, राम’ लिखते रहो। क्या पता तुम्हें कुछ अक्ल आ जाए।’ फिर वह अपने काम के लिए चले गए।
लड़के को बहुत बुरा लगा कि उसके गुरु की सभी कोशिशें उस पर बेकार जा रही हैं। वह बस वहां बैठकर ‘राम, राम, राम’ लिखता रहा। चॉक खत्म हो गई, फिर वह अपनी ऊंगली से लिखता रहा। उसकी उंगली घिस गई और उससे खून बहने लगा, मगर वह बस ‘राम, राम, राम’ लिखता रहा। शाम में जब गुरु आए, तो देखा कि लड़का अब भी ‘राम’ नाम लिख रहा है और उसकी उंगली पूरी घिस गई है। उन्होंने लड़के को उठाकर गले से लगा लिया और रोने लगे, ‘मैंने तुम्हारे साथ यह क्या कर दिया!’
आत्म ज्ञानी बनें महर्षि वेमाना
उस दिन के बाद, वह लड़का एक कमाल का कवि बना और उसने एक आत्मज्ञानी प्राणी की तरह जीवन बिताया। उसने सैंकड़ों कविताएं लिखीं। अगर किसी के अंदर इस तरह का दृढनिश्चय हो, अगर वह पूरी तरह एक दिशा में ध्यान एकाग्र कर दे, तो उस इंसान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
हर साधक को अटल संकल्प करना होगा
अगर लक्ष्य तय हो, कोई दूसरा रास्ता न हो और सिर्फ वही एक संकल्प हो, तो लोगों को कोई भी चीज असंभव नहीं लगेगी। वे हमेशा संभावना के लिए कोशिश करेंगे। एक आध्यात्मिक साधक को यही करना चाहिए। पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज आपको यही करनी चाहिए – एक चीज को इस तरह तय करें कि उसे कभी भी बदलना संभव न हो। अगर आप इसे लेकर समझौता नहीं करेंगे तो बाकी का जीवन आपके पीछे व्यवस्थित होता जाएगा, आपके सामने बाधा नहीं बनेगा। आपकी सभी क्षमताएं, आपकी ऊर्जा, सारी दुनिया आपके पीछे व्यवस्थित होगी क्योंकि आपके अंदर निश्चलतत्वम है।
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